24 जून, 2013 को नई दिल्ली में आयोजित यूएस – भारत सामरिक वार्ता के दौरान यूएस के विदेश मंत्री जॉन केरी भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए अपने अपने देशों की सुदृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई जो ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने, जलवायु
परिवर्तन से निपटने और कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं का विकास सुनिश्चित करने में सहायक होगा और यह दोनों देशों में रोजगार के अवसर बढ़ाने तथा रोजगार वृद्धि में भी सहायक होगा, इस दौरान वर्ष 2009 में स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, ऊर्जा सुरक्षा
और जलवायु परिवर्तन पर यूएस भारत समझौता ज्ञापन में दोनों पक्षों के हितों से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई। दोनों पक्षों ने इस बात पर बल दिया कि प्रौद्योगिकी और व्यापार नवाचार, वैज्ञानिक सहयोग, अनुसंधान और विकास, पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल प्रौद्योगिकियों
और उत्पादों का नियोजन, मुक्त व्यापार और मजबूत नियामक ढांचा स्थायी वृद्धि के लिए समाधान करने की दृष्टि से आवश्यक हैं।
यूएस – भारत ऊर्जा वार्ता
दोनों पक्षों ने यूएस – भारत ऊर्जा के अंतर्गत बेहतर और संपूर्ण सहयोग पर जोर दिया, इस दौरान विद्युत ग्रिड सहयोग, ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए बाजारों के विस्तार और स्वच्छ ऊर्जा नियोजन में आने वाली बाधाओं के समाधान, शेल गैस संसाधन मूल्यांकन
और संसाधनों के दोहन से ली गई सीख को साझा करने, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी विकास और नागरिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में जारी सहभागिता पर चर्चा की गई।
यूएस – भारत नागरिक परमाणु ऊर्जा
पिछले वर्ष के दौरान की गई वार्ताओं के परिणामस्वरूप गुजरात और आंध्र प्रदेश में यूएस द्वारा परमाणु ऊर्जा प्लांटों के निर्माण का कार्य जारी रहा और इसके लिए भूमि अधिग्रहण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की गई है। इसके अलावा हमारी परमाणु नियामक एजेंसियों ने सुरक्षा
संबंधी महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहयोग की संभावनाएं बढ़ाई हैं। यूएस परमाणु नियामक आयोग (एनआरसी) और भारतीय परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) परमाणु सुरक्षा से संबंधित मामलों में तकनीकी सूचना के आदान प्रदान और सहयोग के लिए एक व्यवस्था को अंतिम रूप देने हेतु
कार्य कर रहे हैं, जो वर्तमान स्तर पर सहयोग बढ़ाने के लिए आवश्यक है। इस व्यवस्था के अंतर्गत सहयोग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण के रूप में एनआरसी द्वारा भारत में यूएस मूल के परमाणु ऊर्जा प्लांटों के प्रचालन के लिए प्रमाणन और लाइसेंस तैयार करने हेतु एईआरबी के
साथ सहयोग करते हुए कार्य करना प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है।
ऑयल और गैस कार्य समूह
यूएस के ऊर्जा विभाग और भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय गैस हाइड्रेट्स के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण करने के लिए आवश्यक सहयोग कर रहे हैं जिसका उद्देश्य भूगर्भीय व्युत्पत्ति की जानकारी और समझ बढ़ाना तथा भारत और यूएस
में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स से मीथेन गैस के उत्पादन की संभावनाएं तलाश करना है।
स्थायी विकास पर नया संयुक्त कार्य समूह
7 मई 2012 को यूएसएआईडी तथा भारत के योजना आयोग ने एक सैद्धांतिक वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए जिसमें स्थायी विकास पर एक संयुक्त कार्यकारी समूह के गठन का प्रस्ताव किया गया है जो ''कम कार्बन उत्सर्जन के साथ समेकित वृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दूरगामी
योजनाएं और रणनीतियां बनाने की भारत और यूएस की क्षमता बढ़ाने’’ के प्रयासों में सहायक सिद्ध होंगे। यह स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के विकास और उन्हें अपनाने में भी सहायक होना चाहिए।
शेल गैस व्यवहार्यता अध्ययन
3 मई 2013 को यूएस व्यापार और विकास एजेंसी (यूएसटीडीए) ने वाणिज्यिक ग्रेड के शेल भंडारों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एस्सार ऑयल लिमिटेड को अपने कोयला भंडारों में मीथेन गैस लाइसेंस क्षेत्रों के आगामी मूल्यांकन में सहयोग करने के उद्देश्य से एक अध्ययन
करने हेतु एक करार पर हस्ताक्षर किए, इस प्रकार भारत कोयले के स्वच्छ वैकल्पिक एवं नए घरेलू ऊर्जा स्रोत के रूप में उभरकर सामने आया है। यूएसटीडीए ने डीप इंडस्ट्री लिमिटेड को वाणिज्यिक ग्रेड के शेल भंडारों की उपस्थिति हेतु पारंपरिक ऑयल और गैस लाइसेंस का मूल्यांकन
करने में सहयोग के उद्देश्य से दूसरा सर्वेक्षण करने के लिए सामरिक वार्ता के दौरान एक नए करार पर हस्ताक्षर किए।
क्षेत्रीय गैस बाजार
विदेश विभाग ने मई, 2013 में अपने भारतीय सहयोगियों के साथ ऊर्जा सुरक्षा पर एक गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया और पूरे क्षेत्र में प्राकृतिक गैस की अधिक सुरक्षित और विभाजित आपूर्ति उपलब्ध कराने के लिए एशियाई प्राकृतिक गैस बाजार के विकास पर चर्चा की। यूएस भारत के
साथ यूएस – भारत ऊर्जा वार्ता के माध्यम सहभागिता जारी रखेगा जिससे कि गैस अवसंरचना के वित्तपोषण जैसी चुनौतियों का समाधान किया जा सके, क्षेत्रीय और वैश्विक प्राकृतिक गैस परंपराओं पर डेटा साझा किया जा सके और बाजार विकास तथा क्षमता विकास के कार्यकलापों के लिए
नए भागीदार बनाए जा सकें।
गैर पारंपरिक गैस
विदेश विभाग के गैर पारंपरिक गैस तकनीकी सहभागिता कार्यक्रम (यूजीटीईपी) ने भारत में गैर पारंपरिक गैस विकास को बढ़ावा दिया है। इसके लिए इसने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय से एक प्रतिनिधिमण्डल को यूएस आमंत्रित किया और 2013 में नई दिल्ली में एक कार्यशाला
का आयोजन किया। यूजीटीईपी भारत के साथ अपनी सहभागिता बढ़ा रहा है, इसके लिए वह इस वर्ष किए जाने वाले सघन गैस और शेल ऑयल संसाधन मूल्यांकन अध्ययन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।
रिफाइनरी
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुरोध पर यूएसटीडीए ने भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रतिनिधियों और राज्य के स्वामित्व वाली रिफाइनरियों के निदेशकों को यूएस में बैठक के लिए आमंत्रित किया। यह बैठक यूएस की ऐसी कंपनियों के साथ की गई
जिन्हें रिफाइनरी दक्षता के क्षेत्र में व्यापक विशेषज्ञता प्राप्त है और जो प्रौद्योगिकी उन्नयन में माहिर हो। भारतीय रिफाइनरियों के स्वामी रिफाइनरी की दक्षता में सुधार और उत्पादकता बढ़ाना चाहते हैं, इसके लिए स्लरी हाइड्रो क्रैकिंग और उन्नत परिवर्जन प्रक्रिया
का एकीकरण किया जा रहा है और इस क्षेत्र में यूएस की फर्मों के लिए भी अवसर प्राप्त हो रहे हैं। प्रतिनिधिमण्डल ने मई, 2013 में शिकागो, हस्टन और न्यू ओर्लिंस का दौरा किया।
ऊर्जा दक्षता और स्थायी शहर
यूएस का ऊर्जा विभाग भारत के दो राज्यों – राजस्थान और तमिलनाडु में कार्य कर रहा है। ये राज्य ऊर्जा संरक्षण बिल्डिंग कोड (ईसीबीसी) का कार्यान्वयन शुरू कर रहे हैं। प्रत्येक राज्य में एक शहर (राजस्थान में जयपुर और तमिलनाडु में चेन्नई) का चयन स्थानीय स्तर
पर कार्यान्वयन के लिए किया गया है; नए कार्य से इन शहरों के अलावा अन्य शहर भी लाभान्वित होने चाहिए। ऊर्जा विभाग लॉरेंस बर्केली नेशनल लैबोरेटरी (एलबीएनएल) के माध्यम से भारत को बिल्डिंग टू ग्रिड (बी2जी) संबंधी सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं अपनाने के क्षेत्र में
कार्य कर रहा है ताकि डेटा केन्द्रों की ऊर्जा दक्षता में सुधार किया जा सके और उल्लेखनीय सूचना प्रौद्योगिकी कार्यालय भवनों के ऊर्जा दक्षता निष्पादन में सुधार हेतु उपाय किए जा सकें।
नवीकरणीय ऊर्जा
ऊर्जा विभाग की राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा प्रयोगशाला (एनआरईएल) भारत के सौर ऊर्जा केन्द्र (एसईसी) साथ सहयोग कर रही है जिससे कि इस बात की समझ बढ़ाई जा सके कि दीर्घावधि में विभिन्न जलवायु वाले वातावरण में सोलर फोटोबोल्टेक मॉड्यूल किस प्रकार निष्पादन करते हैं
और उत्पाद की विश्वसनीयता में सुधार के लिए परीक्षण प्रक्रियाओं का विकास किस प्रकार किया जाता है। एनआरईएल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से ऐरोसोल ऑप्टिकल डेप्थ पर प्राप्त किए गए नए डेटा के साथ भारत के लिए सौर नक्शों को अद्यतन कर रहा है। डीओई / एनआरईएल
तथा भारत का सेंटर फॉर विंड एनर्जी टेक्नोलॉजी (सी-डब्ल्यूईटी) भारत में प्राथमिक क्षेत्रों के लिए मौजूदा पवन संसाधन विशेषताएं बढ़ाने के लिए सहयोग कर रहे हैं।
स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आगे कार्य करने के लिए यूएस – भारत के बीच भागीदारी (पीएसीई)
ऊर्जा अधिगम में सुधार और कम कार्बन उत्सर्जन के साथ वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नवंबर, 2009 में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूएस के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पीएसीई की घोषणा की। वर्ष 2012 में पीएसीई अनुसंधान के अंतर्गत भारत सरकार और ऊर्जा विभाग सौर
ऊर्जा, क्षमता निर्माण और उन्नत जैव ईंधन के क्षेत्र में 125 मिलियन यूएस डालर की लागत वाले संयुक्त स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और विकास केन्द्र के अंतर्गत तीन नवाचारी सार्वजनिक – निजी यूएस भारत कंसोर्टियम कार्यों के लिए सहयोग प्रदान कर रहे हैं। स्वच्छ ऊर्जा
वित्तपोषण केन्द्र, जो ओपीआईसी, एक्स एलएम बैंक, यूएसएआईडी, वाणिज्य विभाग और यूएसटीडीए के बीच एक संयुक्त भागीदार है, ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के वित्तपोषण के लिए लगभग 2.0 बिलियन यूएस डालर की वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिसने 1000 मेगावाट की
स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता वाले भारत के पहले प्लांट के लिए लगभग 40 प्रतिशत की वित्तीय सहायता शामिल है। यूएसटीडीए यूएस – भारत ऊर्जा सहयोग कार्यक्रम, जो यूएस की कंपनियों और दोनों सरकारों के बीच भागीदारी के रूप में है, को भी सहायता प्रदान करता है जो भारतीय ऊर्जा
क्षेत्र को परियोजना विकास के लिए ऊर्जा दक्षता वृद्धि, स्मार्ट विद्युत ग्रिड का विकास और सौर विद्युत उत्पादन जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान करता है, जिसमें ग्रामीण सूक्ष्म ग्रिड पहल के रूप में ये प्रयास शामिल हैं। पीएसीई – नियोजन के अंतर्गत यूएसटीडीए ने
स्मार्ट ग्रिड व्यवहार्यता अध्ययनों, प्रायोजित परियोजनाओं और तकनीकी सहायता के एक पैकेज के लिए भी सहायता प्रदान की है जिसका उद्देश्य भारत में विद्युत की आपूर्ति की विश्वसनीयता और दक्षता में सुधार करना है। इसके लिए उसने भारत के केन्द्रीय विद्युत अनुसंधान
संस्थान (सीपीआरआई) के साथ एक स्मार्ट ग्रिड परीक्षण बेड के विकास हेतु नई प्रतिबद्धता घोषित की। यूएसएआईडी का 20 मिलियन यूएस डालर की लागत वाला पीएसीई – नियोजन तकनीकी सहायता का कार्यक्रम अंतिम प्रयोक्ता के स्तर पर ऊर्जा दक्षता में सुधार कर रहा है और नीतियों
तथा नियामक संस्थानों के सुदृढ़ीकरण पर जोर देते हुए नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति बढ़ा रहा है, इसके अलावा यह कार्यक्रम वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है और संस्थागत क्षमता अभिवृद्धि में भी सहायक है।
मई, 2013 में यूएसटीडीए ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के साथ एक अनुदान करार पर हस्ताक्षर किए। इस अनुदान करार से किसी व्यवहार्यता अध्ययन और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की मुंबई वितरण प्रणाली की स्थापना के लिए प्रायोगिक परियोजना को वित्तीय सहायता प्राप्त
होती है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने परियोजना के लिए संविदाकार के रूप में इन्नवोरी, इंक (आस्टिन, टैक्स) का चयन किया है। इन्नोवरी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को सर्वोच्च मांग प्रबंधन के लिए नई स्मार्ट ग्रिड डीएसएम प्रणाली के नियोजन और सदुपयोग और अपनी विद्युत
पावर अवसंरचना का अधिक दक्षतापूर्वक सदुपयोग करने में सहायता करेगा। रिलायंस और इन्नोवरी ने इस सामरिक वार्ता के दौरान प्रायोगिक परियोजना के क्रियान्वयन हेतु अपनी संविदा पर हस्ताक्षर किए।
स्वच्छ ऊर्जा वित्तपोषण
यूएसएआईडी ने विकास क्रेडिट प्राधिकरण के अंतर्गत एक नई ऋण गारंटी की घोषणा की जो स्वच्छ ऊर्जा में निवेश के लिए कम से कम 100 मिलियन यूएस डालर की राशि का प्रबंधन करेगा।
यूएस और भारत ने स्वच्छ ऊर्जा मिनिस्ट्रियल (सीईएम) सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को साझा करने और ऐसी नीतियों तथा कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक फोरम, जो एक वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तन को प्रोत्साहित करता है और सुविधा
प्रदान करता है, के संयुक्त प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। भारत सरकार ने 17-18 अप्रैल, 2013 में नई दिल्ली में चतुर्थ स्वच्छ ऊर्जा मिनिस्ट्रियल का प्रयोजन किया जिसका आरंभिक उदबोधन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिया। स्वच्छ ऊर्जा मिनिस्ट्रियल
में भारत के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और यूएस के ऊर्जा विभाग ने भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता नीतिगत डेटाबेस (आईआरईईईडी) बेटा संस्करण लांच किया, जो भारत की केंद्र तथा राज्य सरकारों के नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता संबंधी नीतियों, विनियमों
और नीति निर्माताओं, परियोजना विकासकर्ताओं, व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लाभार्थ प्रोत्साहन कार्यक्रमों का एक ऑनलाइन भण्डार (रिपोजीटरी) है। यूएस और भारत ने सीईएम की 21वीं शताब्दी विद्युत भागीदारी और सुपर एफिसिएंट एपलियांसेज एण्ड इक्विपमेंट डवलपमेंट (एसईएडी)
पहल संयुक्त रूप से नेतृत्व किया। स्वच्छ ऊर्जा मिनिस्ट्रियल में भारत की प्रतिभागिता के परिणामस्वरूप घरेलू स्तर पर बहुत सी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं जैसे भारत लाइट एमीटिंग डायोड (एलईडी) के निष्पादन, सुरक्षा और गुणवत्ता को समेकित ढंग से विनियमित
करने वाला विश्व का पहला देश बन गया है। सीईएम के माध्यम से भारत विद्युत क्षेत्र के कार्यों के एक नए मॉडल के लिए भी मार्ग प्रशस्त कर रहा है, जिसके अंतर्गत नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के ग्रिड एकीकरण और ऊर्जा दक्षता पर अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ पीयर टू
पीयर सहभागिता पर जोर दिया जा रहा है।
स्मार्ट और एफिसिएंट एयर कंडिशनिंग तथा स्पेस कूलिंग पर यूएस भारत सहयोग|
यूएस और भारत ने स्मार्ट और एफिसिएंट स्पेस कूलिंग के क्षेत्र में सहयोग की घोषणा की, जिसका उद्देश्य एसी बाजार में परिवर्तन कर सुपर एफिसिएंट स्पेस कूलिंग प्रौद्योगिकियों को सुकर बनाना है। इस सहयोग के अंतर्गत यूएस प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता और अनुभव साझा करना
चाहता है, बहुत से मौजूदा सहयोग जैसे एसईएडी, 21वीं शताब्दी विद्युत भागीदारी और पीएसीई – डी / पीएसीई – आर को आगे बढ़ाते हुए उनमें और योगदान करना पड़ता है।
आर्कटिक परिषद
15 मई को भारत का आर्कटिक परिषद के एक नए प्रेक्षक राष्ट्र के रूप में स्वागत किया गया। आर्कटिक वातावरण में तेजी से परिवर्तन हो रहा है, जिसका प्राथमिक कारण वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन है। आर्कटिक में नई चुनौतियां और अवसर पैदा होने से वैश्विक स्तर पर इसकी
ओर अधिक ध्यान आकृष्ट किया जा रहा है। भारत वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक दृष्टि से जलवायु परिवर्तन के अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है और आर्कटिक में इसका एक अनुसंधान स्टेशन भी है। आर्कटिक परिषद में भारत के प्रेक्षक के रूप में इसकी हैसियत
के परिणामस्वरूप वैश्विक समुदाय को समान रूप से इसका लाभ मिलेगा। यह लाभ वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने और जलवायु संबंधी मॉडलिंग तथा अनुसंधान पर डेटा के आदान प्रदान के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा।
वन संबंधी पहल
यूएस और भारत के बीच 30 सितंबर, 2010 को स्थायी वन और जलवायु अनुकूलन कार्यक्रम के लिए एक भागीदारी करार पर हस्ताक्षर किए गए। जुलाई, 2012 में राष्ट्रपति ओबामा की वैश्विक जलवायु परिवर्तन पहल के अंतर्गत पर्यावरण और वन मंत्रालय तथा यूएसएआईडी ने 14 मिलियन यूएस डालर
की लागत वाली संविदा के साथ एक चार वर्षीय पहल शुरू की जिसका उद्देश्य भारत में वनीकरण से उत्सर्जन को कम करना तथा वनों की कटाई को रोकने (आरईडीडी+) रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करना है। कार्यक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित कार्य किए जाने का प्रस्ताव है : (1) उन्नत
पारिस्थितिकी प्रबंधन, वन कार्बन इनवेंटरी और निगरानी के लिए वैज्ञानिक टूल और पद्धतियां विकसित तथा नियोजित करना; (2) वन प्रबंधन और संरक्षण के लिए वनों पर आश्रित समुदायों को बेहतर प्रोत्साहन उपलब्ध कराने हेतु मॉडल तैयार करना; और (3) मानवीय और संस्थागत क्षमता
बढ़ाना। यूएसएआईडी इस पहल पर यूएस वन सेवा के साथ सहयोग स्थापित करते हुए कार्य कर रहा है।
आपदा तैयारी और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन
यूएसएआईडी / भारत का आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं के बारे में भारत के आठ संवेदनशील शहरों में जोखिमों को घटाने के उद्देश्य से भारत के गृह मंत्रालय के सहयोग से संचालित परियोजनाओं को सहयोग करता है। अक्टूबर, 2012 में शुरू की गई परियोजना
के परिणामस्वरूप विकास कार्यक्रमों के साथ जलवायु संबंधी जोखिमों को कम करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के एकीकरण हेतु संस्थागत क्षमता में वृद्धि होनी चाहिए, इस परियोजना के अंतर्गत वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर आपदा जोखिम उन्मूलन कार्यकलाप किए जाते हैं और
सामुदायिक तैयारी और उपायों में वृद्धि की जाती है। यूएस का भूगर्भीय सर्वेक्षण भूमिगत जल और जलशोधन अध्ययन के क्षेत्र में भारत का सहयोग करता है।
अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक
वैश्विक मीथेन पहल के माध्यम से यूएस और भारत मीथेन कैप्चर करने के लिए बहुत सी संयुक्त परियोजनाओं और कार्यक्रमों में एक दूसरे को सहयोग प्रदान करते हैं और इसका एक स्व्च्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा यूएसईपीए गैस सुविधाओं से फ्यूजीटिव
मीथेन कैपचर करने और उसका पुन: इस्तेमाल करने के लिए भारतीय ऑयल और गैस कंपनियों के साथ सहयोग करता है और इसने कोल माइन तथा कोल बैग मीथेन कैप्चर करने के लिए कोल इंडिया के साथ एक अनुसंधान निकासी गृह भी स्थापित किया है। कोल इंडिया इस सुविधा का उपयोग वाणिज्यिक
दृष्टि से व्यवहार्य मीथेन कैप्चरिंग प्रणालियों की संभावनाएं तलाश करने के लिए कर रहा है, जिससे कि उत्सर्जित होने वाली मीथेन का इस्तेमाल एक ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जा सके और उसकी रिसाइलिंग की जा सके। भारत और यूएस ब्लैक कार्बन सहित अल्पकालिक जलवायु
प्रदूषकों के संबंध में सूचना का आदान प्रदान करने की दिशा में कार्य करेंगे।
पर्यावरण
भारत ने यूएस की विभिन्न एजेंसियों, जिनमें यूएस पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए), यूएस वन सेवा (यूएसएफएस) और यूएस मत्स्य एवं वन्य जीव सेवा (यूएसएसडब्ल्यूएस) शामिल हैं, के साथ पर्यावरण और वानिकी के क्षेत्र में दीर्घकालीन सहयोग किए हैं। ईपीए भारत के साथ बहुत
से क्षेत्रों में एक सक्रिय भागीदार रहा है, जिसमें पर्यावरणीय शासन और वायु की गुणवत्ता शामिल हैं। यूएसएफएस और यूएसएफडब्ल्यूएस ने भारत के साथ पिछले कुछ दशकों से जल स्तर प्रबंधन, वन्य जीव संरक्षण, वन्य स्थिति एवं उत्पादकता सुधार और एकीकृत वन आयोजना तथा
भारत में जैव विविधता के संरक्षण हेतु प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग प्रदान किया है। यूएसएफएस ने भारत में कार्बन निगरानी और मूल्यांकन और पूर्वी हिमालय में जलवायु अनुकूलन और उन्मूलन संबंधी मुद्दों पर भी कार्यशालाएं आयोजित की हैं।