श्री राजेश उइके, निदेशक (एक्सपीडी): सभी को नमस्कार। मैं माननीय राष्ट्रपति की नीदरलैंड की इस समय चल रही राजकीय यात्रा पर इस विशेष मीडिया ब्रीफिंग में आप सभी का स्वागत करता हूं । मुझे यहां मेरे साथ बैठे हुए विद्वज्जन का परिचय देते हुए खुशी हो रही है, श्री संजय वर्मा, सचिव (पश्चिम); राष्ट्रपति के प्रेस सचिव, श्री अजय कुमार सिंह; नीदरलैंड में भारत की राजदूत, सुश्री रीनत संधू; और विदेश मंत्रालय में नीदरलैंड सम्बंधी कार्यभार देख रहे संयुक्त सचिव, श्री संदीप चक्रवर्ती। अब, मैं सचिव (पश्चिम) को आमंत्रित करना चाहता हूं कि वे आपको इस यात्रा के बारे में जानकारी दें और यात्रा की दिशा बताएं और यह भी कि अब तक क्या हुआ।
श्री संजय वर्मा, सचिव (पश्चिम) : जी, धन्यवाद। मैं आपके साथ इस यात्रा की व्यापक रूपरेखा साझा करूंगा। फिर मैं अपनी सहयोगी, राजदूत, सुश्री रीनत संधू को इस यात्रा के बारे में अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित करूंगा। राष्ट्रपति जी के प्रेस सलाहकार श्री अजय सिंह भी पिछले दो दिनों में राजकीय यात्रा के दौरान किए गए कार्यों पर अपने विचार और राय साझा करेंगे। चलिये, पहले मैं संदर्भ निश्चित कर देता हूँ। भारत-नीदरलैंड की भागीदारी न केवल विषयों की दृष्टि से, बल्कि हमारे नेतृत्व दल के बीच हुई आवधिक बैठकों से सृजित गति या रफ्तार के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। आपको याद होगा कि नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रट्ट ने वर्ष 2015 और 2018 में भारत का दौरा किया था। हमारे प्रधानमंत्री ने 2017 में नीदरलैंड का दौरा किया था। और वर्ष 2021 में, अर्थात पिछले वर्ष, एक आभासी शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। वर्ष 2020 को छोड़कर, जिसके कारण स्पष्ट हैं, जब कोई उच्च स्तरीय नियोजन नहीं किया गया था, पिछले कुछ वर्षों से लगातार हम उच्चतम राजनीतिक स्तरों पर एक साथ जुडे रहे हैं, जो भारत और नीदरलैंड के बीच मुद्दों की प्रगाढ़ता और समाभिरूपता को दर्शाता है।
राष्ट्रपति जी की यह यात्रा पिछली राष्ट्रपति यात्रा के 34 वर्ष बाद हुई है। राष्ट्रपति जी और प्रथम महिला नागरिक नीदरलैंड नरेश अलेक्जेंडर विलेम और महारानी मैक्सिमा के निमंत्रण पर यहां आए थे। राजकीय यात्रा 4 अप्रैल से आरम्भ हुई थी और आज शाम अंतिम सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ प्रभावी रूप से संपन्न हुई। हम कल भारत के लिए प्रस्थान करेंगे। जैसाकि मैंने कहा, जिस प्रकार सभी राजकीय यात्राओं में होता है, यात्रा के मुख्य तत्वों में औपचारिक पहलू शामिल होते हैं अर्थात औपचारिक स्वागत; नीदरलैंड नरेश और महारानी द्वारा आयोजित भोज; नीदरलैंड के नायकों के लिए राष्ट्रीय स्मारक पर माल्यार्पण करना। हमारे मेजबान, नीदरलैंड नरेश के साथ एक एकांतिक वार्ता हुई, उसके बाद कल निजी स्तर पर दोपहर के भोजन का आयोजन किया गया था। आज, नीदरलैंड के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति जी के साथ एकांतिक भेंट की, उसके बाद दोपहर का भोजन किया, जो कार्यात्मक भी था और भविष्यवादी विधि से दिशाएं तय करने की दूरदर्शिता लिए था। उस समय वहाँ उपस्थित ज्ञान के क्षेत्र से सम्बंधित डब्ल्यूएएच एजेंडा को पूरा कर रहे छह भारतीय उद्यमी भी थे, अर्थात जिसे भारत और नीदरलैंड के बीच जल कृषि स्वास्थ्य एजेंडा कहा जाता है। भारतीय मूल के ये छह उद्यमियों, ने भारत में अध्ययन किया है, लेकिन व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए नीदरलैंड को घर बना लिया है और जिन विषयों में ये स्टार्ट-अप कार्य कर रहे हैं, वे हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एग्रीटेक, मेडिकल रोबोटिक्स, जियोस्पेशियल डेटा, क्लाइमेट स्मार्ट कृषि और सहायक चिकित्सा प्रौद्योगिकी। आपको एक उदाहरण देता हूँ, जब हम मेडिकल रोबोटिक्स कहते हैं, तो यह सर्जरी के लिए रोबोट का उपयोग करने के बारे मैं होता है; जियोस्पेशियल डेटा मौसम के पैटर्न के बारे में, बादल बनने आदि से सम्बंधित डेटा का उपयोग के बारे में होता है ताकि किसानों को जलवायु परिवर्तन का पूर्वानुमान लगाने में सहायता मिल सके; और सहायक चिकित्सा प्रौद्योगिकी, जिसका आज हमने जो उदाहरण देखा वह दृष्टिबाधित लोगों के लिए था, जो किसी भी लिखित पाठ की ओर निर्देशित किए जाने पर, पाठ को मौखिक रूप में प्रस्तुत करता है। इसलिए यदि आपको दृष्टि संबंधी कोई समस्या है, तो आप उस उपकरण को पहनते हैं और यह उपकरण दृष्टिबाधित व्यक्ति को दिए गए पाठ को पढ़ेगा। तो यह इस संदर्भ में भविष्यवादी था कि वे सभी एआई पर आधारित हैं, वे स्टार्ट-अप हैं और उस परिभाषा के अनुसार, वे ज्ञान आधारित हैं, और इसमें सभी भविष्यवादी प्रौद्योगिकियां शामिल होंगी।
दोपहर का यह भोजन बहुत ही विशेष था, और यह विशेष बन गया जब नीदरलैंड के प्रधानमंत्री ने छह भारतीय उद्यमियों के कार्य को प्रदर्शित किया था, ऐसा करके एक साथ द्विपक्षीय एजेंडा इंगित किया गया था, जब इस क्षेत्र में नीदरलैंड की इन्कयुबेशन सुविधाओं को प्रदर्शित किया था। इसके अलावा, इस यात्रा के दौरान चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। पहला समझौता बंदरगाह, समुद्री परिवहन और सम्भारिकी के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन और द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने के सम्बंध में है। दूसरा, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार और नीदरलैंड के आर्थिक मामलों, कृषि और नवाचार मंत्रालय के बीच सहयोग कार्यक्रम का विस्तार करने से संबंधित है। तीसरा, लाईडन विश्वविद्यालय और केरल ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद तथा नीदरलैंड के राष्ट्रीय अभिलेखागार के बीच 17 वीं शताब्दी के अभिलेखागार को डिजिटाइज़ करने और उन्हें भारतीय एवम अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं हेतु उपलब्ध कराने के लिए कॉसमॉस मालाबारिकस परियोजना के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन था। और चौथा राज्य अभिलेखागार विभाग केरल और नीदरलैंड के राष्ट्रीय अभिलेखागार के साथ साझा सांस्कृतिक विरासत के निष्पादन पर समझौता ज्ञापन का विस्तार करने के सम्बंध में था।
राष्ट्रपति जी की नीदरलैंड नरेश के साथ, प्रधानमंत्री के साथ चर्चा के दौरान, और नीदरलैंड की सीनेट और प्रतिनिधि सभा के अध्यक्षों के साथ हुई बातचीत में क्षेत्रीय, द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय सरोकारों पर चर्चा की गई। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि यूक्रेन पर भी चर्चा हुई और राष्ट्रपति जी ने नीदरलैंड का ध्यान इस बात पर दिलाया कि यूक्रेन के मुद्दे पर भारत का भी एक पक्ष है और यह पक्ष शांति का है, युद्ध की समाप्ति का पक्ष है, यह आग्रह करने का कि कूटनीति और बातचीत ही इस संघर्ष से निकलने का एकमात्र रास्ता है। साथ ही, राष्ट्रपति जी ने यह भी साझा किया कि बुचा से आ रही रिपोर्टें, जिनसे नागरिकों के हताहत होने की सूचना मिली है, भारत के लिए बहुत परेशान करने वाली हैं, और भारत इन हत्याओं की स्पष्ट रूप से निंदा करता है और उसने इस सप्ताह के आरम्भ में हुई नागरिकों की जीवन क्षति की स्वतंत्र जांच का आग्रह और समर्थन किया है।
इस यात्रा का दूसरा पहलू भारत-नीदरलैंड के राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का उत्सव नीदरलैंड के राष्ट्रीय प्रतीक ट्यूलिप का उपयोग करते हुए मनाया जाना था। नीदरलैंड की ओर से, एक विशेष प्रयास के रूप में, उन्होंने इस अवसर पर ट्यूलिप की एक अनूठी नस्ल पैदा की, और इस नस्ल का उद्घाटन या उसे सार्वजनिक करने का सम्मान हमारी प्रथम महिला नागरिक को दिया गया और हमने अपनी ओर से ट्यूलिप की उस किस्म का नाम मैत्री रखा, जो भारत और नीदरलैंड के बीच दोस्ती पर बल देता है। संयोगवश, इतिहास में भारत-नीदरलैंड की कहानी 400 साल पुरानी है, जब डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई थी। आज शाम, यात्रा के समापन समारोह के रूप में, विशेष रूप से भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाने के लिए भारत से आए 35 कलाकारों द्वारा रामायण का कलाक्षेत्र प्रदर्शन का आयोजन था। तो, यह हमारे आज़ादी का अमृत महोत्सव का हिस्सा था और इसमें नीदरलैंड नरेश और महारानी ने अपनी उपस्थिति से समारोह की शोभा बढ़ाई। तो, इसमें हम मेजबान थे। हम, अर्थात विदेश मंत्रालय और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, इस भव्य आयोजन के मेजबान थे, जिसे न केवल अभिमत निर्माताओं और व्यापारिक समुदाय तथा नीदरलैंड के लेखकों और मीडिया द्वारा देखा गया, बल्कि इस अद्भुत राजधानी नगर के राजनयिक केंद्र ने भी देखा। मैंने इस यात्रा के व्यापक पहलुओं को आपके साथ साझा किया है और मैं सबसे पहले अपनी सहयोगी, नीदरलैंड में भारत की राजदूत, सुश्री रीनत संधू को इस अत्यंत सफल यात्रा पर अपना दृष्टिकोण साझा करने के लिए आमंत्रित करूंगा, जो सौहार्द और अतिथि-सत्कार तथा ढेर सारी सद्भावना से भरपूर रही है।
सुश्री रीनत संधू, नीदरलैंड में भारत की राजदूत: धन्यवाद, संजय। जी, मैं आपके आकलन से सहमत हूं कि राष्ट्रपति जी का यहां नीदरलैंड नरेश और महारानी तथा प्रधानमंत्री द्वारा बहुत उत्साह से स्वागत किया गया है। आज सुबह, उन्होंने सीनेट अध्यक्ष और प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष के साथ भी बैठक की। मुझे लगता है कि समग्र तौर पर, भारत के प्रति बहुत गर्मजोशी और सद्भावना एवं द्विपक्षीय भागीदारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता थी। इस यात्रा ने उस आदर्श की फिर से पुष्टि करने में मदद की है जिसे दोनों ही पक्ष भारत-नीदरलैंड संबंधों से जोड़कर देखते हैं। इस यात्रा ने कई क्षेत्रों में हमारी समाभिरूपता को उजागर किया, विशेष रूप से द्विपक्षीय मोर्चे पर। जैसाकि आपने बताया, दोनों पक्षों ने जल, कृषि और स्वास्थ्य के प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों में हमारे सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। मौजूदा पूरकताओं और नीदरलैंड में मौजूद मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र को देखते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और नवाचार में; इसे एक ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उजागर किया गया जहां दोनों देश भागीदार हो सकते हैं। और फिर निश्चित रूप से, आर्थिक संबंध तो हैं ही जो हमारे बढ़ते सहयोग की आधारशिला है। भारत में बड़ी संख्या में डच कंपनियां मौजूद हैं और भारतीय कंपनियां हैं, जो यहां काम कर रही हैं और निवेश में भी वृद्धि हो रही है। नीदरलैंड भारत में हमारे सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। इसलिए आर्थिक संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस यात्रा ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समाभिरूपता को भी रेखांकित किया। हम दोनों देश स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में विश्वास रखते हैं। जलवायु परिवर्तन और संपोषणीयता के बारे में हमारे समान साझा सरोकार हैं। और जलवायु परिवर्तन एवम नवीकरणीय ऊर्जा के इस क्षेत्र में बहुत काम किया जा रहा है, जहां यदि कहूं तो, नीदरलैंड की स्थिति काफी अच्छी है। तो कुल मिलाकर, यह एक उत्कृष्ट यात्रा रही। और आप जानते हैं, समग्र रूप से, सभी बैठकों में इस सहयोग को और मजबूत करने के लिए दोनों पक्षों की बहुत मजबूत प्रतिबद्धता उजागर हुई। और मैं यह भी कहना चाहूंगी कि डच विदेश मंत्री अप्रैल में रायसीना संवाद के लिए भारत जा रहे हैं, और वे ट्यूलिप समारोह के नामकरण में वहां मौजूद थे, जिससे पता चलता है कि वे इस भागीदारी को कितना महत्व दे रहे हैं। धन्यवाद।
श्री संजय वर्मा, सचिव (पश्चिम) : धन्यवाद, रीनत। मैं अब राष्ट्रपति जी के मीडिया सलाहकार श्री अजय कुमार सिंह को इस यात्रा के बारे में अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित करता हूं।
श्री अजय कुमार सिंह, भारत के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव: धन्यवाद, संजय। मुझे लगता है कि इस तरह की व्यापक ब्रीफिंग के बाद, मुझे कुछ और कहने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है।
श्री संजय वर्मा, सचिव (पश्चिम) : यदि मैं नीदरलैंड के नेतृत्व दल द्वारा किए गए स्वागत और सम्मान एवं भागीदारी के संदर्भ में कहूं, तो यह इस अर्थ में एक शानदार और उत्कृष्ट यात्रा रही है कि पिछली शाम के भोज में पूरा मंत्रिमंडल इस अवसर पर उपस्थित था और यह राष्ट्रपति जी के सम्मान में था, यह भारत के सम्मान में था, और यह भी इंगित किया गया था कि भारत-नीदरलैंड की कहानी के कई पहलू हैं। और यात्रा के दौरान मंत्रियों की उपस्थिति और उनके साथ प्रतिनिधियों के रूप में हुई चर्चाएं बहुत उपयोगी साबित हुई हैं और यह प्रतीत हो रहा है कि आगे का रास्ता और भी गहन होगा क्योंकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अलावा, यूरोपीय संघ में सहयोग करने पर भी समाभिरूपता है। हमारी व्यापार और निवेश वार्ता अथवा वार्ता प्रक्रिया, जो शीघ्र ही शुरू होगी, को हमारे मेजबानों का पूरा समर्थन प्राप्त है और यात्रा के दौरान इस पर कई बार बल दिया गया। संदीप चक्रवर्ती, संयुक्त सचिव (यूरोप पश्चिम) हैं, मैं उन्हें इस यात्रा पर अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित करता हूं।
श्री संदीप चक्रवर्ती, संयुक्त सचिव (ईडब्ल्यू): जिस विषय का मैं उल्लेख करना चाहता हूँ वह है जल पर रणनीतिक भागीदारी । कुछ दिन पहले ही संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए गए थे और सभी चर्चाओं में भी सभी नेताओं ने यह उल्लेख किया था कि मुझे लगता है कि हमारे सहयोग के एजेंडा में प्रमुख जल होगा और दिलचस्प बात यह है कि आज की चर्चा में नीदरलैंड के प्रधानमंत्री ने डब्ल्यूएएच एजेंडा का जिक्र किया और कहा कि ‘डब्ल्यूएएच’ हिंदी में ‘वाह’ होता है, और हमारा रिश्ता वाकई वाहवाही के लायक है। मैं समझता हूं कि इससे हमारे संबंधों की गहराई को अलग तरह का अर्थ मिला है। और सचिव (पश्चिम) और राजदूत महोदया ने जो कहा वह था स्टार्ट-अप पर ध्यान केंद्रित करना। और मेरा विचार है कि एक और फोकस का क्षेत्र, जो इसके साथ जुड़ा है, वह है युवाओं पर ध्यान केंद्रित करना और मेरा मानना है कि लंच के दौरान दोनों नेताओं ने दोनों देशों के युवाओं को शुभकामना दी। मुझे लगता है कि यह एक और घटक है, जिस पर हम आने वाले महीनों और वर्षों में अधिक ध्यान देंगे।
श्री संजय वर्मा, सचिव (पश्चिम) : जी, धन्यवाद।
वक्ता 1: (अस्पष्ट) डच हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने भारत को अगले तीन वर्षों के लिए किस क्षेत्र हेतु फोकस देश बनाया है?
श्री संजय वर्मा, सचिव (पश्चिम) : जी, धन्यवाद। खैर, मैं यहां यह बताना चाहता हूं कि सीनेट और प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष के साथ राष्ट्रपति जी की बातचीत सीनेट में नहीं हुई क्योंकि उसका नवीनीकरण या मरम्मत चल रही है, यह एक तटस्थ स्थल था। बहरहाल, आपके प्रश्न के लिए बातचीत अधिक महत्वपूर्ण थी और हम खुशी-खुशी आपको यह जानकारी दे रहे हैं कि यह चर्चा दोनों पक्षों की विधायी क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की इच्छा पर केंद्रित थी कि सांसदों को अधिक बार मुलाकात करनी चाहिए और जहां तक अगले तीन वर्षों में भारत पर ध्यान केंद्रित करने का सम्बंध है, राष्ट्रपति जी ने प्रतिनिधियों और हमारे मेजबानों के समक्ष जो इच्छा व्यक्त की है और जो निर्देश दिए हैं, वे ये हैं कि हमें सांसदों के स्तर पर अपनी बातचीत बढ़ानी चाहिए। इसके अलावा, यूक्रेन का मुद्दा और उस कांसुलर का मुद्दा भी उठाया गया था जिसे आपके यहां रहते हुए नज़रंदाज़ करना मुश्किल था। इसमें एक नाराज़ पत्नी द्वारा अपने पूर्व पति के खिलाफ मामला दायर करना शामिल है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह अपनी बेटी को भारत ले गया था, और यह मामला भारत में न्यायाधीन है। इसलिए, इस मामले में राष्ट्रपति जी सहित भारत में कार्यपालिका के लिए कोई प्रभाव या कोई भूमिका होने की बहुत सीमित गुंजाइश है, लेकिन फिर भी राष्ट्रपति जी ने हमें निर्देश दिए कि कानूनी तौर पर, जैसा भी मामला है, उसकी सीमाओं के भीतर रहते हुए यदि किसी भी तरह से हम माँ को कुछ राहत प्रदान कर सकते हैं, तो उसका अनुसरण किया जा सकता है। लेकिन फिर, यह मामला मीडिया में रहा है, नीदरलैंड की संसद में आया है और इस कारण से, इसे महामहिम, प्रधानमंत्री और साथ ही दोनों अध्यक्षों द्वारा उठाया गया था और इस प्रश्न पर यही हमारी प्रतिक्रिया रही है। और यूक्रेन के बारे मैं पहले ही बता चुका हूं कि यह भी चर्चा का विषय था। बस इतना ही।
वक्ता 2: (अस्पष्ट)
श्री संजय वर्मा, सचिव (पश्चिम) : आप ठीक कह रहे हैं, हमारे पास संभवत: दुनिया में तीसरे सबसे अधिक स्टार्टअप हैं। नीदरलैंड में स्टार्टअप इकोसिस्टम से हम जो तात्कालिक सबक ले सकते हैं, वह है इनक्यूबेशन सेंटर; क्योंकि सभी छह युवा भारतीय उद्यमियों ने यहाँ उपलब्ध सुविधा के स्तर की, जिस सहजता के साथ वे अपने उद्यमों को स्थापित कर पाए तथा सफलतापूर्वक लाभकारी बना पाए हैं, की अत्यधिक प्रशंसा की हैं। लेकिन जो बात अनोखी थी वह यह थी कि उन सभी छहों के मानस में भारत बसा था। इसलिए भले ही आप नीदरलैंड में हों, कुछ बहुत ही स्पष्ट सुविधाओं के लिए, अंततः, आपके उद्यम की सफलता भारत जैसे देश में मौजूद पैमाने और आकार और चुनौतियों पर निर्भर करेगी। इसलिए, यदि भारत आपके व्यवसाय का लक्ष्य है, तो इसमें समय तो निश्चित तौर पर लगेगा कि जब हम स्वयं ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करने और वहन करने में सक्षम होंगे जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करता है। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, मुझे लगता है कि नीदरलैंड जैसे मित्र देशों के साथ हम खुशी-खुशी सहयोग करेंगे और क्यों नहीं करें, क्योंकि भारतीय प्रवासी, हमारे इंजीनियरिंग कॉलेजों, प्रबंधन स्कूलों, विज्ञान संस्थानों से निकलने वाली हमारी उत्कृष्ट प्रतिभा, उच्च शिक्षा के लिए विदेशों में भी यात्रा कर रहे हैं और वे कहीं न कहीं भारत वापस आने की जरूरत महसूस करते हैं। और इसी कारण से, मुझे लगता है कि आज जो हुआ, वह दुनिया की विकसित राजधानियों में उपलब्ध उद्यमिता का उपयोग करने वाले भारतीय शिक्षित युवाओं के संबंध का एक बड़ा उदाहरण था। लेकिन भारत में उनकी जड़ें मजबूत हैं, (अस्पष्ट) क्योंकि यही वह जगह है जहां बाजार है, यही वह जगह है जहां से आंकडे आने वाले हैं, वहीं से बड़ा डेटा सामने आएगा। जल, कृषि और स्वास्थ्य पर मैं अपने सहयोगी संदीप से कुछ विवरण साझा करने का अनुरोध करता हूं।
श्री संदीप चक्रवर्ती, संयुक्त सचिव (ईडब्ल्यू): जल हमारे द्विपक्षीय संबंधों का केंद्र बिंदु है। जैसाकि मैंने कहा है, जल के संबंध में सामरिक भागीदारी की घोषणा की गई है और हमने जल अवसंरचना मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने हमारे जल शक्ति मंत्री को आमंत्रित किया है। कुछ दिन पहले उनकी वर्चुअल मीटिंग हुई थी। इसलिए जल एजेंडा पर बहुत सारे कार्यकलाप होंगे, विशेष रूप से नीदरलैंड गंगा की सफाई में शामिल है, यह एक ऐसा पहलू है जिसे सभी नेताओं ने महत्व दिया। कृषि के मोर्चे पर, उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की एक परियोजना है, जिसका लक्ष्य 2025 तक 25 केंद्र स्थापित करना है, हमारे पास पहले से ही 7 केंद्र हैं जो कार्यात्मक हैं, और अब अन्य केंद्र स्थापित करने का प्रयास है। स्वास्थ्य के मोर्चे पर, डिजिटल स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया गया है। और साथ ही डच दिलचस्पी एएमआर में है और मुझे लगता है कि उस पर भी, वैक्सीन में कुछ सहयोग हुआ है और सीरम इंस्टीट्यूट ने नीदरलैंड में एक कंपनी का अधिग्रहण किया है और मेरा विचार है कि यह वैक्सीन के अनुसंधान और विकास में एक बड़ी भूमिका निभाना शुरू कर देगा। इसलिए मेरा मानना है कि यह एक बहुत ही भारी-भरकम एजेंडा है। और आज, प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि अब हमें इस एजेंडा को आगे बढ़ाने में अधिक से अधिक युवाओं को शामिल करना चाहिए।
वक्ता 3: (अस्पष्ट) स्वयं, लेकिन 34 वर्षों के बाद राष्ट्रपति की यह यात्रा रही है। अब, विदेश मंत्री, जो उप प्रधानमंत्री भी हैं, रायसीना संवाद के मद्देनजर भारत की यात्रा करेंगे। इस यात्रा का क्या महत्व है?
श्री संजय वर्मा, सचिव (पश्चिम) : मैं यह नहीं कहूंगा कि रायसीना संवाद केवल नीदरलैंड के साथ हमारे घनिष्ठ संबंधों से ही प्रभावित होगा। रायसीना संवाद अपने आप में विदेश नीति के क्षेत्र का एक असाधारण मंच है। यह विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, ओआरएफ द्वारा आयोजित किया जाता है, जो आज दुनिया के शीर्ष पांच या छह विचार मंचों में से एक है। तो यह अपने आप में एक बहुत ही आकर्षक मंच र्है और पिछले कुछ सप्ताहों में यूरोप में जो घटनाक्रम हुआ है, उसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस कारण से, मुझे लगता है, कई मायनों में, रायसीना संवाद विदेश नीति के क्षेत्र में किसी के लिए भी उपलब्ध पहले बहुपक्षीय विचार मंच का अवसर होगा। और इसी कारण से, पिछली गणना तक, मेरी जानकारी में, रायसीना संवाद के लिए लगभग 10 विदेश मंत्री भारत आए थे। और यह तीन दिवसीय संवाद बहुत जीवंत होने वाला है। आप जानते हैं, विचारणीय सूची में क्या होगा, यह बहुत स्पष्ट है, और मुझे लगता है कि बहुत कुछ कहा-सुना जाएगा, बहुत सारी चर्चाएँ होंगी और आशा है, हम तब तक वास्तव में यूक्रेन में कुछ शांति, स्थायी शांति देखेंगे। मेरा विचार है रायसीना संवाद 25 अप्रैल को है।
वक्ता 4: (अस्पष्ट)
सुश्री रीनत संधू, नीदरलैंड में भारत की राजदूत: यह लोगों के बीच परस्पर संबंधों और भारतीय समुदाय के स्तर पर हमारे संबंधों की शक्ति की बात है। और यह बात डच नेतृत्व के साथ हमारी प्रत्येक बातचीत में भी सामने आई। उन्होने कई क्षेत्रों में भारतीय समुदाय के योगदान की बहुत सराहना की, और मेरे सहयोगियों ने युवाओं के बारे में उल्लेख किया है। इसलिए यहां आने वाले छात्रों का वे बहुत स्वागत करते हैं और आने वाले छात्रों की बहुत सराहना करते हैं और कैसे हम शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी सहयोग कर सकते हैं। तो, मैं समझती हूं, यह भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात थी, जिसे शायद आपने भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में कवर किया है और आपने आज देखा कि हमारे यहां कितना सक्रिय समुदाय है। धन्यवाद।
श्री राजेश उइके, निदेशक (एक्सपीडी): यदि कोई और प्रश्न नहीं है, तो महोदय, आपकी अनुमति से, मैं इस विशेष मीडिया ब्रीफिंग को समाप्त करना चाहता हूं। धन्यवाद, महोदय। धन्यवाद, महोदया। आप सबको धन्यवाद। शुभ रात्रि।