श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
शुभ संध्या!
इस वर्चुअल साप्ताहिक ब्रीफिंग में आपका स्वागत है।
मैं एक घोषणा से शुरू करना चाहूँगा। यह वंदे भारत मिशन पर एक अद्यतन के रूप में है। वर्तमान में चल रहे वंदे भारत मिशन के चौथे चरण में 15 से 31 जुलाई के बीच लगभग 120 नई उड़ानों की अतिरिक्त वृद्धि किया गया है। ये अतिरिक्त उड़ानें जीसीसी देशों, मलेशिया, सिंगापुर,
ब्रिटेन, यूरोप, किर्गिस्तान और यूक्रेन से प्रत्यावर्तन की मांग को पूरा करेंगी। इस वृद्धि के साथ, इस चरण में अब भारत में 34 हवाई अड्डों से परिचालित 751 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें हैं। यदि विभिन्न राज्यों की फीडर उड़ानों को शामिल किया जाय , तो चौथे चरण के तहत कुल
926 उड़ानें होंगी। इनमें भारतीय निजी वाहकों - इंडिगो, गो-एयर और स्पाइसजेट की लगभग 180 उड़ानें शामिल हैं। 15 जुलाई तक, 6,87,467 भारतीय नागरिक वापस लौट चुके हैं। 1,01,014, नागरिक नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से भूमि सीमाओं से लौटे हैं। मालदीव, श्रीलंका और ईरान
से भारतीय नौसैनिक जहाजों द्वारा लौटने वालों की संख्या 3,789 है। आपने देखा होगा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने आज घोषणा की है कि वे भारत और अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय एयर बबल्स शुरू करेंगे। यह परिभाषित शर्तों के तहत , दोनों
पक्षों की एयरलाइंस को एक-दूसरे के यात्रियों को ले जाने की अनुमति देगा। इनमें से कुछ एयर बबल्स को अंतिम रूप दे दिया गया है, जबकि पर अन्य वार्ता चल रही हैं। इससे जब तक कि अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा सामान्य स्थिति में बहाल नहीं हो जाती, इन देशों और भारत के बीच
लोगों की आवाजाही में मदद मिलेगी । मंत्रालय विदेश में फंसे भारतीयों के प्रत्यावर्तन की मांग की निगरानी के लिए मिशनों और हमारे पोस्ट के साथ नियमित संपर्क में है और आवश्यकतानुसार वंदे भारत मिशन की उड़ानों की व्यवस्था कर रहा है और हम ऐसा नागरिक उड्डयन मंत्रालय
के साथ चर्चा करके रहे हैं। इसलिए, यह वंदे भारत मिशन पर अद्यतन था और अब हम आपके प्रश्नों की ओर आगे बढ़ सकते हैं। मैं श्री यतिन से अनुरोध करूँगा कि वे उन्हें पढ़ें।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): प्रश्नों का पहला सेट श्री कुलभूषण जाधव पर है।न्यूज़18 से शैलेन्द्र वंगू ने पूछा है - "कुलभूषण जाधव के लिए आज भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को कॉन्सुलर एक्सेस दिया गया था?" टाइम्स नाउ से श्रीनिजॉय
ने पूछा है - "क्या भारत कुलभूषण जाधव को लेकर आईसीजे में वापस जा रहा है? "इंडिया टुडे से गीता मोहन ने पूछा है - "कुलभूषण जाधव तक पहुंच के लिए भारत की शर्तों पर पाकिस्तान की ओर से कोई प्रतिक्रिया? इसके अलावा, पाकिस्तानी संसद को अभी अध्यादेश लाना है जो समीक्षा
याचिका की अनुमति देता है। ऐसे परिदृश्य में और जबकि समयसीमा करीब है, क्या पाकिस्तान फिर से आईसीजे के फैसले के उल्लंघन में नहीं होगा? टाइम्स नाउ से अथर्व ने पूछा है - "20 जुलाई की समय सीमा समाप्त होने से पहले केवल 4 दिन बचे हैं। कांसुलर एक्सेस की संभावना कब
है? पाकिस्तान द्वारा अबाधित और अप्रतिबंधित और अनिरीक्षित एक्सेस न देने के बावजूद, क्या हम एक्सेस पर आगे बढ़ेंगे ? सरकार द्वारा इस पर अगले कदम की क्या संभावना है? " सीएनएन न्यूज़ 18 से महा ने पूछा है - "क्या भारत को आज कुलभूषण जाधव की अबाधित और निर्बाध एक्सेस
प्राप्त हुई है?" द वीक के मंदिरा ने पूछा है - "क्या कुलभूषण जाधव मामले पर कोई अपडेट है? रिपोर्ट्स बताते हैं कि भारत को आज कांसुलर एक्सेस मिलेगा। क्या भारत इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेगा? ”
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
भारत श्री कुलभूषण जाधव के लिए एक निर्बाध, अबाधित और बिना शर्त के कांसुलर एक्सेस के लिए अनुरोध कर रहा है। दिए गए आश्वासन के आधार पर हमारे अधिकारियों ने आज की मीटिंग के लिए कार्यवाही की है। हम अपने अधिकारियों के लौटने तथा रिपोर्ट देने के बाद स्थिति का आकलन करेंगे
। हम अपनी टिप्पणी इसके बाद देंगे ।यतीन आप अगले प्रश्न पर आगे बढ़ सकते हैं।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): विऑन से सिद्धांत ने पूछा - "तब्लीगी जमात विदेशी नागरिकों पर कोई अपडेट?"
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सिद्धांत, तब्लीगी मामले पर, प्रगति हुई है।
विदेशी नागरिकों की संख्या में से , वास्तव में, उन लोगों ने जिन्हें टूरिस्ट वीजा पर तब्लीगी गतिविधियों में लिप्त होने के लिए चार्जशीट किया गया था, उन्होंने हमारी अदालतों में प्ली बार्गेन के लिए आवेदन दायर किया था और अदालतों ने उनके मामले पर विचार किया था। दिल्ली
महानगर मजिस्ट्रेट ने कई तबलीगियों पर, उनके आवेदन के आधार पर जुर्माना लगाया, और उन्हें देश छोड़ने के लिए कहा।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): अगला सवाल डायमर-भाषा बांध पर है।
न्यूज़ नेशन से मधुरेंद्र ने पूछा है - पाक अधिकृत कश्मीर में चीनी फंड से बन रहे बांध के निर्माण की शुरूआत हो चुकी है। भारत का अगला कदम क्या होगा? पीटीआई भाषा से दीपक रंजन ने पूछा है - पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में गिलगित बाल्टिस्तान में पाकिस्तान द्वारा
चीन के सहयोग से डायमर-भाषा बांध के निर्माण शुरू होने की खबर आई है। मंत्रालय की क्या प्रतिक्रिया है ?” इंडिया टुडे से गीता मोहन ने पूछा है - "पाक और चीन के बीच डायमर-भाषा बांध पर काम शुरू करने पर प्रतिक्रिया पूछा है?"
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
देखिये, डायमर-भाषा बांध पर, मुझे लगता है कि मई में किसी समय, मैंने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। हमारी स्थिति अपरिवर्तित बनी हुई है। यह सुसंगत और स्पष्ट है। संपूर्ण जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग थे , हैं और रहेंगे
। हमने पाकिस्तान की सरकार से इस बांध के निर्माण का कड़ा विरोध जताया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के भारतीय केंद्र शासित प्रदेशों की भूमि के एक बड़े हिस्से को यह बांध जलमग्न कर देगा। और हम पाकिस्तान द्वारा उसके अवैध कब्जे के आधीन भारतीय क्षेत्रों में भौतिक परिवर्तन
लाने के निरंतर प्रयासों की निंदा करते हैं। हमने पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों में जहां उनका कोई स्थानाधिकार नहीं है, ऐसी सभी परियोजनाओं पर चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ अपने विरोध और साझा चिंताओं को भी लगातार व्यक्त किया है ।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): सवालों का अगला सेट भारत-ईरान पर है। टेलीग्राफ़ की अनीता जोशुआ ने पूछा है कि क्या यह सच है कि भारत फरजाद बी गैस के मैदानों को खो सकता है क्योंकि ईरान इसे स्थानीय कंपनी को दे रहा है क्योंकि ओवीएल
ने कोई प्रगति नहीं की है। न्यूज़ नेशन से मधुरेंद्र ने पूछा है की -ईरान के साथ चाबहार प्रोजेक्ट में भारत के फंडिंग और निवेश पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार का क्या मत है ? एनएचके वर्ल्ड -जापान के अभिषेक धूलिया ने पूछा है - "क्या आप चाबहार रेल परियोजना की स्थिति
पर अधिक स्पष्टता प्रदान कर सकते हैं क्योंकि ऐसी रिपोर्टें हैं कि भारत अब इसका हिस्सा नहीं है?" सीएनएन न्यूज़18 से महा ने पूछा है - "क्या भारत चाबहार ज़ाहेदान- परियोजना और फ़रज़ाद-बी से भी बाहर है ? यदि हाँ, तो ईरान ने भारत को क्या बताया है कि उन्होंने ऐसा क्यों
किया है? क्या चाबहार ज़ाहेदान पर समझौते को खत्म कर दिया गया है?” पुष्कर बानकर, दीपक रंजन, गीता मोहन, अतहर ख़ान, पंकज पांडे और मंदिरा द्वारा इसी तरह के सवाल पूछे गए हैं ।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
मेरी इस पर विस्तृत प्रतिक्रिया है। हमने चाबहार पोर्ट और चाबहार ज़ाहेदान रेलवे परियोजना के बारे में कुछ अटकलें देखी हैं। पोर्ट के संबंध में, आप सभी जानते हैं कि सन 2003 से एक लंबी प्रतिबद्धता, आखिरकार 2016 में प्रधान मंत्री की ईरान यात्रा के दौरान चालू हुई थी।
तब से, प्रतिबंध की स्थिति से उत्पन्न कठिनाइयों के बावजूद बंदरगाह परियोजना पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। एक भारतीय कंपनी 2018 से परियोजना का संचालन कर रही है और उसने बंदरगाह पर यातायात को लगातार वृद्धि की है । दिसंबर 2018 से, 82 जहाजों को हैंडल किया गया है,
जिसमें पिछले 12 महीनों के 52 भी शामिल हैं। बंदरगाह ने 12 लाख टन थोक कार्गो और 8200 कंटेनरों को हैंडल किया है। वर्तमान में अफगानिस्तान और मध्य एशिया दोनों के लिए चाबहार पोर्ट के उपयोग को बढ़ाने के लिए सक्रिय उपाय किए जा रहे हैं। जहाँ तक प्रस्तावित रेलवे लाइन
का संबंध है, इरकॉन को भारत सरकार द्वारा परियोजना की फिजिबिलिटी का आकलन करने के लिए नियुक्त किया गया था। यह सीडीटीआईसी , जो उनके रेल मंत्रालय के तहत एक ईरानी कंपनी है ,के साथ उस संबंध में काम कर रहा था । इरकॉन ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट की साइट निरीक्षण और समीक्षा
पूरी कर ली है। तत्पश्चात परियोजना के अन्य प्रासंगिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई, उन वित्तीय चुनौतियों को ध्यान में रख कर जो ईरान का सामना कर रहा था। दिसंबर 2019 में तेहरान में 19 वीं भारत-ईरान संयुक्त आयोग की बैठक में इन मुद्दों की विस्तार से समीक्षा की
गई। ईरानी पक्ष को शेष तकनीकी और वित्तीय मुद्दों को अंतिम रूप देने के लिए एक अधिकृत संस्था को नामित करना था। यह अभी भी प्रतीक्षित है। फरज़ाद-बी गैस फ़ील्ड वार्ता के संबंध में कुछ रिपोर्टें भी सामने आई हैं जिनमें ओएनजीसी खोज चरण में शामिल था। हालाँकि, ईरानियन
पक्ष के द्वारा नीतिगत बदलाव से द्विपक्षीय सहयोग अनुवर्ती प्रभावित हुआ था। जनवरी 2020 में, हमें सूचित किया गया कि तत्काल में, ईरान अपने दम पर इस क्षेत्र का विकास करेगा और बाद के चरण में भारत को उचित समय में शामिल करना चाहेगा। इस मामले पर चर्चा चल रही है।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): अगला सवाल सिद्धांत द्वारा है -"पाक ने अफगान गुड्स को वाघा के माध्यम से निर्यात करने की अनुमति दी थी। क्या इस पर हमारी कोई टिप्पणी है?"
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
सिद्धांत, यह पाकिस्तान द्वारा निर्मित सद्भावना मृगतृष्णा का एक और उदाहरण है। हमें इस पर स्पष्ट होना चाहिए। पाकिस्तान अफगान ट्रकों को अफगान गुड्स ले जाने की अनुमति नहीं दे रहा है और एकाधिकार ट्रांसपोर्ट प्रैक्टिसेज की मांग कर रहा है। यह अफगानिस्तान को दो-तरफा
पारगमन अधिकारों की अनुमति नहीं दे रहा है, जैसा कि वह "पाकिस्तान पारगमन व्यापार समझौते” की अफगानिस्तान की पारगमन स्वतंत्रता के आर्टिकल 3 के तहत प्रतिबद्ध है। यह एपीटीटीए समझौता है। इसलिए, भारत और अन्य देशों के उत्पादों को प्रतिबंधित करके अफगानिस्तान में पूर्ण
पारगमन पहुंच से इनकार करके पाकिस्तान कैप्टिव मार्केट्स बनाने की नीति अपना रहा है। वह एपीटीटीए के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में असफल हो रहा है। पाकिस्तान ने मानवीय अनुदान सहायता के हस्तांतरण जिसमें भारत से अफगानिस्तान तक जाने वाला गेहूं भी शामिल है,
से भी इनकार कर दिया है ।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): सवालों का अगला सेट दक्षिण चीन सागर पर है।
न्यूज़ नेशन से मधुरेंद्र ने पूछा है - "साउथ चाइना सी में अमेरिका का स्टैंड की चीन का कोई ऑफशोर क्लेम नहीं माना जायेगा ? उसपे भारत का क्या स्टैंड है?"। पीटीआई से मानस ने पूछा है - "स्टेट सेक्रेटरी , पोम्पिओ ने दक्षिण चीन सागर में चीन के व्यवहार को आक्रामक कहा
है। उस पर भारत की क्या प्रतिक्रिया है? ”।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
हमने अतीत में कई अवसरों पर दक्षिण चीन सागर पर अपनी स्थिति का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है, यह हाल ही में 21 मई, 2020 को भी किया था । इस मुद्दे पर हमारी स्थिति स्पष्ट और सुसंगत रही है। दक्षिण चीन सागर वैश्विक कॉमन्स का एक हिस्सा है और इस क्षेत्र में शांति और
स्थिरता के लिए भारत की चिर रुचि है।हम अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से यूएनसीएलओएस के अनुसार, इन अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों में नेविगेशन और ओवरफ्लाइट और निर्बाध कानूनी वाणिज्य की स्वतंत्रता के लिए मजबूती से खड़े हैं। भारत का यह भी मानना है कि किसी भी मतभेद
को कानूनी और कूटनीतिक प्रक्रियाओं का सम्मान करके और धमकी या बल का उपयोग किए बिना शांति से हल किया जाना चाहिए।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
तो , सवाल का अगला सेट सोने की तस्करी के मामले से है। हिंदू बिज़नेस लाइन के अमृती सेन ने पूछा है - "क्या एमईए स्पष्ट कर सकता है कि क्या यूएई के वाणिज्य दूतावास से अताशे , त्रिवेंद्रम में सोने की तस्करी के सिलसिले में, रविवार को दिल्ली आया और अब देश छोड़ दिया
है?" इसी तरह के सवाल मनोरमा न्यूज़ से अनुपमा, न्यूज़ 18 तमिल से सुचित्रा, सीएनएन न्यूज़ 18 से महा, एशिया न्यूज़नेट के प्रशांत, मातृभूमि से मनोज मेनन, मलयाला मनोरमा से जोमी थॉमस और मनोरमा न्यूज़ से सजु मोहन ने पूछे हैं।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: देखें, इस मामले पर, हमने मीडिया रिपोर्टों को देखा है और इस बिंदु पर मैं जो कह सकता हूं वह यह है कि हम इस मामले में जांच के सिलसिले में यूएई के अधिकारियों के संपर्क में हैं।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): सर। नवभारत टाइम्स के नरेंद्र नाथ मिश्रा ने पूछा है - "कुवैत में लाखों इंडियन पर वहाँ के कई नए रूल का असर हो सकता है। क्या भारत ने कुवैत से कांटेक्ट किया है?
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
नरेन्द्र जी, इसका मैंने जवाब शायद पिछले ब्रीफिंग में दिया था कि कुवैत के जो घटनाक्रम है उस पर हम बारीकी से नजर रखे हुए हैं और इस मामले को लेकर दोनों पक्षों में विदेश मंत्रियों के लेवल पर बातचीत हुई थी.हमारी कुवैत के साथ उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंध है और ये सब
संम्बन्ध जो हैं काफी गहरे हैं। भारतीय समुदाय का कुवैत में और उस रीजन में जो अन्य देश है , उन देशों में काफी सम्मान है , उनका काफी योगदान है और इस योगदान की काफी सराहना भी की जाती है। तो हमारी कुवैत पक्ष से यह अपेक्षा रहेगी की इन बातों को ध्यान में रखते हुए
वह अपने निर्णय लें।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर) : तो सवालों का अगला सेट नेपाल पर है। न्यूज़ नेशन के मेधुरेंद्रेर ने पूछा है - "नेपाल के पीएम के भगवान राम पर दिए बयान पर भारत का क्या रुख है?" विऑन के सिद्धांत ने पूछा है - "नेपाल पीएम के भगवान
राम के नेपाली होने की टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया?" ऐसा ही सवाल प्रणय द्वारा भी पूछा गया है ।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
भारत की जो विशाल और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है, इसके बारे में पूरे दुनिया में सब जानते हैं । और नेपाल के विदेश मंत्रालय ने इस मामले को लेकर एक बयान भी जारी किया हुआ है इसलिए मैं इसपे और कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर) : तो अगला सवाल न्यूज़ 18 तमिल से सुचित्रा का है -"क्या वंदे भारत मिशन के चरण 5 के तहत उड़ानें शिड्यूल की जानी हैं?"
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सुचित्रा अभी चरण 4 चल रही हैं।मैंने अपने अपडेट में बताया था कि 15 जुलाई से यह चरण 4 प्रारंभ होने जा रहा है। यह 31 जुलाई तक चलेगा और जब हम यथोचित स्तर पर पहुँचेंगे, तो हम आपको चरण
5 , यदि कोई होगा , के लॉन्च के बारे में सूचित करेंगे।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): तो अगला सवाल यूरोपियन सिक्योरिटी एंड डिफेंस से सुमन शर्मा का है। कल के भारत-यूरोपीय संघ की प्रारंभिक टिप्पणियों में - "सेक्रेटरी वेस्ट ने समुद्री सुरक्षा पर एक नई डायलॉग का उल्लेख किया। क्या
आप इसके बारे में विवरण साझा कर सकते हैं और यह पिछले वाले से भिन्न कैसे है? "
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
सुमन, मुझे लगता है कि आप रोडमैप 2025 के पैरा 7 का उल्लेख कर रहीं हैं, जो इस समुद्री सुरक्षा डायलॉग को संदर्भित करता है। हमने पहले इस विषय पर एक आधिकारिक स्तर का आदान-प्रदान किया था और हम वास्तव में इस विषय पर आधिकारिक स्तर पर आदान-प्रदान कर रहे हैं। अब इस संवाद
को संस्थागत रूप दिया जा रहा है। मैं जो समझता हूं कि यह डायलॉग सूचना के आदान-प्रदान और अनुभव के बँटवारे की प्रकृति में है। मैं आपके प्रश्न के अनुक्रिया में मैं यह ही कह सकता हूं।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): द वायर के देविरुपा ने पूछा है - "क्या विदेश मंत्रालय को रुड़की इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में नाइजीरियाई छात्र की पिटाई से जुड़ी किसी घटना की जानकारी से अवगत है?"
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
देविरुपा, हमें नाइजीरियाई छात्रों से जुड़ी किसी घटना की जानकारी नहीं है।
श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): महोदय, सवालों का अगला सेट चीन पर है। टाइम्स नाउ से श्रीजॉय ने पूछा है - "क्या पीएलए की टुकड़ियां फ़िंगर फाइव क्षेत्र में जमीं हुई हैं? पीछे के टोलियों में टैंक और तोपखाने सहित सैनिकों और भारी
हथियारों की जमावड़े को कम करने के बारे में भारत ने क्या कहा है? कब कमी होने की संभावना है? ”
द प्रिंट से नयनिमा ने पूछा -"चीन पर नवीनतम अपडेट क्या है? ऐसा लगता है कि डिस-इंगेजमेंट प्रक्रिया लंबे समय तक चलने वाली है।" इसी तरह के सवाल एबीपी से प्रणय उपाध्याय ने भी पूछे हैं।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
भारत और चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में एलएसी के साथ स्थिति को संबोधित करने के लिए स्थापित राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से चर्चा में लगे हुए हैं। जैसे कि आप को पता है, सीमा प्रश्न पर भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि (एस.आर) - श्री अजीत डोभाल, भारत के राष्ट्रीय
सुरक्षा सलाहकार और श्री वांग यी, स्टेट कॉउन्सिलर और चीन के विदेश मंत्री ने 5 जुलाई 2020 को टेलीफ़ोन पर वार्ता की थी । भारत-चीन सीमा मामलों (डब्ल्यूएमसीसी) पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की एक बैठक भी 10 जुलाई 2020 को आयोजित की गई थी। इन बैठकों में,
दोनों पक्ष द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकॉल के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और प्रशांति की पूर्ण बहाली के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पूर्ण डिस-इंगेजमेंट और भारत-चीन सीमा क्षेत्रों से डी-एस्केलेशन पर सहमत हुए हैं। इस संदर्भ में,
भारतीय और चीनी वरिष्ठ कमांडरों ने 14 जुलाई 2020 को चुशुल में अपनी चौथी बैठक की थी । कमांडरों ने चल रही डिस-इंगेजमेंट प्रक्रिया के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा की और जल्द से जल्द पूर्ण डिस-इंगेजमेंट सुनिश्चित करने के लिए आगे के कदमों पर चर्चा की।
भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और प्रशांति की पूर्ण बहाली के उद्देश्य के लिए दोनों पक्ष प्रतिबद्ध हैं। इन परिणामों को हासिल करने के लिए दोनों पक्ष अपनी कूटनीतिक और सैन्य भागीदारी जारी रखेंगे। एल.ए.सी के साथ डिस-इंगेजमेंट की प्रक्रिया जटिल है और असारभूत और
गलत रिपोर्टों से इसलिए बचना चाहिए। इसलिए पश्चिमी क्षेत्र में वर्तमान में जो डिस-इंगेजमेंट प्रक्रिया चल रही है, उसका उद्देश्य विशेष रूप से फेस-ऑफ की स्थितियों और एल.ए.सी पर सैनिकों की निकट-तैनाती को हल करना है।
यह वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच एक समझबूझ पर आधारित है। दोनों पक्ष अपने एलएसी की ओर संबंधित साइड्स पर अपने नियमित पोस्टों को फिर से तैनात करने के लिए विशिष्ट बिंदुओं पर सहमत हुए हैं। ये दोनों पक्षों द्वारा की जाने वाली पारस्परिक रूप से सहमत पारस्परिक कार्रवाइयाँ
हैं। और जैसा कि मैंने पहले ही बता दिया है, यह एक सतत प्रक्रिया है। इस पारस्परिक पुन: तैनाती को गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की स्थिति के संबंध में कोई बदलाव नहीं हुआ है।हम एलएसी का अवलोकन करने और उसका सम्मान करने
के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। एलएसी के यथास्थिति को बदलने का कोई एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है।
क्या कोई और प्रश्न है यतिन?
धन्यवाद। आज की मीडिया ब्रीफिंग यही समाप्त होती है।