शैली चोपड़ा
इतिहास में गोल्फ शताब्दियां भारत के उल्लेख के बगैर कभी पूरी नहीं हो सकती हैं। 1829 में स्थापित रॉयल कलकत्ता स्कॉटलैंड में सेंट एंड्रूज के बाद विश्व में दूसरा सबसे पुराना गोल्फ कोर्स है और इस प्रकार पूर्व के लिए भारत इस खेल का गढ़ बन गया। एशिया में गोल्फ
का गेटवे।
(रॉयल कोलकाता गोल्फ क्लब)आज गोल्फ उस इतिहास को फिर से लिख रहा है। भारतीय
खिलाड़ी वैश्विक मंच पर इस खेल में अपना जौहर दिखा रहे हैं। भारत ऐसे देशों में शामिल होने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ है जो इस खेल को दोबारा शुरू करने के लिए वचनबद्ध हैं क्योंकि यूरोप एवं संयुक्त राज्य में इस खेल में गिरावट आ रही है। युवा वर्ग इस खेल को अपना रहा
है तथा भारत में जनांकिकीय वास्तव में विश्वस्तरीय कुछ खिलाड़ी पैदा करने में योगदान कर सकती है। प्रत्येक खेल के लिए वास्वत में जिस चीज की जरूरत होती है वह है – कुछ आइकॉन। कुछ सफलता गाथाएं। कुछ प्रेरणा की चिंगारी जो आग का रूप ले सके। और सौभाग्य से इस संबंध
में समाचार सुखद है।
[भारत के गोल्फ खिलाड़ी अर्निबन लहिरी (बाएं) और गगनजीत भुल्लर (दाएं)]
गोल्फ के खिलाडि़यों का भारतीय पूल बढ़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय पहचान बना रहा है। इस साल अपनी विश्व रैंकिंग में उछाल के साथ अर्निबन लहिरी ने पीजीए चैंपियनशिप, ब्रिटिश ओपन में भारतीय झंडा लहराया, जबकि साथी खिलाड़ी शिव कपूर यूएस ओपन में शीर्ष 25
खिलाडि़यों में शामिल हुए – यह सब ठोस खेल भावना एवं महान प्रतिभा का संकेत है।
हम में से जो लोग अपना टाइगर वुड्स, इस गेम को आगे बढ़ाने में मदद के लिए अपना आइकॉन ढूंढ़ने के बारे में खूब शोर मचाते रहते हैं, वे लोग भी लहिरी, गगनजीत भुल्लर, चिक्करंगप्पा और राशिद खान जैसे युवा खिलाडि़यों के परफार्मेंस को देखकर प्रसन्न होंगे। चिक्करंगप्पा
और राशिद खान को एक फाउंडेशन द्वारा पोषित किया गया है जिसने उनको गोल्फ क्लब इसलिए दिया क्योंकि उनके पास इस खेल को खेलने के लिए पैसा या पहुंच नहीं था। यह भारतीय गोल्फ की वास्तविक कहानी है। यह प्रबुद्ध वर्ग की कहानी नहीं है। यह आडम्बरपूर्ण नहीं है। यह
30 साल से कम आयु के गोल्फरों के बारे में है जो अच्छा खेल दिखाने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। ये हमारे आइकॉन होंगे। अर्जुन पुरस्कार विजेता भुल्लर को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है तथा वह इसके लिए भारतीय रेलवे का धन्यवाद कर सकते हैं। भुल्लर का जन्म कपूरथला,
पंजाब में हुआ जो रेल कोच फैक्टरी (आर सी एफ) के लिए विख्यात है। वह इस परिसर के अंदर स्थित गोल्फ कोर्स पर खेलते हुए बड़े हुए क्योंकि उनके माता – पिता भी खिलाड़ी हैं तथा आर सी एफ में नियुक्त हैं। वह 2004 और 2006 में भारत के नंबर 1 अमेचर थे तथा भारत की उस
टीम का हिस्सा थे जिसने 2006 के एशियाई गेम्स में रजत पदक जीता था। आज रॉरी मैकलरॉय तथा विश्व के अन्य गोल्फरों को कड़ी टक्कर देते हैं।
महिलाएं बहुत पीछे नहीं हैं। रॉयल कलकत्ता गोल्फ क्लब में लेडीज अमेचर
1906 में आरंभ हुआ परंतु इसके बाद से लंबा एवं कठिन रास्ता तय करना पड़ा है। यह बताना बहुत जरूरी है कि महिला खेल का विकास हुआ है तथा ‘केवल भद्र पुरूष, महिलाएं वर्जित हैं’ के बारे में यह सब शुरूआती संघर्ष की विचार प्रक्रिया अब अतीत का विषय हो चुकी है। आज भारत
के युवा पेशेवर गोल्फर यूरोपीय टूर पर खेल रहे हैं जबकि देश के विभिन्न क्लबों में अमेचर के रूप में खेलने वाली महिलाओं की संख्या में अच्छी प्रगति हुई है।
सरकार गोल्फ एवं खेल पर्यटन को बढ़ावा देने की उत्सुकता दिखा रही है। भारतीय
प्रोफेशनल गोल्फ टूर, भारतीय गोल्फ यूनियन और भारतीय महिला गोल्फ यूनियन इस खेल को आगे बढ़ाने के लिए नए सिरे से प्रयास कर रहे हैं। नई सरकार के साथ गोल्फ को अतिरिक्त बल मिल रहा है क्योंकि खेल एवं इसके इर्द-गिर्द पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुछ विशेष कार्यक्रम
तैयार किए जा रहे हैं। गोल्फ एक पूर्ण खेल है क्योंकि यह न केवल प्रकृति की गोद में सुंदर टहल एवं खेल है अपितु यात्रा, पारिवारिक अवकाश, नए सुंदर डेस्टिनेशन पर जाने और इसी तरह की अनेक चीजों की भी अनुमति देता है। भारत सरकार लोगों को प्रभावित करने की खेल की सामर्थ्य
को अंतत: नोट कर रही है और विश्व के एक भाग से दूसरे भाग की यात्रा करने के लिए उनको प्रोत्साहित कर रही है। यद्यपि वर्षों से लोग गोल्फ के मक्का अर्थात स्कॉटलैंड की यात्रा करते रहे हैं परंतु अब गोल्फ के शौकीन लोगों में भारत, चीन और सुदूर पूर्व के गोल्फ
कोर्स को देखने की इच्छा है। और उनके लिए ढेर सारे प्रस्ताव किए गए हैं। राजधानी के मर्म में दिल्ली गोल्फ क्लब में कुछ सबसे बेहतर होल हैं जो 500 से 1000 साल पुरानी मुगल संरचनाओं एवं गुंबदों के बिल्कुल पास स्थित है। विश्व के गोल्फर अक्सर ऐतिहासिक दृश्य
तथा ऐसी उल्लेखनीय संरचनाओं को देखकर अचंभित रह जाते हैं। स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर गुड़गांव में डीएलएफ गोल्फ क्लब, कश्मीर में रॉयल स्प्रिंग या कोडईकनाल में असमतल लघु कोर्स या अंबे घाटी, पुणे स्थित बहुत सुंदर किंतु चुनौतीपूर्ण कोर्स जैसे गोल्फ कोर्स
शामिल हैं। अब भारत विश्वास के साथ और निर्णायक रूप से कुछ महान गोल्फ हालीडे का प्रस्ताव कर सकता है।
अब हम पीछे लौटते हैं। यह सोचना कि अमेरिकन्स ने भारत से कुछ दशक बाद अपना
गोल्फ प्राप्त किया और केवल कुछ साल पहले ही चीन ने इस खेल में हाथ आजमाया है। भारत ने उन दिनों से ऊपर उठने के लिए बहुत अच्छा किया है जब गुट्टापरचा ने नए युग में टिटैनियम की गोल्फ की गेंद का निर्माण किया। वास्तव में उस समय से अब काफी कुछ बदल गया है जब भारतीय
सशस्त्र बलों ने ब्रिटिश द्वारा छोड़ी गई इस विरासत को आगे बढ़ाया और इसका विकास किया तथा आम जनता तक इसे पहुंचाया। अब सरकार के अंदर से इस खेल को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं तथा स्वतंत्र निकायों एवं निगमों को इसे और आगे बढ़ाने के लिए गति प्रदान
करने की जरूरत है।
व्यवसाय पत्रकार के रूप में मैंने भारत और विश्व के 300 से अधिक कार्यपालकों के इस बारे में साक्षात्कार लिए हैं कि उन्होंने इस खेल से क्या सीखा है। अब समय आ गया है कि गोल्फ को अगले चरण में पहुंचाया जाए। इस संबंध में बहुत कुछ सरकार द्वारा किया जाएगा क्योंकि
यह इस खेल को बढ़ावा देने के लिए नए तरीकों की तलाश कर रही है, देख रही है कि कैसे नए प्रौद्योगिकी एवं विचार इसे लोकप्रिय बनाने में मदद कर रहे हैं और इस खेल के लागत – लाभ विश्लेषण के लिए किस तरह का नया पर्यावरण अनुकूल प्रयास सृजित हो रहा है।
इस खेल के विकास की असीम संभावनाएं हैं। मुझे पक्का यकीन है कि भविष्य में गोल्फ हमारे देश की आम जनता का खेल बन जाएगा। और यह कि यह खेल वैश्विक स्तर के खिलाडि़यों, प्रायोजकों, प्रौद्योगिकी, नवाचार तथा देश में खेल पर ध्यान देने का मार्ग प्रशस्त करेगा। किसी
विचार की तरह व्यवसाय को विकास के केंद्र में बने रहने की जरूरत होती है। और उम्मीद है कि ऐसा होगा।
(शैली चोपड़ा भारतीय लेखिका एवं व्यवसाय पत्रकार हैं। तहलका की व्यवसाय संपादक शैली चोपड़ा ईटी नाऊ में लीड फीमेल एंकर एवं सीनियर एडीटर भी रह चुकी हैं। एशियाई पत्रकारिता कॉलेज, चेन्नई से स्नातक सुश्री चोपड़ा को इंडियन एक्सप्रेस
आर एन जी अवार्ड 2012 में व्यवसाय पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए रामनाथ गोयंका पुरस्कार से नवाजा गया तथा डीएनए पर ‘कॉलम टी आफ विद शैली चोपड़ा’ नाम से उनका एक गोल्फ कॉलम भी है। आप द बिग कनेक्ट की लेखिका भी हैं जो राजनीति पर सोशल मीडिया के प्रभावों पर
लिखी गई पुस्तक है।)