आर्चिस मोहन द्वारा*
यह कहना मृदुभाषिता होगी कि प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह तथा यूएस राष्ट्रपति बराक ओबामा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण जनचर पर तथा भारत - यूएस संबंधों के महत्वपूर्ण दौर में सितंबर के अंत में वाशिंगटन डी सी में आपस
में मुलाकात करेंगे।
सीरिया का झंझट, भारत की अर्थव्यवस्था में तथा पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में मंदी और 2014 के शुरू से अफगानिस्तान से यूएस सैनिकों की महत्वपूर्ण वापसी तथा भारत पर इसके परिणाम ऐसे मुद्दे हैं जो नई दिल्ली के लिए बहुत गंभीर हैं जो दोनों नेताओं के बीच विचार
- विमर्श के दौरान उठेंगे।
पश्चिम एशिया में अस्थिरता से भारत की ऊर्जा सुरक्षा तथा विदेशी धन प्रेषण का इसका सबसे बड़ा स्रोत प्रभावित हो सकता है। भारत इस क्षेत्र से अपना 60 प्रतिशत कच्चा तेल प्राप्त करना है और लगभग 6 मिलियन भारतीय पश्चिम एशिया के देशों में काम करते हैं। इसी तरह, अफगानिस्तान
से नाटो सैनिकों की वापसी का इस क्षेत्र में नई दिल्ली के सामरिक स्थान पर काफी प्रभाव होगा।

परंतु अल्प अवधि में अधिक महत्वपूर्ण अपने आर्थिक विकास को फिर से जिंदा करने के लिए निवेशों की तलाश करने संबंधी भारत की आवश्यकता है। भारत एवं यूएस दोनों देशों के व्यापारिक घरानों को उम्मीद है कि दोनों नेता ऐसे महत्वपूर्ण करारों पर हस्ताक्षर करने के लिए
अपने वार्ताकारों को प्रेरित करेंगे जिनसे विशेष रूप से असैन्य परमाणु ऊर्जा एवं रक्षा के क्षेत्रों में व्यापार एवं निवेश में सुधार का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
उपर्युक्त मुद्दे दोनों पक्षों के बीच उस संबंध के प्रमुख सरोकार हो सकते हैं जो पिछले दशक में घनिष्ठ एवं स्वस्थ संबंध के रूप में विकसित हुआ है। जुलाई, 2009 में भारत - यूएस सामरिक साझेदारी वार्ता के तहत भारत - यूएस साझेदारी को विस्तृत बनाने पर सहमति हुई है।
यह निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती है - सामरिक सहयोग, ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन, शिक्षा एवं निवेश, अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं कृषि, उच्च प्रौद्योगिकी, असैन्य परमाणु ऊर्जा, स्वस्थ एवं नवाचार। इसके तहत, भारत और यूएस ने असंख्य कार्य समूहों
की स्थापना की है जो अपने संबंध के लगभग हर पहलू पर विचार - विमर्श करते हैं।
पहली सामरिक वार्ता 2010 में हुई थी। दोनों पक्षों ने इस साल 24 जून को नई दिल्ली में अपनी सामरिक वार्ता के चौथे संस्करण को पूरा किया जिसके दौरान विदेश मंत्री श्री सलमान खुर्शीद तथा यूएस विदेश मंत्री जॉन केरी ने अपने - अपने पक्षों का नेतृत्व किया। दोनों पक्षों
के बीच महत्वपूर्ण होमलैंड सुरक्षा वार्ता है जो आतंकवाद की खिलाफत से जुड़े उपायों, ऊर्जा वार्ता, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में वार्ता आदि पर सहयोग करती है।

भारत उभरते बाजार के अलावा सैन्य ताकत भी है जिसके पास विश्व में तीसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत है। यह ऐसे देशों के पास सामरिक दृष्टि से भी स्थित है जिनमें वाशिंगटन की गहरी रूचि है, जैसे कि चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मध्य एशिया के गणराज्य तथा म्यांमार।
ब्रुनेई में आगामी पूर्वी एशिया शिखर बैठक जिसमें दोनों ही नेता भाग लेने वाले हैं, को विशेष रूप से ध्यान में रखते हुए दक्षिण पूर्व एशिया में विकसित होने वाला सुरक्षा वास्तुशिल्प चर्चा का विषय होगा तथा इस पर विचारों को आपस में साझा किया जाएगा। दोनों पक्षों
ने पूर्वी एशिया शिखर बैठक, आसियान रक्षा मंत्री प्लस बैठक (ए डी एम एम+) तथा आसियान क्षेत्रीय मंच (ए आर एफ) में निकटता से काम किया है।
जून में नई दिल्ली में आयोजित चौथी भारत - यूएस सामरिक वार्ता में यूएसए के विदेश मंत्री श्री जॉन केरी ने कहा था "भारत एशिया में यूएस पुनर्संतुलन का प्रमुख हिस्सा है तथा हम इस पुनर्संतुलन के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूँ। भारत के साथ हमारे
सुरक्षा हित व्यापक श्रेणी के समुद्री एवं वृहत्तर क्षेत्रीय मुद्दों पर अभिसरित हैं तथा हम स्थिर एवं खुशहाल एशिया का सुनिश्चय करने संबंधी अपने पारस्परिक प्रयासों में भारत की भूमिका को महत्व देते हैं।" समुद्री सुरक्षा, नौवहन की आजादी तथा इस क्षेत्र में समुद्री
विवादों का शांतिपूर्ण समाधान परामर्श के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। भारत और यूएस ने जापान के साथ एक त्रिपक्षीय वार्ता प्रक्रिया भी शुरू की है जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय व्यापार, पारगमन, ऊर्जा सहलग्नता को बढ़ावा देना है जिससे क्षेत्रीय आर्थिक गतिविधियां सुदृढ़
हों।
जैसा कि यूएसए के राष्ट्रपति हमेशा करते रहे हैं, हमारे आर्थिक मुद्दों पर वह विश्व की आर्थिक स्थिति के संबंध में भारत के प्रधान मंत्री के आकलन को सुनने के उत्सुक हैं। दोनों नेताओं के बीच बहुत अच्छा संबंध है। ओबामा ने 2009 की कोपनहेगन शिखर बैठक में डा. मनमोहन
सिंह को "मिस्टर गुरू" कहा था। जनवरी, 2012 में टाइम्स मैग्जीन को दिए गए एक इंटरव्यू में राष्ट्रपति ओबामा ने डा. सिंह की गणना विश्व के कुछ नेताओं में से एक के रूप में की थी, जिसमें जर्मनी की चांसलर एंजिला मार्केल शामिल हैं, जिनके साथ उन्होंने "मैत्री
एवं विश्वास के संबंध" का निर्माण किया है।

प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह 2009 में ह्वाइट हाऊस में राष्ट्रपति ओबामा के पहले राजकीय अतिथि थे। यूएसए के राष्ट्रपति ने एक साल बाद पथ भंजक यात्रा के लिए भारत का दौरा किया। संसद की एक विशेष बैठक को संबोधित करते हुए यूएसए के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र
सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की आकांक्षा के लिए अमरिका के समर्थन को व्यक्त किया तथा भारत - यूएस संबंध को 21वीं शताब्दी की महत्वपूर्ण साझेदारियों में से एक के रूप में बताया। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन चार बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं
में भारत के शामिल होने का समर्थन करेगा, जो इस प्रकार हैं - परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह, प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था, आस्ट्रेलिया समूह तथा वासेनर व्यवस्था।
भारत के प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह अपनी ओर से यूएसए के उत्प्रवासन विधेयक पर भारत की चिंता को व्यक्त कर सकते हैं, जिसमें विदेशी आईटी कंपनियों पर वीजा शुल्क एवं दंड में भारी वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है, जो गैर अमरीकियों को रोजगार प्रदान करती हैं। भारतीय
पक्ष भारतीयों के लिए रोजगार एवं शिक्षा के अधिक अवसरों को खोलने के मुद्दे को यूएस के साथ उठा सकता है। यूएस में 100,000 से अधिक भारतीय छात्र तथा 3 मिलियन भारतीय अमरीकी हैं।
दोनों पक्ष अपनी आर्थिक साझेदारी को सुदृढ़ करने के लिए कदम उठाएंगे। भारत - यूएस वार्षिक व्यापार 100 बिलियन अमरीकी डालर के करीब है तथा कुल दोतरफा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 30 बिलियन डालर के करीब है। भारत और यूएस ने अपनी आर्थिक भागीदारी को गहन करने के लिए एक आर्थिक
एवं वित्तीय साझेदारी का गठन किया है जहां यूएस के वित्त मंत्री तथा भारत के वित्त मंत्री आपसी हित के आर्थिक मुद्दों पर विचार - विमर्श करने के लिए वार्षिक बैठकों का आयोजन करेंगे, जिसमें नई दिलली के हित से जुड़े क्षेत्र शामिल हैं जैसे कि अवसंरचना के लिए वित्त
पोषण में निजी निवेश आकर्षित करना।
परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में, भारत - यूएस परमाणु सौदा दोनों देशों के संबंध में एक महत्वपूर्ण घटना थी। अब इसे अगले स्तर पर ले जाने की जरूरत है। वे इस मुद्दे पर अपनी वार्ता को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। भारत - यूएस द्विपक्षीय रक्षा व्यापार का विस्तार हुआ है।
भारतीय एयरफोर्स में C-130J एवं C-17 एयरक्राफ्ट के हाल ही में शामिल होने तथा भारतीय नौसेना में पी-81 समुद्री पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट के शामिल होने से यह संबंध सुदृढ़ हुआ है।
तथापि, इस बात की संभावना कम ही है कि कोई नाटकीय सफलता मिलेगी। यह संबंध सुदृढ़ीकरण के चरण में है जहां दोनों पक्ष अफगानिस्तान, पश्चिम एशिया में विद्यमान चुनौतियों का सामना करने तथा आर्थिक मोर्चे पर मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए साझी जमीन तलाशने का प्रयास
करेंगे। सिल्वर लाइनिंग यह है कि भारत और यूएस दोनों ही इस अनुभूति के साथ भागीदारी करना जारी रखेंगे कि अनेक दृष्टि से दोनों देशों का डीएनए समान है।
यूएसए के विदेश मंत्री श्री जॉन केरी ने इस संबंध को तथा इसके भविष्य को दिल्ली में चौथी भारत - यूएस सामरिक वार्ता में अपने भाषण में उपयुक्त ढंग से इस रूप में व्यक्त किया है : "एक और एक ग्यारह होते हैं।"
भारत - यूएस तथ्य पत्रक
- भारत - यूएस असैन्य परमाणु सौदे के लिए रूपरेखा करार पर जुलाई, 2005 में हस्ताक्षर किया गया
- सामरिक वार्ता का गठन जुलाई, 2009 में हुआ, इसकी पहली बैठक 2010 में हुई तथा चौथी बैठक जून, 2013 में हुई
- सामरिक सहयोग, ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन, शिक्षा एवं विकास, अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं कृषि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं नवाचार पर विचार - विमर्श करने के लिए सामरिक वार्ता के तहत 26 कार्य समूह है
- होम लैंड सुरक्षा वार्ता मई, 2011 में शुरू की गई, इसकी पहली बैठक 2012 में हुई तथा दूसरी बैठक 2013 में हुई
- स्थूल आर्थिक, वित्तीय एवं निवेश से जुड़े मुद्दों पर द्विपक्षीय भागीदारी को सुदृढ़ करने के लिए भारत - यूएस वित्तीय एवं आर्थिक साझेदारी 2010 में शुरू हुई
- व्यापार से जुड़े मुद्दों पर विचार - विमर्श करने के लिए भारत - यूएस व्यापार नीति मंच (टी ई एफ) का गठन जुलाई, 2005 में हुआ, आखिरी एवं सातवीं बैठक वाशिंगटन में 2010 में हुई थी
- व्यापार एवं निवेश पर सहयोग के लिए रूपरेखा पर करार पर हस्ताक्षर मार्च, 2010 में हुआ था
- नवीकरणीय एवं स्वच्छ ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास में सहायता के लिए संयुक्त स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान एवं विकास केंद्र पर सहयोग के लिए करार पर नवंबर, 2010 में हस्ताक्षर हुआ था
- असैन्य अंतरिक्ष सहयोग पर संयुक्त कार्यबल का गठन 2004 में हुआ था, इसकी चौथी बैठक मार्च, 2013 में वाशिंगटन में हुई
- ‘सिंह - ओबामा ज्ञान पहल’ जो उच्च शिक्षा की सहायता के लिए निधि है, का गठन नवंबर, 2009 में हुआ, निधियन की पहली श्रृंखला का आयोजन 2012 में हुआ
- भारत - यूएस उच्च शिक्षा वार्ता के दूसरे संस्करण का आयोजन दिल्ली में जून, 2013 में हुआ
- मौसम, जलवायु परिवर्तन आदि का अध्ययन करने के लिए पृथ्वी प्रेक्षण एवं पृथ्वी ज्ञान पर एम ओ यू पर हस्ताक्षर 2008 में किया गया
- भारत - यूएस कृषि वार्ता 2010 में शुरू हुई, मानसून की भविष्यवाणी में सुधार के लिए पर्यावरणीय भविष्यवाणी के लिए यूएस राष्ट्रीय केंद्र में एक ''मानूसन डेस्क’’ का गठन किया गया
- ·भारत और यूएस ने 2008 से द्विपक्षीय निवेश संधि (बी आई टी) वार्ता शुरू की है, इसके आखिरी चक्र का आयोजन 2012 में हुआ
- प्रबुद्ध परिवहन प्रणालियों पर चर्चा करने, बौद्धिक संपदा अधिकारों पर जन जागरूकता फैलाने, संपोषणीय विनिर्माण प्रथाओं, छोटे एवं मझोले उद्यमों के लिए सहायता आदि पर चर्चा करने के लिए 2000 से वाणिज्यिक वार्ता की शुरूआत की गई है
- यूएस वाणिज्यिक सेवा ने भारत में 12 अमरीकी व्यापारिक केंद्र खोले हैं
- भारत - यूएस विमानन सहयोग कार्यक्रम (ए सी पी) - चौथी भारत - यूएस विमानन शिखर बैठक अक्टूबर, 2013 में हुई थी
- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी कार्य समूह का गठन 2005 में हुआ, उपकरण सुरक्षा पर सहयोग, विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन, क्लाउड कंप्यूटिंग तथा आई सी टी से संबंधित नवाचारों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करने के लिए वर्ष में दो बार इसकी बैठक होती है
- यूएस विश्वासरोधी एजेंसियों तथा भारत के कारपोरेट कार्य मंत्रालय एवं भारतीय प्रतियोगिता आयोग (सी सी आई) ने प्रतियोगिता नीति एवं प्रवर्तन पर परामर्श तथा तकनीकी सहयोग के लिए सितंबर, 2012 में एक एम ओ यू पर हस्ताक्षर किया
- भारत - यूएस सी ई ओ मंच
- संस्कृति मंत्रालय तथा मेट्रोपोलिटन म्यूजियम आर्ट, न्यूयार्क ने संरक्षण, प्रदर्शनी आदि के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए फरवरी, 2013 में एक करार पर हस्ताक्षर किया
- ऊर्जा क्षेत्र में व्यापार एवं निवेश में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए भारत - यूएस ऊर्जा वार्ता 2005 में शुरू की गई
- भारत - यूएस जलवायु परिवर्तन वार्ता
- यूएस ऐड एवं भारत के योजना आयोग ने मई, 2012 में संपोषणीय विकास पर एक संयुक्त कार्य समूह का गठन करने वाले सिद्धांतों के वक्तव्य पर हस्ताक्षर किया
- शेल गैस संभाव्यता अध्ययन करार पर मई, 2013 में हस्ताक्षर किया गया
- स्वच्छ ऊर्जा को आगे बढ़ाने के लिए भारत - यूएस साझेदारी (पी ए सी ई) 2009 में शुरू की गई
- जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं के प्रति भारत के 8 शहरों की सुभेद्यता कम करने के उद्देश्य से अक्टूबर, 2012 में गृह मंत्रालय के साथ मिलकर यूएस ऐड - भारत की आपदा प्रबंधन सहायता परियोजना शुरू की गई।
- 2010 में शुरू की भारत - यूएस स्वास्थ्य पहल / वार्ता के तहत चार कार्य समूह हैं जो निम्नलिखित क्षेत्रों में हैं - गैर संचारी रोग, संक्रामक रोग, स्वास्थ्य प्रणालियों एवं सेवाओं का सुदृढ़ीकरण तथा मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य
- वैश्विक रोग अनुवेदन - भारत केंद्र स्थापित करने के लिए करार पर नवंबर, 2010 में हस्ताक्षर किया गया
- भारत - यूएस द्वितीय विश्व युद्ध से यूएस के सैनिकों के अवशेषों को ढूंढ़ने के मिशन में सुविधा प्रदान करने के लिए आपस में सहयोग कर रहे हैं।
- अंतरिक्ष, ग्रह विज्ञान तथा हीलियो फिजिक्स, चंद्रमा एवं मंगल के संभावित भावी मिशनों में सक्रिय सहयोग। भारत - यूएस असैन्य अंतरिक्ष संयुक्त कार्य समूह की चौथी बैठक वाशिंगटन डीसी में 21 मार्च, 2013 को हुई।
(*आर्चिस मोहन नई दिल्ली में स्थित एक फ्रीलांस पत्रकार हैं। ऊपर व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)