* आलेख- राजदूत भस्वती मुखर्जी
- भारत के साथ 400 साल के संबंधों के बावजूद डच प्रधान मंत्री को भारत आने और 5-6 जून, 2015 को प्रधान मंत्री मोदी द्वारा उनकी मेजबानी किए जाने में 8 साल लग गए। बताया जाता है कि युवा और गतिशील डच प्रधानमंत्री, मार्क रुट्टे का जर्मन चांसलर एजेंला मर्केल से काफी
घनिष्ठ संबंध है, और वे आंतरिक ईयू परिषद के एक प्रमुख सदस्य हैं। वे 100 से अधिक कम्पनियों, जिनमें शैल, फिलिप्स, यूनीलीवर, एम्स्टर्डम शिपॉल और पोर्ट ऑफ रॉटरडैम शामिल थे, के प्रतिनिधियों के साथ एक बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ आए थे। उनके साथ विदेश व्यापार
और विकास सहयोग मंत्री, सुश्री लिलिएन्ने प्लोमेन और कृषि मंत्री, शैरॉन दिज्स्मॉ आए थे।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नई दिल्ली में नीदरलैंड्स किंगडम के प्रधान मंत्री, मि. मार्क
रुट्टे के साथ बैठक करते हुए (5 जून 2015) इस यात्रा का काफी महत्व है क्योंकि यूरोपीय संघ के संस्थापक और महत्वपूर्ण सदस्य होने के नाते नीदरलैंड भारत के साथ वार्षिक आधार पर शिखर स्तरीय विचार-विमर्श किए जाने का एक मजबूत समर्थक रहा है। अप्रैल, 2015
में ब्रुसेल्स में भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के स्थगित होने के बाद किसी महत्वपूर्ण यूरोपीय संघ शासनाध्यक्ष की यह पहली यात्रा है। अपने आकार के बावजूद, नीदरलैंड यूरोपीय संघ के परिषदों के भीतर निर्णय लेने की प्रक्रिया पर काफी प्रभाव रखे हुए है। यह न केवल
इसकी अर्थव्यवस्था के साइज, जिसका अब दुनिया में 19वां स्थान है, की वजह से है बल्कि इस कारण से भी है कि यह जारी यूरो जोन संकट के बीच मितव्ययिता उपायों के बावजूद राजकोषीय समझदारी और मौद्रिक अनुशासन के माध्यम से, अपनी विशेषाधिकार-प्राप्त अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग
और अपनी अर्थव्यवस्था के सीमांत विकास को बनाए रखने में सफल रही है। बताया जाता है कि यह शिखर सम्मेलन के लिए नई तिथियों को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के लिए अपने यूरोपीय भागीदारों पर दबाव दिया जाना जारी रखे हुए है।
- यह दौरा, राजनीतिक रूप से और साथ ही व्यवसाय और व्यापार के नजरिए से काफी कामयाब रहा। दोनों ही प्रधानमंत्रियों के बीच अकेले हुई बातचीत काफी गर्मजोशी भरी और मित्रवत रही। विविध प्रकार के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ और परस्पर हितों के द्विपक्षीय एवं
वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके उपरांत हमारे प्रधान मंत्री द्वारा विशिष्ट कम्पनियों के 35 भारतीय एवं डच सीईओ को लंच दिया गया और लंच पर भी बातचीत हुई। एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की गई और विचार विमर्श से मिली कामयाबी के परिणामस्वरूप बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी
और जल प्रबंधन, कृषि, स्मार्ट शहरों और नवीकरणीय ऊर्जा और अपशिष्ट ऊर्जा जैसे अनेक क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक रोडमैप बनाया गया। राजनीतिक नजरिए से अगर कहा जाए तो दौरे की मुख्य-मुख्य बातें निम्नलिखित रहीं:
- सुरक्षा और रक्षा सहयोग का विस्तार
- आतंकवाद का उसके सभी रूपों और प्रकटीकरणों में मुकाबला करने के प्रति प्रतिबद्धता
- यह बात मानना कि विस्तारित सुरक्षा परिषद में भारत एक सुस्पष्ट उम्मीदवार है
आर्थिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से, निम्नलिखित उपलब्धियां उल्लेखनीय रहीं:
- यूरोपीय संघ - गंगा प्लेटफार्म की स्थापना करने में नीदरलैंड द्वारा प्रमुख भूमिका निभाने के प्रति प्रतिबद्धता।
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन पर नीदरलैंड के साथ सहयोग के अभिचिह्नित क्षेत्रों को सुदृढ़ करना।
- भारत के साथ बंदरगाह विकास पर रॉटरडम पोर्ट के साथ सहयोग पर समझौता करना।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और नीदरलैंड किंगडम के प्रधान मंत्री, श्री मार्क रुट्टे नई दिल्ली
में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में (5 जून 2015) 400 साल पहले जब से हमारे बंदरगाहों पर डच जहाजों का आगमन शुरू हुआ था तब से व्यवसाय और व्यापार के संघटकों ने पारंपरिक रूप से संबंधों को आकार दिया है। नीदरलैंड यूरोपीय संघ में आज भारत का चौथा सबसे
बड़ा व्यापारिक भागीदार है और शीर्ष पांच निवेशकों में से एक है। हाल के वर्षों में आपसी व्यापार का मूल्य बढ़कर छह अरब यूरो से अधिक हो गया है। ऐसी 115 डच कंपनियां हैं जिनकी भारत में उपस्थिति है। भारत से जावक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ-साथ तीसरे देशों में
संयुक्त उद्यमों के रूप में विदेशी निवेश भी नीदरलैंड जाता है। भारती एयरटेल ने 2013 में अपने नीदरलैंड आधारित संयुक्त उद्यम को 1.01 बिलियन यूएस डालर मूल्य की गारंटी जारी की जिसके जरिए यह अफ्रीका में अपने ऑपरेशन की देखरेख करती है।
- भारतीय सहयोग द्वारा विदेशों में निवेश करके अपने वैश्विक पदचिह्नों का विस्तार करने के मौकों की तलाश करने के साथ केयर रेटिंग्स द्वारा हाल ही में कराए गए एक अध्ययन से यह बात पता चली कि 2.9 बिलियन डालर के कुल भारतीय निवेशों में से 28.8% हिस्सा नीदरलैंड में
गया। व्यापार के अनुकूल कारपोरेट कर संरचना और अच्छे बिजनेस माहौल ने शानदार बिजनेस पोर्टफोलियो वाली भारत की प्रमुख आईटी कम्पनियों जैसे डिशमैन फार्मा, 01 सिनर्जी, न्यूक्लियस और भारती एयरटेल में से अधिकतर को नीदरलैंड में अपना कार्यालय खोलने के लिए प्रेरित किया
है। भारतीय कम्पनियों द्वारा कुछ प्रमुख महत्वपूर्ण डच कंपनियों के साथ विलय और अधिग्रहण के जरिए कार्य करना एक उल्लेखनीय प्रवृत्ति रही है जैसे टाटा स्टील और कोरस, अपोलो टायर्स और व्रेडेस्टेन, बांको प्रोडक्ट्स और नेडरलैंड्से राडियाट्यूरन फैब्रेक। टीसीएस
के साथ विप्रो और इंफोसिस ने नीदरलैंड में ग्राहक सेवा केन्द्र खोले हैं। अपोलो व्रेडेस्टेन ने नीदरलैंड में एक वैश्विक आर एण्ड डी सेंटर खोला है।
- इस यात्रा ने भारत में डच विरासत के आकर्षक अवशेषों को संरक्षित करने की जरूरत का समय पर स्मरण कराया। नीदरलैण्ड ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाज 400 साल पहले केरल में प्रसिद्ध मालाबार तट, स्पाइस तट के रूप में जाना जाता है, पर पहुंचा था। सूरत से कोलकाता तक और
विशाखापत्तनम से कोच्चि एवं पुलिकट तक, पूरी तट-रेखा के साथ-साथ हमारे इतिहास में डच अवधि के अवशेष देखे जा सकते हैं। भारत में नीदरलैंड के एक के बाद दूसरे राजदूत इस बात का गर्व से स्मरण करते हैं कि भारत ने जब 15 अगस्त 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त की तो प्रधानमंत्री
नेहरू के प्रसिद्ध "नियति के साथ भेंट' भाषण के समय डच राजदूत दिल्ली में मौजूद केवल तीन राजदूतों में से एक थे।
दिल्ली में सबसे सम्मानित दूतों में एक, डच राजदूत महामहिम अल्फांसस स्टोलिंगा ने हाल ही में कहा:
"हमारी साझा विरासत हमारे लिए अतीत पर और वर्तमान एवं भविष्य के लिए उसकी महत्ता पर सोच-विचार करने के लिए बाध्यकारी और ठोस कारण दोनों है। इसके परिणामस्वरूप भारत और नीदरलैंड के बीच आपसी समझ बन सकती है, संबंध और सुदृढ हो सकते हैं तथा फलदायी सहयोग और प्रगाढ़ हो
सकते हैं"।
दी हेग नगर पालिका के उप मेयर, राबिन बलदेवसिंह को 2014 में प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित
किया गया। नीदरलैंड में, ब्रिटेन के बाहर महाद्वीपीय यूरोप में भारतीय प्रवासियों का सबसे बड़ा समुदाय है। उनकी संख्या 220,000 है। उन्हें हिंदुस्तानी समुदाय कहा जाता है जो भारत से सूरीनाम के रास्ते नीदरलैंड आए। उन्हें अपनी भारतीय विरासत और संस्कृति
पर गर्व है और वे भारत का पूरा समर्थन करते हैं। वर्तमान में, हिंदुस्तानी समुदाय के आर्थिक सहयोग से और और दी हेग नगर पालिका के पुरजोर समर्थन से यूरोप में सबसे बड़े हिंदू मंदिर का दी हेग में निर्माण किया जा रहा है। दी हेग नगरपालिका के डिप्टी मेयर, राबिन बलदेवसिंह
को पिछले साल प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था। डच प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल में हमारे कुछ पूर्व देशवासी भी शामिल थे, कुछ पहली बार भारत का दौरा कर रहे थे। जैसी की अपेक्षा थी, यह विषय-वस्तु और वास्तविकता के लिहाज से काफी कामयाब यात्रा थी।
इसने भारत-डच संबंध के केन्द्र में स्थित साझे मूल्यों को छूआ, वे मूल्य जिनका संवर्धन, सुदृढ़ीकरण और समेकन किए जाने की जरूरत है।

*[उपर्युक्त आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। लेखक एक पूर्व
राजनयिक हैं और वे यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि (2004-2010) थे। यह लेख अनन्य रूप से विदेश मंत्रालय की वेबसाइट
www.mea.gov.in के 'इन फोकस’ खंड के लिए लिखा गया है]