लेखक : मनीष चंद
यह एक बहुआयामी संबंध है जो एक साझे अतीत से जुड़ा हुआ है लेकिन जिसका जीते-जागते वर्तमान में धड़कना जारी है और जो एक शानदार भविष्य की ओर इशारा करता है। इतिहास, संस्कृति, लोकतांत्रिक मूल्यों और पुरखों के घनिष्ठ संबंधों से जुड़े मारीशस में भारत की भावना और घ्वनि
सर्वव्यापी है और मॉरीशस में उनकी गूंज सुनाई देती है। आप्रवासी घाट से, जहां 180 वर्ष से अधिक समय पहले भारत के गिरमिटिया मजदूरों का पहला बैच गन्ना बागानों में काम करने के लिए आए थे, लेकर पोर्ट लुई के चमचमाते साइबर टावर तक, मारीशस का एक आधुनिक, आत्मविश्वास
से भरपूर और पुनरुत्थानशील के रूप में सफर और रूपांतरण मूल रूप में भारतीयों और भारत की कहानी के साथ जुड़ा हुआ है।
(महात्मा गांधी 1930 में दांडी में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व करते हुए। फोटो साभार: दी
हिन्दू, फाइल फोटो( गांधी से मोदी
भारत और मॉरीशस के बीच के बहुस्तरीय संबंध 12 मार्च के मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस में परिलक्षित हो जाते हैं जो महात्मा गांधी द्वारा 85 साल पहले शुरू किए गए नमक सत्याग्रह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह वह क्रांतिकारी कदम था जिसकी परिणति में 1947 में भारत
को आजादी मिली और जिसने मॉरीशस को प्रेरणा दी जो 1968 में स्वतंत्र हुआ। इस वर्ष मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस पर मॉरीशस में एक विशेष अतिथि होंगे:भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। यह प्रधानमंत्री मोदी का सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अवस्थिति पर स्थित इस द्वीपीय
राष्ट्र में पहला दौरा होगा और जिसमें सामुद्रिक सुरक्षा, जल-दस्यु-रोधी आपरेशनों, व्यापार एवं निवेश में तेजी लाने, और हिंद महासागर की ब्लू इकोनोमी का संयुक्त रूप से विकास करने के सहित परस्पर जुड़े हुए अनेक मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
(प्रधानमंत्री नई दिल्ली में मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के साथ मिलते हुए, 27
मई 2014) भारत की नई सरकार की विदेश नीति में मॉरीशस की महत्ता उस समय एकदम स्पष्ट हो गई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम एकमात्र ऐसे गैर सार्क नेता थे जिन्हें मई 2014 में नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के
लिए आमंत्रित किया गया था। नजदीकी संबंधों के अनुरूप दोनों देशों के नेताओं के बीच दो-तरफे विजिट होते रहते हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 2013 में मॉरीशस के 45वें स्वतंत्रता दिवस समारोहों में मुख्य अतिथि थे।
रणनीति एवं रक्षा: अफ्रीका का प्रवेश-द्वार
अपने महत्वपूर्ण लोकेशन के साथ मॉरीशस हिंद महासागर को शांति और सुरक्षा के जोन के रूप में देखने की भारत की संकल्पना का मुख्य आधार है। भारत ने संचार के समुद्री रास्तों को आतंकवादियों और समुद्री डाकुओं के आतंक और डाका से सुरक्षित करने के लिए मॉरीशस के साथ व्यापक
सुरक्षा संबंध स्थापित किए हैं। इस रास्ते भारत की ऊर्जा जरूरतों का 70 प्रतिशत से अधिक आयात होता है। भारतीय नौसेना उभयपक्षीय राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए मॉरीशस के नेशनल कोस्ट गार्ड के साथ सक्रियतापूर्वक सहयोग करती रही है। भारतीय नौसेना के जहाज मारीशस
के विशाल अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ई ई जेड) में नियमित रूप से निगरानी और संयुक्त गश्त करती है। भारत ने मॉरीशस की समुद्री-डाकू रोधी क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिए एडवान्स्ड लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव (भारत द्वारा प्रदत्त यूएस 10.42 मिलियन डालर के अनुदान से वित्त-पोषित),
एक समुद्रतटीय रडार निगरानी प्रणाली (सीएसआरएस) और एक ऑफशोर पैट्रोल वेसल (ओपीवी) भेंटस्वरूप दिया है। मॉरीशस पुलिस बल के कर्मियों को भारतीय रक्षा प्रशिक्षण संस्थानों में वार्षिक आधार पर प्रशिक्षित किया जाता है। भारत प्रशिक्षण के लिए गोताखोरी और एक मैरिन कमांडो
(मार्कोस) प्रशिक्षण दल भी भेजता रहा है।
अफ्रीका के साथ अपने बहुआयामी संबंधों के साथ भारत मॉरीशस को एक जीवंत और उभरते महाद्वीप के प्रवेश-द्वार के रूप में देखता है। मॉरीशस एसएडीसी और कोमेसा जैसे क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों (आर ई सी) का सदस्य है और इस दृष्टि से यह अफ्रीका के साथ भारत के आर्थिक और सामरिक
संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए एक प्रमुख आधार है।
(विदेश मंत्री मॉरीशस में आप्रवासी दिवस की 180वीं वर्षगांठ पर आप्रवासी घाट पर श्रद्धांजलि
अर्पित करते हुए, 2 नवंबर 2014( भारतीय डायस्पोरा : सेतु-निर्माता एवं राष्ट्र-निर्माता
श्री मोदी का द्वीपीय राष्ट्र का पहला दौरा मॉरीशस के साथ भारत के बहुस्तरीय संबंधों को और अधिक प्रमुखता देगा। मारीशस की 1.296 मिलियन की आबादी में 68% लोग भारतीय मूल के हैं। यह सब कुछ 2 नवंबर, 1834 को शुरू हुआ था जब भारतीय मजदूरों का पहला बैच गन्ना बगानों में
काम करने के लिए एमवी एटलस पर सवार होकर इस द्वीपीय देश पर पहुंचा। मारीशस अब प्रत्येक वर्ष 2 नवंबर को 'आप्रवासी दिवस' के रूप में मनाता है। और विश्व विरासत स्थल, आप्रवासी घाट आज अस्तित्वमूलक सभी कठिनाईयों पर विजय प्राप्त करने की अदम्य मानवीय भावना और अपनी
तकदीर को बदलने की अद्भुत मानवीय क्षमता का चिरस्थायी स्मारक है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नवंबर 2014 में मॉरीशस के अपने दौरे के दौरान कहा, ''यह आपके पूर्वजों के संघर्ष, दृढ़ता और अदम्य भावना की सचमुच एक असाधारण गाथा है जिन्होंने आधुनिक मॉरीशस राष्ट्र
- जो अवसरों, समृद्धि और आजादी का राष्ट्र है - का निर्माण करने के लिए कठोर बाधाओं को पार किया।''
बिजनेस का महत्व
समय बीतने के साथ-साथ मॉरीशस के साथ भारत का संबंध लगभग सभी क्षेत्रों में फैल गया। व्यवसायगत बंधन और मजबूत होते गए। भारत मॉरीशस का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और पिछले आठ सालों से मॉरीशस को सामानों और सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है। मॉरीशस भारत में
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) का सबसे बड़ा स्रोत रहा है। वर्ष 2012-13 के दौरान मॉरीशस से भारत में 9.497 यूएस डालर का एफडीआई ईक्विटी अंतर्प्रवाह रहा है। अगले वित्तीय वर्ष (2013-14) भारत में मॉरीशस से 4.85 बिलियन यूएस डालर का एफडीआई प्राप्त हुआ। पेट्रोलियम
अकेले वह सबसे बड़ी निर्यात मद है जिसका भारत द्वारा इस द्वीपीय राष्ट्र को निर्यात किया जाता है। मॉरीशस की सभी पेट्रोलियम जरूरतों की आपूर्ति करने के लिए मंगलौर रिफाइनरी एण्ड पेट्रोकेमिकल्स लि. (एमआरपीएल) और मॉरीशस के स्टेट ट्रेडिंग कारपोरेशन के बीच एक तीन
वर्षीय करार का जुलाई 2013 में नवीकरण किया गया। भारतीय लोक उपक्रमों ने द्वीपीय देश में अपनी खास पहचान बनाई है। बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी), भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (मॉरीशस) लिमिटेड और न्यू इंडिया एश्योरेंस कारपोरेशन (एनआईएसी) वित्तीय
क्षेत्र में सक्रिय हैं। अन्य लोक उपक्रम जिनकी अच्छी-खासी मौजूदगी है उनमें इंडिया हैंडलूम हाउस, टेलीकम्युनिकेशन्स कन्सल्टेंट इंडिया लि. (टीसीआईएल), इंडियन ऑयल (मॉरीशस) लि. (आईओएमल) और महानगर टेलीफोन (मॉरीशस) लि. शामिल हैं। मॉरीशस में भारतीय निवेश विविध
क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, आतिथ्य, फार्मास्यूटिकल्स, शिक्षा, वित्तीय सेवाएं, आईटी एवं बीपीओ में फैले हुए हैं। मॉरीशस की कम्पनियों ने भी भारत में कपड़ा, लाजिस्टिक्स और बैंकिंग जैसे सेक्टरों में निवेश किया है।
विकास एवं कौशल निर्माण
भारत द्वारा बुनियादी ढांचे, कौशल विकास और क्षमता निर्माण के लिए मॉरीशस को विभिन्न प्रकार के ऋण दिए जाने के साथ विकासात्मक भागीदारी बढ़ रही है। मॉरीशस में कुछ प्रमुख भारतीय-सहायता प्राप्त परियोजनाओं में एबेने का साइबर टॉवर, स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल कान्फ्रेंस
सेंटर (एसवीआईसीसी), महात्मा गांधी संस्थान, उपाध्याय प्रशिक्षण केन्द्र, जवाहर लाल नेहरू अस्पताल, सुब्रमण्या भारती नेत्र केन्द्र, राजीव गांधी विज्ञान केन्द्र और रवीन्द्रनाथ टैगोर संस्थान शामिल हैं।
भारत एक पुनरुत्थानशील राष्ट्र को आगे बढ़ने में प्रेरक का काम करने के लिए निधियों और विशेषज्ञता के साथ उदार रहा है। साल 2012 में, नई दिल्ली ने एक आर्थिक पैकेज, जिसमें 250 मिलियन यूएस डालर का क्रेडिट लाइन और रक्षा एवं सुरक्षा संबंधी उपकरणों की खरीद करने के लिए
20 मिलियन यूएस डालर का अनुदान शामिल है, की घोषणा की। भारत ने बुनियादी ढांचे के विकास, कौशल विकास, क्षमता निर्माण और परियोजना मूल्यांकन के लिए मॉरीशस के लिए कई प्रकार के क्रेडिट लाइन की घोषणा की।
दिल और दिमाग का बंधन
(मॉरीशस में बाएं: महात्मा गांधी इंस्टीच्यूट; दाएं: रबिन्द्रनाथ टैगोर इंस्टीच्यूट)
यदि आप चाहें तो इसे सांस्कृतिक रस-विद्या कहें। मॉरीशस के महात्मा गांधी इंस्टीच्यूट और रवींद्रनाथ टैगोर इंस्टीच्यूट दोनों देशों के बीच भारतीय संस्कृति और गहरे आध्यात्मिक संबंधों के प्रकाशस्तंभ हैं। जिंदगी में बेहतर संभावनाओं के सपने देख रहे
मॉरीशस के हजारों विद्यार्थियों के लिए भारत पसंदीदा गंतव्य स्थान है। भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी और भोजपुरी से लेकर हिंदुस्तानी संगीत, कथक, तबला और योग तक, भारत और मॉरीशस के लोग यह जानते हैं कि किस प्रकार एक साथ बात किया जाए, गाया जाए, और नृत्य किया जाए।
इस प्रकार के आंगिक सांस्कृतिक संपर्कों तथा सामरिक एवं व्यापारिक हितों के सम्मिलन के साथ, भारत और मॉरीशस के बीच संबंध और अधिक मजबूत ही हो सकते हैं और वह गहराई एवं विशेषता हासिल कर सकते हैं जिनके लिए हिंद महासागर जाना जाता है।
((मनीष चंद अंतराष्ट्रीय मामलों और इंडिया स्टोरी पर आधारित एक ई-मैगजीन जर्नल, इंडिया राइट्स नेटवर्क,www.indiawrites.org, के प्रमुख संपादक हैं। वे
टू बिलियन ड्रीम्स: सेलिब्रेटिंग इंडिया-अफ्रीका फ्रेंडशिप के संपादक भी हैं।
संदर्भ
पोर्ट लुई, मारीशस में बिजनेस मीट (3 नवम्बर 2014) में विदेश मंत्री का बीज भाषण
मॉरीशस में भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के आगमन की 180वीं वर्षगांठ
पश्चिमी नौसेना बेड़े [मॉरीशस, 2 नवम्बर 2014] के जहाज पर स्वागत समारोह
में विदेश मंत्री की टिप्पणी
सार्क के सदस्य देशों और मॉरीशस
के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की बैठकों पर मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विदेश सचिव की शुरुआती टिप्पणी।