This page uses Javascript. Your browser either doesn't support Javascript or you have it turned off. To see this page as it is meant to appear please use a Javascript enabled browser.
This website uses Javascript
This website uses Javascript
This website uses Javascript
This website uses Javascript
This website uses Javascript
Ministry of External Affairs
साइटमैप
संपर्क
प्रतिक्रिया
मीडिया लॉगिन
मुख्य सामग्री पर जाएं
स्क्रीन रीडर का उपयोग
Please select Language
English
हिन्दी
java script is required for this page
विदेश मंत्रालय
भारत सरकार
व्हाट्स न्यू
Search
java script is required for this page
मुख पृष्ठ
हमारे बारे में
प्रोफाइल
विदेश मंत्रालय संगठन
हमारे साथ इंटर्नशिप
तोशाखाना में प्राप्त उपहारों का प्रकटीकरण
भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों की अचल संपत्ति विवरणियां
यात्रायें
जावक यात्रायें
राष्ट्रपति की यात्रायें
उपराष्ट्रपति की यात्रायें
प्रधान मंत्री की यात्रायें
विदेश मंत्री की यात्रायें
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का दौरा (ऑपरेशन सिंदूर)
आवक यात्रायें
आभासी बैठकें
मीडिया सेंटर
प्रवक्ता कार्यालय
कार्मिक
विदेशी संचार माध्यम की सुगमता
संचार माध्यम प्रत्यायन
भारत में वृत्तचित्र फिल्माँकन
विदेश मंत्रालय का मीडिया अभियान
भाषण और वक्तव्य
प्रेस विज्ञप्तियाँ
द्विपक्षीय / बहुपक्षीय प्रलेख
मीडिया के प्रश्नों पर प्रतिक्रिया
प्रेस वार्ता
फोटो गैलरी
वीडियो वार्ता
मीडिया परामर्शी
साक्षात्कार
संसदीय प्रश्न एवं उत्तर
लोक सभा
राज्य सभा
भारतीय संधि डाटाबेस
प्रकाशन
भारत में व्यवसाय
वार्षिक रिपोर्ट
विदेश मंत्रालय
अन्य कार्यालय
अन्य प्रकाशन
ओआईए प्रकाशन
प्रलेख
आर्किव्स
एन.ए.आई. आर्किव्स
कांसुलर सेवाएं
कांसुलर सेवाएं
कांसुलर सर्विसेज के लिए गाइड
अभिप्रमाणन / अपौस्टिल
अविवाहित / एकल स्थिति प्रमाणपत्र
नोरी
कॉन्सुलर एक्सेस
सजा प्राप्त व्यक्तियों का स्थानांतरण
पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT)
पासपोर्ट सेवाएं
वीजा सेवाएं
ऑनलाइन भारतीय वीजा
राजनयिक / आधिकारिक वीजा
सत्यापित करें विदेश वीजा/ परमिट/ सी डी सी
भारतीय नागरिकों के लिए वीजा सुविधा (साधारण पासपोर्ट)
वीजा छूट समझौतें
वीज़ा सुविधा समझौते
एफआरआरओ द्वारा प्रदत्त वीज़ा सेवाएँ
आउटसोर्स सीपीवी सेवाएं
प्रवासी और प्रवास के मुद्दे
संवाद और समझौतों
बहुपक्षीय सहयोग
मॉडल अनुबंध
अधिसूचना
सामाजिक सुरक्षा समझौतों
श्रम गतिशीलता भागीदारी (एलएमपीए)
समझौता ज्ञापन (एमओयू)
स्वायत्त निकायों
संपर्क करें
अभिलेख
विदेशी भारतीयों की आबादी
प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न
लोक राजनय
विशिष्ट व्याख्यान
वृत्तचित्र
भारत परिप्रेक्ष्य
मिशन
सूचना का अधिकार
करियर
इंटर्नशिप
रिक्तियाँ
यात्रायें
मुख पृष्ठ
›
यात्रायें
›
जावक यात्रायें
›
यात्रा विवरण
Detail
यूके - भारत शिखर बैठक 2015 पर संयुक्त वक्तव्य (12 नवंबर, 2015)
नवम्बर 12, 2015
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने 12 और 13 नवंबर को लंदन में बैठक की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच संबंधों में बढ़ती मजबूती, इसके विस्तार एवं गहराई पर खुशी जाहिर की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और यूके के बीच यह स्थायी संबंध दोनों देशों के लोगों की सुरक्षा एवं समृद्धि को बढ़ावा देने एवं रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत का आर्थिक विकास और वैश्विक महाशक्ति के रूप में उत्थान इसे और गहन करने तथा इस साझेदारी को आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, समावेशी विकास को सुदृढ़ करने, नियमों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को सुदृढ़ करने तथा वैश्विक चुनौतियों से निपटने का अवसर प्रदान करता है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने विजन वक्तव्य का समर्थन किया जो मौलिक सिद्धांतों को प्रतिपादित करता है जिन पर यूके - भारत साझेदारी निर्मित है और यह सहयोग को गहन करने के लिए एक रोड मैप को रेखांकित करता है। उन्होंने इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री स्तर पर द्विवार्षिक शिखर बैठकों का आयोजन करने का संकल्प किया। उन्होंने एक नई रक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी पर सहमत होने का भी संकल्प किया जिससे साइबर सुरक्षा, आतंकवाद की खिलाफत एवं समुद्री सुरक्षा सहित रक्षा एवं सुरक्षा पर सहयोग गहन होगा।
यह नोट करते हुए कि जलवायु परिवर्तन से निपटना और ऊर्जा की सुरक्षित, सस्ती और स्थाई आपूर्तियों को बढ़ावा देना भारत और यूके की साझी सामरिक प्राथमिकताएं हैं, वे ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त वक्तव्य का समर्थन करने के लिए सहमत हुए। दोनों प्रधानमंत्री ''तीसरे देशों में सहयोग के लिए साझेदारी पर मंशा वक्तव्य'' के माध्यम से विकास के लिए वैश्विक साझेदारी में द्विपक्षीय सहयोग की मात्रा बढ़ाने पर भी सहमत हुए जो तीसरे देशों के साझेदारों के लाभ के लिए साथ मिलकर काम करने को सुगम बनाएगा जिसके तहत पूर्णतया मांग पर आधारित ढंग से उनकी विकास चुनौतियों से निपटने में उनकी मदद की जाएगी।
वैश्विक साझेदारी
दोनों प्रधानमंत्रियों ने नोट किया कि उत्तरोत्तर जटिल एवं आपस में जुड़े विश्व में वैश्विक मुद्दों पर पहले से ही घनिष्ठ साझेदारी को गहन करना समृद्धि एवं सुरक्षा की रक्षा करने और बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
वे इस बात पर सहमत हुए कि यह समृद्धि एवं सुरक्षा नियमों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली पर आधारित है जिसे बड़े पैमाने पर स्वीकार किया गया है और निरंतर लागू किया जा रहा है। 70 साल पहले निर्मित अंतर्राष्ट्रीय वास्तुशिल्प ने परिवर्तनकारी विकास के लिए स्थान को सुरक्षित रखने में अमूल्य भूमिका निभाई है। चूंकि आज विश्व बदल गया है, नियमों पर आधारित इस अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में भी परिवर्तन होने चाहिए तथा इसका नवीकरण होना चाहिए। प्रधानमंत्री कैमरन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए यूके की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की जिसमें भारत एक स्थाई सदस्य के रूप में होगा तथा उन्होंने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में भारत का प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिए। दोनों प्रधानमंत्रियों ने उस महत्व को रेखांकित किया जो वे जी-20 को प्रदान करते हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए और साथ ही जी-20 की शिखर बैठकों में सफल परिणामों के लिए अग्रणी फोरम के रूप में जी-20 की पूर्ण क्षमता को साकार करने के लिए एक - दूसरे के साथ और जी-20 के अन्य सदस्यों के साथ निकटता से भागीदारी करने के लिए सहमत हुए।
एशिया और हिंद महासागर में स्थिरता एवं समृद्धि में भारत और यूके के हित समान रूप से जुड़े हैं। दक्षिण एशियाई क्षेत्र भारत की भू-सामरिक स्थिति एवं हितों को ध्यान में रखते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकवाद, संपर्क और समुद्री मुद्दों सहित सुरक्षा को शामिल करते हुए एक वार्षिक वरिष्ठ अधिकारी दक्षिण एशिया वार्ता की स्थापना के माध्यम से इन क्षेत्रों में विद्यमान द्विपक्षीय परामर्श एवं सहयोग को गहन करने एवं बढ़ाने का संकल्प किया।
दोनों नेताओं ने सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों के आतंकवाद की निंदा की तथा अपने - अपने संगत अधिकारियों को यूएन आतंकी पदनामों पर घनिष्ठ एवं नियमित परामर्श करने का निर्देश दिया। उन्होंने मुंबई में नवंबर, 2008 के आतंकी हमले के दोषियों को दंडित करने के लिए पाकिस्तान से अपने आह्वान को भी दोहराया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने नेपाल में स्थाई एवं समावेशी संवैधानिक समाधान के महत्व पर जोर दिया जिससे सरोकार के शेष सरोकारों का समाधान होगा और राजनीतिक स्थिरता तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राष्ट्रीय पुनर्निर्माण प्राधिकरण भूकंप पश्चात पुनर्निर्माण को सुगम बनाने के लिए जल्दी से जल्दी काम करना शुरू कर देगा। उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के हाल के संकल्प के बाद श्रीलंका अब अपने सभी लोगों के लिए स्थाई शांति एवं समृद्धि लाने में समर्थ होगा और इसे प्राप्त करने के लिए श्रीलंका सरकार के साथ काम करने की अपनी प्रतिबद्धता रेखांकित की। उन्होंने एक स्वतंत्र न्यायपालिका सहित मालदीव में स्थिर एवं समावेशी लोकतंत्र के महत्व पर जोर दिया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने संप्रभु, लोकतांत्रिक तथा अखंड अफगानिस्तान के लिए स्थिर, सुरक्षित एवं सफल भविष्य के लिए अपनी साझी प्रतिबद्धता एवं समर्थन पर जोर दिया। उन्होंने अफगानिस्तान में संपोषणीय एवं समावेशी राजनीतिक व्यवस्था के महत्व पर जोर दिया जिससे यह सुनिश्चित होगा कि पिछले दशक में जो उपलब्धियां हासिल हुई हैं वे और सुदृढ़ हों तथा अप्रतिवर्त्य बनी रहें।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने सीरिया एवं इराक में समावेशी राजनीतिक समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया तथा इन भयानक संघर्षों के पीडि़तों की और सहायता करने की प्रतिबद्धता की। वे दोनों देशों के लिए प्राथमिकता के क्षेत्र के रूप में पश्चिम एशिया / मध्य - पूर्व पर नियमित वार्षिक वरिष्ठ अधिकारी वार्ता का आयोजन करना जारी रखने पर सहमत हुए।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर ऐतिहासिक सहमति का स्वागत किया तथा इसके तेजी से एवं पूर्ण कार्यान्वयन के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मजबूत प्रतिबद्धता को नोट किया।
दोनों प्रधानमंत्री इस बात पर सहमत हुए कि पूर्वी यूक्रेन में संकट को कम करने का एकमात्र रास्ता करार के सभी पक्षकारों द्वारा मिंस्क उपायों को पूरी तरह लागू करना है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2015 पश्चात विकास एजेंडा 'हमारे विश्व को बदलना : संपोषणीय विकास के लिए एजेंडा 2030' को अपनाए जाने का स्वागत किया तथा इसके कार्यान्वयन में मदद करने की प्रतिबद्धता की। उन्होंने यह स्वीकार किया कि संपोषणीय विकास लक्ष्यों के साथ नया एजेंडा 2030 का प्रमुख फोकस गरीबी उन्मूलन है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत - यूके साइबर वार्ता 2015 में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने इंटरनेट अभिशासन की खुली, समावेशी, पारदर्शी एवं बहु-हितधारक प्रणाली का समर्थन किया तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सूचना समाज पर विश्व शिखर बैठक की सतत समीक्षा का स्वागत किया। उन्होंने साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने, साइबर अपराध से लड़ने और साइबर स्पेस में अंतर्राष्ट्रीय कानून को लागू करने तथा जिम्मेदार राज्य आचरण के स्वैच्छिक मानकों को आगे बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम करने की योजना बनाई।
वे अपने तकनीकी, कानून प्रवर्तन, साइबर अनुसंधान एवं विकास, साइबर सुरक्षा मानक एवं परीक्षण तथा क्षमता निर्माण संस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए। वे साइबर सुरक्षा के सभी पहलुओं का समर्थन करने के लिए सार्वजनिक - निजी साझेदारियों को बढ़ावा देने पर भी सहमत हुए। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सरकारी विशेषज्ञ समूह की रिपोर्ट 2015 का स्वागत किया तथा साइबर स्पेस में राज्य के आचरण का मार्गदर्शन करने वाले सिद्धांतों पर व्यापक करार होने की उम्मीद व्यक्त की। उन्होंने भारत और यूके दोनों के लिए भविष्य में इन क्षेत्रों में भाग लेने और सक्रियता से सहयोग करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की कि राष्ट्रमंडल आज भी संगत है, अपनी क्षमता को यह साकार कर रहा है और इसके सभी नागरिकों के लिए मूल्य, विकास एवं समृद्धि ला रहा है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने पर्यावरण को बनाए रखने तथा विविध पारिस्थितिकीय प्रणालियों को संपोषित करने के महत्व को नोट किया तथा अवैध वन्य जीव व्यापार में लिप्त अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्कों में वृद्धि को स्वीकार किया। उन्होंने अवैध वन्य जीव व्यापार से लड़ने और कैप्टिव एवं वाइल्ड एशियाई हाथियों के लिए संरक्षण में सुधार करने के लिए साथ मिलकर काम करने का संकल्प किया। उन्होंने अवैध वन्य जीव व्यापार पर लंदन घोषणा तथा कसाने वक्तव्य का समर्थन किया।
आर्थिक विकास एवं वित्त पोषण
दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत एवं यूके दोनों में सुदृढ़ हो रहे आर्थिक परिदृश्य का स्वागत किया परंतु अपने इस साझे सरोकार को व्यक्त्किया कि वैश्विक विकास दर अपेक्षा से नीचे जा रही है और यह कि वैश्विक आउटलुक के लिए जोखिम बढ़ गया है। वे मजबूत, संपोषणीय एवं संतुलित विकास की दिशा में काम करना जारी रखने पर सहमत हुए तथा संरचनात्मक सुधारों और जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिए विश्वसनीय मौद्रिक नीतियां अपनाने के महत्व पर सहमत हुए।
उन्होंने भारत और यूके के बीच आर्थिक साझेदारी की ताकत का उल्लेख किया : भारत पहले से ही संयुक्त रूप में शेष यूरोपीय संघ में निवेश की तुलना में यूके में अधिक निवेश कर रहा है तथा यूके भारत में सबसे बड़ा जी-20 निवेशक है। उन्होंने आर्थिक संबंध को और सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता की जिसमें द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश संबंध को गहन करना शामिल है तथा वे इस बात पर सहमत हुए कि वित्त मंत्री अरूण जेटली और राजकोष चांसलर जॉर्ज ओस्बर्न अपनी आगामी आर्थिक एवं वित्तीय वार्ता में इसे आगे ले जाएंगे।
यूके और भारत व्यापार एवं निवेश के अवसरों में भारी वृद्धि करने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों सरकारों ने दोनों देशों में सूचना प्रौद्योगिकी तथा डिजिटल उद्योगों तथा उस योगदान के विशेष महत्व को रेखांकित किया जो वे विकास एवं समृद्धि के प्रमुख चालक के रूप में भारत और यूके के बीच व्यापार संबंधों को सुदृढ़ करने में कर रहे हैं। दोनों पक्षों ने इस क्षेत्र में माल एवं सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार को गहन एवं सुदृढ़ करने के लिए साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में कुशल मजदूरों द्वारा किए गए बहुमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए वे लागू अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुसरण में कुशल कार्मिकों की अस्थाई आवाजाही को सुगम बनाने के लिए सहमत हुए।
दोनों प्रधानमंत्री इस बात पर सहमत हुए कि लंदन शहर को भारत में अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए जिसमें रेलवे क्षेत्र, एक दीर्घावधिक सामरिक साझेदारी की नींव रखना शामिल है जिससे भारत के सतत तेज विकास के वित्त पोषण के लिए लंदन शहर की पूंजी एवं विशेषज्ञता का उपयोग हो सकेगा। इस संदर्भ में, उन्होंने लंदन शहर के माध्यम से वित्त पोषण बढ़ाने के लिए एचडीएफसी, भारती एयरटेल, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और यस बैंक द्वारा की गई घोषणाओं का भी स्वागत किया जिससे अपने निवेश एवं विकास के लिए पूंजी जुटाने के लिए भारतीय निजी क्षेत्र के लिए भी अवसरों के द्वार खुलेंगे।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत की फ्लैगशिप अवसंरचना निवेश पहल, राष्ट्रीय अवसंरचना निवेश निधि (एन आई आई एफ) पर भारत और यूके के बीच दीर्घावधिक सामरिक साझेदारी का स्वागत किया तथा एन आई आई एफ की छत्रछाया में एक भारत - यूके साझेदारी निधि स्थापित करने की घोषणा की। इस सहयोग से लंदन शहर के माध्यम से वैश्विक निवेशकों को लाने में मदद मिलेगी जिससे संपोषणीय ढंग से भारतीय अवसंरचना के वित्त पोषण में मदद मिलेगी और भारत के तेज विकास के लिए मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी तथा प्रधानमंत्री कैमरन ने दोनों पक्षों पर प्रमुख औद्योगिक हस्तियों के नेतृत्व में भारत - यूके वित्तीय साझेदारी के सतत सहयोग का स्वागत किया। उन्होंने दोनों देशों की वित्तीय सेवाओं के बीच संबंधों को गहन करने के लिए साझेदारी के प्रस्तावों पर विचार करने की उम्मीद व्यक्त की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्टेंडर्ड चार्टर्ड द्वारा प्रायोजित एक नया वित्तीय सेवा पाठ्यक्रम तैयार करने का स्वागत किया जिसका उद्देश्य यूके में पढ़ाई करने के इच्छुक पेशेवरों को करियर मध्य सहायता प्रदान करना है। उन्होंने दोनों देशों में आर्थिक नीति निर्माण की मदद के लिए हमारे दोनों देशों की आर्थिक सेवाओं के बीच अब तक के पहले विनिमय कार्यक्रम की शुरूआत करने के लिए की गई पहल का भी स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्री इस बात सहमत हुए कि आर्थिक विकास एवं समावेशी विकास में भारत की विशाल उपलब्धियां न केवल भारत के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों एवं उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं अपितु ये विश्व के लिए प्रेरणा हैं तथा वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि भारत और यूके दोनों ही विकास पर थॉट लीडर्स हैं तथा वे विकास पर अधिकारी स्तरीय वार्ता को स्तरोन्नत करके इसे द्विवार्षिक मंत्री स्तरीय वार्ता बनाने पर सहमत हुए।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने संपोषणीय विकास के लिए अवसंरचना के महत्व को स्वीकार किया तथा यूके के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग तथा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से सह निवेश के साथ भारत की पहली कम निवेश राज्य अवसंरचना इक्विटी साझेदारी शुरू की। इसका उद्देश्य जल एवं स्वच्छता, स्वच्छ ऊर्जा तथा शहरी अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में लघु अवसंरचना विकास के लिए इक्विटी साझेदारी प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यूके की साझेदारी तथा व्यवसाय करने की सरलता में सुधार के लिए भारत के प्रयासों को नोट किया। उन्होंने व्यवसाय करने में सरलता के लिए एक नई साझेदारी की घोषणा की जिसमें कार्य के भिन्न - भिन्न क्षेत्र शामिल हैं जो अधिक निवेश के लिए सुविधाएं प्रदान करेंगे।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने पुनर्गठित भारत - यूके सीईओ फोरम की पहली बैठक का स्वागत किया। इस फोरम को व्यापार एवं निवेश के अवसरों तथा चुनौतियों के बारे में दोनों प्रधानमंत्रियों को सलाह देने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। प्रधानमंत्री कैमरन ने भारत में यूके के निवेश तथा भारत के साथ व्यापार के लिए डी आई पी पी द्वारा एक नए फास्ट ट्रैक मैकेनिज्म का स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने पेटेंट, ट्रेडमार्क और डिजाइन पर दोनों देशों के कार्यालयों के बीच तकनीकी सहयोग की आवश्यकता को स्वीकार किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने रेल परियोजना प्रबंधन एवं प्रचालन में यूके द्वारा की गई तरक्की की प्रशंसा की। दोनों नेताओं ने रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग पर एम ओ यू का स्वागत किया तथा रेल उद्योग के लिए व्यवसाय के संभावित अवसरों को स्वीकार किया। दोनों पक्ष अवसंरचना वित्त पोषण के लिए विकल्पों का विकास करने, साथ मिलकर काम करने के लिए अपनी संस्थाओं को प्रोत्साहित करने, ज्ञान एवं विशेषज्ञता को साझा करने तथा अनुसंधान एवं विकास विनिमय को गहन करने पर सहमत हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत सरकार की लंदन में पहला सरकार द्वारा समर्थित रूपया बांड शुरू करने की मंशा की घोषणा की।
दोनों नेताओं ने भारत में आटोमोटिव सेक्टर में नवाचार के नेतृत्व में विकास को बढ़ावा देने की अपनी इच्छा व्यक्त की। उन्होंने वाहनों के लिए अनुसंधान एवं विकास, परीक्षण तथा परीक्षण प्रणालियों के प्रशासन में तकनीकी ज्ञान के आदान - प्रदान एवं सहयोग की आवश्यकता की पहचान की। भारत और यूके ज्ञान एवं विशेषज्ञता का विकास करने के लिए इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता को साझा करने के इच्छुक हैं। इसे भारत सरकार और यूके के तहत उपयुक्त विभागों एवं एजेंसियों के बीच हस्ताक्षरित एम ओ यू के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा।
प्रधानमंत्री कैमरन तथा प्रधानमंत्री मोदी ने बहुपक्षीय, नियमों पर आधारित व्यापार व्यवस्था के महत्व को स्वीकार किया तथा वे दोहा विकास एजेंडा के विकास अधिदेश के अनुरूप दिसंबर में नैरोबी में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री स्तरीय बैठक में सफल परिणाम का सुनिश्चय करने में मदद के लिए साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए।
भारत और यूके के बीच इस बात पर सहमति है कि भ्रष्टाचार हमारे समय में प्रगति के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक है। दोनों पक्ष भ्रष्टाचार पर वैश्विक प्रत्युत्तर को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एक साथ, द्विपक्षीय रूप से तथा यूएनसीएसी एवं जी-20 जैसे बहुपक्षीय मंचों में काम करेंगे जिसमें कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग में सुधार, चोरी हो चुकी परिसंपत्तियों की पहचान एवं वापसी के लिए प्रक्रियाओं का सुदृढ़ीकरण तथा सच्चे (या लाभप्रद) स्वामित्व तथा कंपनियों के नियंत्रण के ईर्दगिर्द पारदर्शिता बढ़ाना शामिल है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने जल्दी से जल्दी ईयू - भारत बी टी आई ए को अंतिम रूप देने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। भारत और यूके ने इस प्रयोजन की दिशा में निकटता से साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता की।
मेक इन इंडिया
प्रधानमंत्री कैमरन ने प्रधानमंत्री मोदी की 'मेक इन इंडिया' पहल का स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने नोट किया कि सहयोग का यह मॉडल पहले से ही यूके निवेश और भारत के साथ साझेदारी में गहनता से शामिल है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने रक्षा प्रौद्योगिकी एवं उद्योग सहयोग को गहन के लिए दोनों पक्षों द्वारा की गई पहलों का स्वागत किया।
व्यवसाय
प्रधानमंत्री मोदी तथा प्रधानमंत्री कैमरन ने भारत और यूके के बीच गहन एवं सार्थक कारोबारी संबंध को नोट किया तथा भारत और यूके के बीच 9.2 बिलियन पाउंड के वाणिज्यिक सौदों का स्वागत किया जिसकी घोषणा इस यात्रा के दौरान की गई तथा अनुबंध के रूप में सूचीबद्ध है। यूके ने पिछले 15 वर्षों के दौरान भारत में कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में 8.56 प्रतिशत का योगदान किया है। भारतीय कंपनियों ने यूके में 110,000 लोगों को रोजगार दिया है।
प्रधानमंत्री कैमरन ने यह नोट किया कि भारतीय बाजार को अवसंरचना क्षेत्र में अधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए खोला गया है। भारत की विशाल आबादी को बीमा कवर प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने बीमा एवं पेंशन क्षेत्र में एफ डी आई की सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दी है। परिणामत:, भारत में संयुक्त उद्यम के साथ यूके के बीमा उद्योग ने देश में अपना विदेशी प्रत्यक्ष निवेश बढ़ाने के लिए अनेक करारों की घोषणा की है। विनियामक अनुमोदनों के अधीन पहले चरण में इन करारों की कुल राशि लगभग 238 मिलियन पाउंड के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के रूप में होगी। इससे भारतीय बीमा एवं पुनर्बीमा क्षेत्रों के सतत विकास में मदद मिलेगी, जो संपोषणीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के प्रमुख घटक हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने 5 वर्षों में 75,000 वंचित युवाओं एवं बच्चों को कौशलों से लैस करने के लिए एच एस बी सी की भारत में ''जीवन के लिए कौशल'' पहल का स्वागत किया जो 10 मिलियन पाउंड का कार्यक्रम है।
स्मार्ट शहर तथा शहरी नवीकरण
दोनों प्रधानमंत्रियों ने तकनीकी सहायता, विशेषज्ञता के आदान - प्रदान एवं कारोबारी भागीदारी के माध्यम से भारत के महत्वाकांक्षी शहरी विकास लक्ष्यों की सहायता करने के लिए इंदौर, पुणे और अमरावती के साथ तीन भारत - यूके शहर साझेदारियों की घोषणा की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्मार्ट एवं सपोषणीय शहरों के विकास के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य सहायता के नेतृत्व में यूके के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विकास तथा भारत के शहरी विकास मंत्रालय के बीच तकनीकी सहायता साझेदारी के विकास का स्वागत किया जो समावेशी विकास तथा नौकरियों के सृजन के ड्राइवर हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्वस्थ नदी प्रणाली के लिए नई टेम्स / गंगा साझेदारी शुरू की। इस साझेदारी के तहत गंगा घाटी में जल संसाधनों के संपोषणीय प्रबंधन को समर्थ बनाने के लिए अनुसंधान एवं नवाचार का एक सहयोगात्मक कार्यक्रम तथा यूके जल साझेदारी के समर्थन से 2016 में नीति विशेषज्ञों का आदान - प्रदान शामिल होगा।
शिक्षा, कौशल, विज्ञान एवं अनुसंधान
प्रधानमंत्री कैमरन ने 21वीं शताब्दी के लिए युवा भारतीयों को तैयार करने के उनके लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रधानमंत्री की मदद करने का प्रस्ताव किया। नई भारत - यूके कौशल शपथ के तहत यूके की 11 कंपनियों ने भारत में कौशल विकास में मदद करने की प्रतिबद्धता की है। साथ ही, यूके सरकार और यूके व्यवसाय प्रमुख क्षेत्रों में नए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेंगे जिसकी शुरूआत पुणे में एक उन्नत आटोमोटिव एवं इंजीनियरिंग केंद्र से होगी। यूके डिजिटल डिलीवरी, महिलाओं, वहिष्कृत एवं विकलांगों पर बल के साथ कौशल प्रशिक्षण एवं उद्यमशीलता के नए मॉडलों का विकास करने के लिए भी भारत के कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय की मदद करेगा।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने घोषणा की कि वर्ष 2016 शिक्षा, अनुसंधान एवं नवाचार का यूके - भारत वर्ष होगा। यह द्विपक्षीय संबंध की अच्छाइयों को उजागर करेगा, और साझेदारी को बढ़ावा देगा जिसमें कई तरह की डिजिटल प्रौद्योगिकी समर्थित शिक्षा एवं प्रशिक्षण पहलें शामिल हैं ताकि दोनों देश वैश्विक संदर्भ में शिक्षा, अनुसंधान एवं नवाचार में साझेदार के रूप में 21वीं शताब्दी की एक नई रूपरेखा सृजित कर सकें।
दोनों प्रधानमंत्री स्कूल स्तर पर वर्चुअल साझेदारी शुरू करने पर सहमत हुए ताकि दोनों देशों के युवा एक - दूसरे के देश की स्कूल प्रणाली का अनुभव प्राप्त कर सकें और संस्कृति, परंपराओं तथा सामाजिक एवं पारिवारिक प्रणालियों को समझ सकें।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने घोषणा की कि यूके दिल्ली में प्रौद्योगिकी शिखर बैठक 2016 के लिए साझेदार देश होगा। और संयुक्त अनुसंधान साझेदारियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध दोनों प्रधानमंत्रियों ने नियोजित शैक्षिक आदान - प्रदान को संतोष के साथ नोट किया जिससे भारतीय वैज्ञानिकों की ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में रदरफोर्ड एप्लेटन प्रयोगशाला की न्यूट्रॉन सुविधा तक पहुंच संभव होगी। उन्होंने संयुक्त अनुसंधान, क्षमता निर्माण तथा अनुवाद के लिए एक न्यूटन - भाभा निधि की स्थापना का स्वागत किया तथा नोट किया कि भारत - यूके अनुसंधान में जो निवेश संयुक्त निवेश 2008 में एक मिलियन पाउंड से कम था वह आज 200 मिलियन पाउंड से अधिक हो गया है। नए सारवान निवेशों के तहत स्वच्छ ऊर्जा, जल सुरक्षा तथा कृषि नाइट्रोजन में कई मिलियन पाउंड के यूके - भारत वर्चुअल सेंटर शामिल हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने जच्चा और बच्चा स्वास्थ्य एवं पोषण, मानसिक स्वास्थ्य एवं पदार्थ दुरूपयोग, शहरीकरण एवं विरासत, भोजन के लिए संपोषणीय जन संसाधन, ऊर्जा एवं इको सिस्टम सेवाओं, पर्यावरणीय प्रदूषण तथा भारतीय मेगा शहरों में मानव स्वास्थ्य, कृषि में नए संयुक्त अनुसंधान एवं नवाचार कार्यक्रमों तथा दक्षिण एशियाई मानसून पर संयुक्त भारत - यूके प्रेक्षण अभियान का भी स्वागत किया।
उन्होंने इन्नोवेट यूके, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डी एस टी) तथा वैश्विक नवाचार एवं प्रौद्योगिकी गठबंधन (जी आई टी ए) द्वारा सहयोगात्मक औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास का तीसरा चक्र शुरू करने, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, सस्ते स्वास्थ्य देखरेख तथा स्वच्छ प्रौद्योगिकी ऊर्जा एवं स्वास्थ्य देखरेख से संबंधित आई टी सी के क्षेत्रों में नवीन वाणिज्यिक समाधानों के समर्थन के लिए उपलब्ध 3.5 मिलियन पाउंड की घोषणा का स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह स्वीकार किया कि जलवायु परिवर्तन तथा कृषि पर इसका प्रभाव विश्व के समक्ष एक गंभीर चुनौती है; उन्होंने फसल विज्ञान में संयुक्त भारत - यूके साझेदारी की स्थापना का स्वागत किया जो यूके के सर्वोत्तम विश्वविद्यालयों - कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय कृषि वनस्पति विज्ञान संस्थान, जॉन इन्नेस सेंटर, रोथाम्स्टेड रिसर्च एंड यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट अंगलिया को जैव प्रौद्योगिकी तथा जैव विज्ञान अनुसंधान परिषद (बी बी एस आर सी), यूके सरकार तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डी बी टी), भारत सरकार के माध्यम से काम करने के लिए एक मंच पर लाएगी ताकि मौलिक पादप विज्ञान पर ध्यान दिया जा सके जो उपज में वृद्धि, बीमारी एवं सूखा पर नियंत्रण तथा संपोषणीय कृषि में अनुसंधान को परिवर्तित करने का आधार है। उन्होंने भारत में एक संयुक्त भारत - यूके पादप विज्ञान केंद्र की स्थापना का भी स्वागत किया।
दोनों नेताओं ने शैक्षिक नेटवर्क के लिए वैश्विक पहल (जी आई ए एन) के अंग के रूप में अगले दो शैक्षिक वर्षों में 100 शिक्षाविदों को भारत भेजने की यूके की योजनाओं और 2020 तक भारत - यूके पीढ़ी कार्यक्रम के माध्यम से यूके के 25,000 छात्रों के भारत आने की महत्वाकांक्षा का स्वागत किया जिसमें 2020 तक भारत में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के साथ यूके के 1000 इंटर्न शामिल हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत - यूके शिक्षा एवं अनुसंधान पहल के तीसरे चरण का भी स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूके तथा भारतीय अर्हताओं को परस्पर मान्यता प्रदान करने की प्रतिबद्धता का स्वागत किया।
स्वास्थ्य
दोनों प्रधानमंत्री जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा अनुसंधान परिषद, यूके के बीच संयुक्त भारत - यूके टीका विकास साझेदारी स्थापित करने की घोषणा से भी बहुत प्रसन्न थे। जैव प्रौद्योगिकी विभाग एक सामरिक समूह का गठन करने के लिए भी अनुसंधान परिषदों के साथ काम करेगा, जो साक्ष्य आधार विकसित करने के लिए तंत्रों का पता लगाएगा जो नई दवाओं एवं नैदानिकों के विकास की गति तेज करने के लिए होस्ट - पैथोजन इंट्रैक्शन के जेनोमिक स्तर पर एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टेंस की समस्या पर काम करेगा।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टेंस (ए एम आर) पर ध्यान देने के लिए अपने संयुक्त दृढ़ निश्चय को रेखांकित तथा नोट किया कि यह दोनों देशों के लिए जन स्वास्थ्य तथा आर्थिक विकास के लिए गंभीर संकट है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह स्वीकार किया कि एक वैश्विक प्रत्युत्तर की जरूरत है और संयुक्त राष्ट्र महासभा 2016 में एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टेंस पर एक उच्च स्तरीय बैठक का समर्थन किया। भारत और यूके जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार तथा अनुंसधान परिषद, यूके सरकार की ए एम आर पहल के अंग के रूप में 2016 में लंदन में आयोजित होने वाली वैश्विक शिखर बैठक के लिए अपनी वैज्ञानिक विशेषज्ञता का भी योगदान करेंगे।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग तथा सतत समझौता ज्ञापनों का स्वागत किया जिसके तहत चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टेंस (ए एम आर) पर नियंत्रण, कोटिपरक, सुरक्षित तथा कारगर दवाओं के माध्यम से रोगी सुरक्षा में सुधार तथा एन आई सी ई इंटरनेशनल, यूके तथा स्वास्थ्य विभाग के बीच सहयोग जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्वास्थ्य एवं संबद्ध क्षेत्रों में निवेश एवं सहयोग की संभावित वृद्धि पर जोर दिया। प्रधानमंत्री कैमरन ने ऐसे निवेश को सुगम बनाने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के नेतृत्व में एक कार्य बल गठित करने के लिए भारत सरकार के निर्णय का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने किंग्स कॉलेज हास्पिटल, चंडीगढ़ खोलने के लिए किंग्स कॉलेज हास्पिटल एन एच एस फाउंडेशन ट्रस्ट और इंडो - यूके हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के बीच हस्ताक्षरित करार का स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने नोट किया कि इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में सहयोग सुदृढ़ एवं विकसित करने के लिए आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और एक अग्रणी यूके एकीकृत दवा संस्थान के बीच समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया गया है।
संस्कृति
दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह घोषणा की कि हमारे गहरे सांस्कृतिक संबंधों का जश्न मनाने के लिए 2017 में यूके - भारत संस्कृति वर्ष तथा भारत की आजादी की 70वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने ब्रिटिश पुस्तकालय तथा भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में भंडारित साझे पुरातात्विक संग्रहों के डिजिटीकरण का समर्थन करने की प्रतिबद्धता की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने श्यामजी कृष्ण वर्मा की मृत्यु पश्चात न्यायालय परिषद की सदस्यता बहाल करने का स्वागत किया तथा नोट किया कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका प्रमुख योगदान था तथा वह परवर्ती पीढि़यों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच सुरक्षित एवं संपोषणीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन पर एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित करने के लिए भारत के पर्यटन मंत्रालय और यूके के संस्कृति, मीडिया एवं खेल विभाग की मंशा का स्वागत किया।
अपराध
प्रधानमंत्री कैमरन तथा प्रधानमंत्री मोदी ने नोट किया कि उत्तरोत्तर जटिल एवं आपस में जुड़े विश्व में सीमा पारीय अपराधियों को टारगेट करने के लिए सहयोग में वृद्धि दोनों देशों की सुरक्षा एवं संरक्षा की गारंटी के लिए निर्णायक होगी। वे नए मन: प्रभावी पदार्थों के प्रवाह को नष्ट करने के लिए साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए जिससे दोनों देशों को नुकसान हो रहा है तथा वे भारत ओर यूके दोनों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच अधिक सहयोग सुनिश्चित करने के लिए आपराधिक रिकार्ड के आदान - प्रदान पर और बातचीत के लिए दरवाजे खोलने पर सहमत हुए।
प्रधानमंत्री कैमरन तथा प्रधानमंत्री मोदी ने आपराधिक मामलों में परस्पर कानूनी सहायता के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए अपने दृढ़ निश्चय को दोहराया, विशेष रूप से जहां यह आतंकवाद के मामलों से संबंधित है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने चुराई गई कलात्मक वस्तुओं / पुरातात्विक वस्तुओं के दुर्व्यापार से निपटने में सहयोग बढ़ाने के महत्व की फिर से पुष्टि की।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं को तथा अपने शिष्टमंडल को प्रदान किए गए भव्य अतिथि सत्कार के लिए प्रधानमंत्री कैमरन का धन्यवाद किया तथा प्रधानमंत्री कैमरन को 2016 में भारत का दौरा करने का न्यौता दिया। दोनों नेताओं ने भारत और यूके के बीच अग्रदर्शी साझेदारी के अपने विजन की पुष्टि की जो दोनों देशों के लोगों के लिए आर्थिक विकास, नौकरियों एवं सुरक्षा का सृजन करने में अपरिहार्य भूमिका निभाएगी। उन्होंने अपने दोनों देशों तथा पूरे विश्व की बेहतरी के लिए इस तरह की अधिक एवं परिवर्तनकारी साझेदारी का निर्माण करने के लिए साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।
This website uses Javascript
टिप्पणियाँ
टिप्पणी पोस्ट करें
नाम
*
(required)
ई - मेल
*
(required)
आपकी टिप्पणी लिखें
*
(required)
सत्यापन कोड
*
(required)
java script is required for this page
Go to Navigation