प्रधानमंत्री जी नरेंद्र मोदी 6-7 जून, 2015 ढाका की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए। इस यात्रा ने भावी सहयोग को गहन करने तथा दोनों पड़ोसी देशों को और भी करीब लाने की लय निर्धारित की।

ऐसे देश के लिए जिसके साथ भारत की भूमि सीमा सबसे अधिक लंबी है (लगभग 4096 किमी),
जो प्रमुख उपलब्धि हासिल की गई वह 1974 के भूमि सीमा करार और 2011 के इसके प्रोटोकाल की पुष्टि के लिखतों का 41 साल की अवधि के बाद ऐतिहासिक आदान – प्रदान था। दोनों पक्षों ने पत्रों के आदान – प्रदान के माध्यम से करार और प्रोटोकॉल के अबाध कार्यान्वयन को सुनिश्चित
करने के लिए तौर – तरीकों को अंतिम रूप दिया तथा उन्होंने एंक्लेव के निवासियों को ऐसी सभी सुविधाएं प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की जिनका स्थानांतरण होगा तथा सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता की गई। उल्लेखनीय है कि पश्चिम
बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी भी इस अवसर पर मौजूद थी। बंग्लादेश के विकास और प्रगति के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ढाका के उस महत्वपूर्ण स्थान पर जोर दिया जो उसे भारत की ‘पड़ोसी पहले की नीति’ में प्राप्त है। प्रधानमंत्री
मोदी और प्रधानमंत्री हसीना ने क्षेत्रीय आपदाओं पर सार्क के सहयोगात्मक प्रत्युत्तर पर भी विचार – विमर्श किया। दोनों नेताओं ने यह भी नोट किया कि भारत और बंग्लादेश अपने लोगों के परस्पर लाभ तथा इस क्षेत्र की सामूहिक समृद्धि के लिए संप्रभुता, समानता, मैत्री,
विश्वास एवं आपसी समझ के आधार पर व्यावहारिक, परिपक्व तथा सैद्धांतिक दृष्टिकोण के साथ द्विपक्षीय संबंधों में एक नए चरण में प्रवेश कर गए हैं।

इस यात्रा के दौरान, लगभग 22 करारों पर हस्ताक्षर किए गए जिसमें भारतीय पोतों
द्वारा चटगांव एवं मोगला बंदरगाहों का प्रयोग, तटीय जहाजरानी सेवाएं, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में नीली अर्थव्यवस्था एवं समुद्री सहयोग, बंग्लादेश – भारत सीमा के पास एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (एस ई जेड) की स्थापना, 1650 किमी की लंबी यात्रा को घटाकर 450
किमी तक सीमित करने के लिए दो नए बस रूट – कोलकाता – ढाका – अगरतला और ढाका – शिलांग – गुवाहाटी; बंग्लादेश और भारत के विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग, तटरक्षकों के बीच सहयोग के अलावा, आईटी एवं सांस्कृतिक आदान – प्रदान के क्षेत्र में करार शामिल हैं।
संपर्क को संपूरित करना और संरचना में सुधार लाना प्राथमिकता के प्रमुख क्षेत्रों के रूप में उभरा तथा प्रधानमंत्री मोदी ने आश्वासन दिया कि भारत से बंग्लादेश को बिजली की आपूर्ति दो वर्षों के अंदर 500 मेगावाट से बढ़कर 1100 मेगावाट हो जाएगी।
सार्वजनिक परिहवन, सड़क, रेलवे, अंतर्देशीय जलमार्ग, बंदरगाह, आईटी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जैसे क्षेत्रों में विशेष रूप से विभिन्न विकास परियोजनाएं शुरू करने के लिए बंग्लादेश के लिए 2 बिलियन अमरीकी डालर मूल्य की दूसरी लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा की गई जिससे
प्रदान की गई कुल लाइन ऑफ क्रेडिट की मात्रा 3 बिलियन अमरीकी डालर हो गई है।
इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से ‘बंग्लादेश मुक्ति संग्राम सम्मान’ प्राप्त किया। यह पुस्तिका आप सभी को इस यात्रा की प्रमुख विशेषताओं से अवगत कराएगी, जिसे दोनों देशों द्वारा ऐतिहासिक यात्रा
की संज्ञा दी गई है।
भारत के प्रधानमंत्री की बंग्लादेश की यात्रा के दौरान भारत और बंग्लादेश के बीच संयुक्त घोषणा – ''नूतन प्रोजोन्मो – नई दिशा'' 7 जून, 2015
- बंग्लादेश जनवादी गणराज्य की सरकार की प्रधानमंत्री शेख हसीना के निमंत्रण पर भारत गणराज्य की सरकार के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 6-7 जून 2015 को बंग्लादेश का राजकीय दौरा किया।
- यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री ने बंग्लादेश के महामहिम राष्ट्रपति माननीय श्री मोहम्मद अब्दुल हामिद से मुलाकात की।
प्रधानमंत्री मोदी ने बंग्लादेश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के
योगदान और याद के सम्मान में सावर में राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर फूल माला चढ़ाई। उन्होंने ढाका में बंग बंधु स्मारक संग्रहालय में बंग बंधु शेख मुजिबुर रहमान की स्मृति को गहरा सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित की।
पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने भी ऐतिहासिक समारोह
के लिए 6 जून 2015 को ढाका में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री शेख हसीना को ज्वाइन किया, जिसमें वे भारत – बंग्लादेश भूमि सीमा करार, 1974 और इसके प्रोटोकॉल 2011 की पुष्टि के लिखतों के आदान प्रदान का साक्षी बने। तीनों नेताओं ने संयुक्त रूप से दो बस सेवाओं
को झंडी दिखाकर रवाना किया जो बंग्लादेश और भारत के शहरों को जोड़ेंगी।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से प्रधानमंत्री
मोदी ने राष्ट्रपति श्री मोहम्मद अब्दुल हामिद और प्रधानमंत्री शेख हसीना से 'बंग्लादेश मुक्ति युद्ध सम्मान' प्राप्त किया।
- प्रधानमंत्री मोदी 7 जून को ढाकेश्वरी मंदिर और रामकृष्ण मिशन गए तथा 7 जून 2015 को ढाका में बंग बंधु अंतर्राष्ट्रीय दीक्षांत समारोह केन्द्र (बी आई सी सी) में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया।
- प्रधानमंत्री मोदी ने 6 जून 2015 को प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ बैठक की जिसके बाद शिष्टमंडल स्तरीय वार्ता हुई। बैठक और शिष्टमंडल स्तरीय वार्ता दोनों ही बहुत गर्मजोशीपूर्ण एवं मधुर वातावरण में हुई जो दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंधों
एवं मैत्री को दर्शाता है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने वार्ता में अपने अपने देश का नेतृत्व किया। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में उनके और उनके शिष्टमंडल के लिए एक दावत दी, जिसके बाद एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- वार्ता के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच इतिहास, परंपरा, आकांक्षाओं तथा अन्य अनेक समानताओं के साझे रिश्तों को याद किया तथा द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ करने की अपनी पक्की धारणा को दोहराया। उन्होंने यह स्वीकार किया कि दोनों देशों
के लोगों की नियति शांति, विकास और स्थिरता के लिए उनकी तलाश में एक दूसरे से जुड़ी हुई है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह भी नोट किया कि भारत और बंग्लादेश अपने लोगों के परस्पर लाभ के लिए तथा पूरे क्षेत्र की सामूहिक समृद्धि के लिए संप्रभुता, समानता, मैत्री, विश्वास
और समझ पर आधारित सैद्धांतिक, परिपक्व एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ द्विपक्षीय संबंधों के एक नए चरण में प्रवेश कर गए हैं।
- प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपिता बंग बंधु शेख मुजिबुर रहमान के विजनरी नेतृत्व को गहरे सम्मान के साथ याद किया। उन्होंने विशेष रूप से आर्थिक प्रगति, गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तीकरण और शिक्षा के क्षेत्रों में प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में बंग्लादेश
में आकर्षक सामाजिक – आर्थिक विकास की प्रशंसा की। उन्होंने इस क्षेत्र में तथा इससे आगे भी लोकतंत्र को सुदृढ़ करने तथा शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता को बढ़ावा देने में उनके द्वारा उठाए गए कदमों की भी सराहना की। उन्होंने उपक्षेत्रीय सहयोग एवं संपर्क बढ़ाने के
लिए नवाचारी प्रस्तावों के लिए उनके समर्थन के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना को बधाई दी। उन्होंने भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने तथा संबंध को अधिक गहराई एवं महत्व प्रदान करने के लिए उनके द्वारा शुरू की गई अनेक पथ प्रदर्शक पहलों के लिए उनकी प्रतिबद्धता
की भी सराहना की।
- प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सबसे बड़े लोकतंत्र तथा विश्व में सबसे बड़ी एवं सबसे तेज गति से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक का नेतृत्व करने में प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने अपना दृढ़ विश्वास
व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व भारत और बंग्लादेश के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाएगा।
- दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने महान मुक्ति युद्ध तथा स्वतंत्रता सेनानियों की यादों और विरासत को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री हसीना ने बंग्लादेश के उन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के नश्वर अवशेष वापस लाने में भारत से सहायता की मांग
की जिन्हें 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान भारत की धरती में दफन कर दिया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबंध में आवश्यक सहयोग प्रदान करने के लिए सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री हसीना ने 1971 में बंग्लादेश के महान मुक्ति संग्राम में भारत के प्रचुर योगदान
को आभार के साथ याद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने बंग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के उत्कृष्ट योगदान के लिए उनको 'बंग्लादेश मुक्ति संग्राम सम्मान' प्रदान करने के लिए बंग्लादेश सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने
ऐसे भारतीय सैनिकों की स्मृति का सम्मान करने के लिए बंग्लादेश की पहल की भी प्रशंसा की, जिन्होंने बंग्लादेश के मुक्ति संग्राम के लिए अपने जीवन की आहुति दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बंग्लादेश की इन भंगिमाओं को भारत के लोगों द्वारा निरंतर याद किया
जाएगा और सराहा जाएगा तथा यह कि यह दोनों देशों के लोगों के बीच करीबी रिश्तों का प्रमाण है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने कोलकाता एवं ढाका में विजय दिवस के संयुक्त समारोह की चल रही प्रथा तथा मुक्ति योद्धाओं के उत्तराधिकारियों के लिए मुक्ति योद्धा छात्रवृत्ति स्कीम
के कार्यान्वयन को भी संतोष के साथ नोट किया। प्रधानमंत्री मोदी ने आई एन एस विक्रांत का मोमेंटो प्रधानमंत्री हसीना को सौंपा जिसने मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री हसीना को बंग बंधु शेख मुजिबुर रहमान के 6 फरवरी,
1972 को बंग्लादेश की आजादी के बाद भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा के दौरान ब्रिगेड मैदान, कोलकाता में विशाल रैली में ऐतिहासिक भाषण की ऑडियो रिकार्डिंग भी सौंपी। प्रधानमंत्री हसीना ने इस विशेष व्यवहार के लिए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने 1974 के भूमि सीमा करार तथा 2011 के इसके प्रोटोकॉल को लागू करने के लिए भारतीय संसद के राज्य सभा एवं लोकसभा में 100वें संविधान संशोधन के ऐतिहासिक रूप से पारित होने पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि यह भारत
– बंग्लादेश संबंधों में एक मील पत्थर है। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारतीय संसद में इस विधेयक पर डिबेट की वीडियो रिकार्डिंग सौंपी। उन्होंने इस संबंध में बंग्लादेश के तत्कालीन प्रधानमंत्री बंग बंधु शेख मुजिबुर रहमान तथा भारत की तत्कालीन
प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी द्वारा निभायी गई भूमिका के लिए उनका आभार प्रकट किया। प्रधानमंत्री हसीना ने सर्वसम्मति से इस विधेयक को अपनाने में सहयोग की महान भावना का प्रदर्शन करने के लिए भारत के राजनीतिक दलों एवं उनके नेताओं की प्रशंसा की। दोनों प्रधानमंत्रियों
ने जमीनी स्तर पर 1974 के भूमि सीमा करार और 2011 के इसके प्रोटोकॉल को शीघ्रता से लागू करने के लिए दोनों पक्षों के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने एन्क्लेव के निवासियों को सभी सुविधाएं प्रदान करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए
अपनी अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की कि सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। 1974 के भूमि सीमा करार और 2011 के इसके प्रोटोकाल की पुष्टि के ऐतिहासिक लिखतों का आदान प्रदान किया गया तथा पत्रों के आदान प्रदान के तहत उक्त करार एवं प्रोटोकाल के अबाध
कार्यान्वयन का सुनिश्चय करने के लिए तौर तरीके तैयार किए गए।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2011 के ''विकास के लिए सहयोग पर रूपरेखा करार'' को याद किया जो आर्थिक एकीकरण एवं बेहतर संपर्क के माध्यम से संबंधों में घनिष्ठता लाने के लिए एक स्थायी एवं दीर्घावधिक सहयोग के लिए साझा विजन को रेखांकित करता है तथा उसके लिए प्रतिबद्धता
करता है। उन्होंने उपलब्धियों का जायजा लेने तथा भावी सहयोग के लिए रास्ते तैयार करने पर जोर दिया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने उच्च स्तर पर यात्राओं के निरंतर आदान प्रदान को संतोष के साथ नोट किया जिससे चर्चा के अधीन अनेक मुद्दों पर बेहतर समझ प्राप्त करने में मदद मिली है। वे दोनों पक्षों के बीच इस तरह की और उच्च स्तरीय वार्ता को प्रोत्साहित करने पर
सहमत हुए। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को निरंतर बढ़ावा देने के लिए सेक्टोरल संस्थानिक तंत्रों की बैठकों के नियमित आयोजन की भी प्रशंसा की।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के नेतृत्व में 20 सितंबर, 2014 को नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त परामर्श आयोग की (जे सी सी) की तीसरी बैठक में हुई प्रगति की प्रशंसा की तथा उनको पहलों के कार्यान्वयन का समन्वय करने, निगरानी करने
और फालोअप करने के अलावा सहयोग के लिए नए अवसरों का पता लगाने का भी निर्देश दिया। इस बात पर सहमति हुई कि 2015 में ढाका में संयुक्त परामर्श आयोग की चौथी बैठक होगी।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहयोग के अतुल्य स्तर पर संतोष व्यक्त किया तथा सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों के अतिवाद एवं आतंकवाद के विरुद्ध अपने शर्त रहित एवं समान दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्धता के अलावा आतंकवाद
में शामिल व्यक्तियों एवं गुटों के बारे में सूचना की हिस्सेदारी के माध्यम से एक दूसरे के साथ सहयोग करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। उन्होंने अपनी इस प्रतिबद्धता को दोहराया कि वे अपने अपने भूभाग का प्रयोग ऐसी किसी गतिविधि के लिए करने की
अनुमति नहीं देंगे जो दूसरे देश के लिए वैमनस्यपूर्ण होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा से जुड़े मामलों में बंग्लादेश द्वारा प्रदान किए गए सहयोग के लिए भारत की ओर से आभार प्रकट किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने नकली नोटों की तस्करी की रोकथाम पर एम ओ यू के संपन्न
होने, तटरक्षकों के बीच सहयोग तथा मानव दुर्व्यापार की रोकथाम पर एम ओ यू के संपन्न होने पर संतोष व्यक्त किया। इन सभी से सुरक्षा सहयोग में वृद्धि होगी।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने बेहतर सीमा प्रबंधन के लिए समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (सी बी एम पी) के कारगर कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि सीमा पारीय आपराधिक गतिविधियों, अनियमित आवाजाही, हिंसा की घटनाओं तथा जीवन की दुखद क्षति पर रोक लग सके। उन्होंने
विश्वास व्यक्त किया कि इससे दोनों देशों के सीमा रक्षक बलों के बीच सहयोग में वृद्धि होगी तथा वे सीमा क्षेत्रों में आपराधिक गतिविधियों, अनियमित आवाजाही, हिंसा की घटनाओं तथा जीवन की क्षति पर रोक लगाने के उद्देश्य से कमजोर क्षेत्रों के रूप में अभिचिह्नित क्षेत्रों
का प्रबंधन करने में समर्थ होंगे। वे सीमाओं को आपराधिक गतिविधियों से मुक्त करने की आवश्यकता पर सहमत हुए। दोनों प्रधानमंत्रियों ने मानक प्रचालन प्रक्रियाओं (एस ओ पी) को अंतिम रूप देने का भी स्वागत किया जिससे बंग्लादेश के सीमा रक्षकों की सीमा चौकियों (बी
ओ पी) के निर्माण एवं अनुरक्षण के लिए भारतीय सीमा का प्रयोग करना और साथ ही बंगलादेशी कार्मिकों द्वारा सीमा क्षेत्र में कठिन इलाकों में भारतीय चिकित्सा सुविधाओं का प्रयोग करना संभव होगा, जो आसपास के इलाके में तैनात हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात को दोहराया
कि सीमा पर मौतों की संख्या शून्य होनी चाहिए तथा उन्होंने इस दिशा में काम करने के लिए संबंधित प्राधिकारियों एवं सीमा रक्षक बलों को निर्देश दिया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने सीमांत जिलों के क्लस्टरों के डी सी / डी एम की बैठक के पहले चक्र के आयोजन का स्वागत
किया तथा नियमित आधार पर बैठकों के आयोजन पर जोर दिया।
- प्रधानमंत्री हसीना ने बंग्लादेश में पदमा नदी पर गंगा बैराज के संयुक्त रूप से विकास में भारत के सहयोग को आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह भारत में संबंधित एजेंसियों द्वारा मामले की जांच करवाएंगे।
- प्रधानमंत्री हसीना ने प्रधानमंत्री मोदी से जनवरी 2011 में दोनों देशों की सरकारों के बीच सहमति के अनुसार तिस्ता नदी जल बंटवारे पर अंतरिम करार को तत्काल संपन्न करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तिस्ता और फेनी नदियों के पानी के बंटवारे पर
अंतरिम करार को यथासंभव शीघ्रता से संपन्न करने के संबंध में सभी हितधारकों के साथ बातचीत चल रही है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने नोट किया कि जे आर सी के तहत तकनीकी स्तरों पर मानू, मुहरी, खोवई, गुमती, धारला और दुधकुमार की नदियों के बंटवारे से संबधित विभिन्न पहलुओं
पर चर्चा हुई है तथा संबंधित अधिकारियों से जल्दी से जल्दी नदियों के पानी के बंटवारे से संबंधित व्यवस्थाओं को संपन्न करने के लिए कदम उठाने के लिए कहा।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2011 के विकास के लिए सहयोग पर रूपरेखा करार के अनुच्छेद-2 को याद किया तथा साझे घाटी प्रबंधन के माध्यम से समग्र ढंग से नदियों के पानी का बंटवारा सहित साझी नदियों के जल संसाधन प्रबंधन के मुद्दे को दूर करने के लिए अपनी अपनी प्रतिबद्धता
को दोहराया।
- प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली प्रतिबद्धता को दोहराया कि भारत नदियों को जोड़ने की अपनी परियोजना के हिमालय घटक पर ऐसा कोई एकपक्षीय निर्णय नहीं लेगा, जिससे बंग्लादेश प्रभावित हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारतीय पक्ष पर सांविधिक अपेक्षाओं की
वजह से इसके वर्तमान रूप में तिपाईमुख जल विद्युत परियोजना पर कोई अगला कदम उठाना संभव नहीं है तथा यह कि भारत इस मामले में ऐसा कोई एकपक्षीय निर्णय नहीं लेगा जिससे बंग्लादेश प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकता है।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने परस्पर लाभ के लिए जल संसाधन से संबधित सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जल्दी से जल्दी जे आर सी की 38वीं मंत्री स्तरीय बैठक के आयोजन की आवश्यकता पर जोर दिया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच विद्युत क्षेत्र में सहयोग के स्तर एवं उपलब्धियों पर गहरा संतोष व्यक्त किया तथा वे सहयोग को और बढ़ाने पर सहमत हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने बंग्लादेश में बिजली की स्थिति सुधारने में प्रधानमंत्री हसीना के अथक प्रयासों
तथा 2021 के लक्ष्य अर्थात वर्ष 2021 तक 24,000 मेगावाट की संस्थापित क्षमता प्राप्त करने की दिशा में उनकी सरकार के निरंतर प्रयासों के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति में भारत एक प्रमुख साझेदार हो सकता है तथा इस प्रयास में
बंग्लादेश के साथ सहयोग करने के लिए अनेक भारतीय निगमों के पास क्षमता है। उन्होंने प्रधानमंत्री हसीना से बंग्लादेश के विद्युत उत्पादन, वितरण एवं पारेषण क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के प्रवेश को सुगम बनाने का अनुरोध किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने विद्यमान
पारेषण लाइन पर शीघ्रता से 30-50 मेगावाट तक आपूर्ति बढ़ाने के लिए उठाए जा रहे कदम पर संतोष व्यक्त किया ताकि बंग्लादेश को निवल विद्युत आपूर्ति बढ़कर 500 मेगावाट हो जाए। दोनों पक्षों ने भेरमारा – बहरामपुर ग्रिड इंटरकनेक्शन के माध्यम से विद्युत की आपूर्ति
500 मेगावाट से बढ़ाकर 1000 मेगावाट करने और भारत से 100 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति को चालू करने के लिए उठाए जा रहे कदमों का स्वागत किया, जिसमें बंग्लादेश के पूर्वी क्षेत्र में पल्टाना विद्युत प्लांट से आपूर्ति शामिल है तथा संबंधित अधिकारियों को समयबद्ध
ढंग से काम पूरा करने का निर्देश दिया। रूपरेखा करार में परिकल्पना के अनुसार पावर ग्रिड कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी बंग्लादेश के पश्चिमी इलाके में एक अतिरिक्त ग्रिड इंटरकनेक्शन के निर्माण के माध्यम से चरणबद्ध ढंग से बंग्लादेश को भारत से
अतिरिक्त विद्युत के आयात को संभव बनाने के लिए बंग्लादेश के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए।
- दोनों पक्षों ने बंग्लादेश में बाराफुकरिया पर उपयुक्त पावर टैपिंग प्वाइंट के साथ बंग्लादेश द्वारा +800 के वी, 7000 मेगावाट एचवीडीसी मल्टी टर्मिनल बाईपोल डी सी ग्रिड लाइन के निर्माण के माध्यम से भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र (रांगिया / रोवटा) से भारत
के मुजफ्फर नगर में विद्युत के विद्युतीकरण के लिए भारत और बंग्लादेश के बीच सर्वसम्मति का स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी दोनों देशों की ग्रिड सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बंग्लादेश के लिए इस लाइन से पर्याप्त विद्युत प्रदान करने के लिए बंग्लादेश के अनुरोध
पर विचार करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए। दोनों पक्षों ने रामपाल, बगेरहाट, बंग्लादेश में भारत – बंग्लादेश मैत्री विद्युत कंपनी के 1320 मेगावाट के कोल फायर्ड पावर प्लांट के निर्माण की गति पर संतोष व्यक्त किया तथा उन्होंने आशा व्यक्त की कि निर्धारित
तिथि तक यह प्लांट चालू हो जाएगा तथा भारत – बंग्लादेश सहयोग का एक बढि़या उदाहरण बनने के लिए पर्यावरणीय एवं ऊर्जा दक्षता के मानकों को पूरा करेगा।
- बंग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल (बी बी आई एन) रूपरेखा में बिजली का आयात करने में बंग्लादेश की रुचि को नोट करते हुए भारत ग्रिड सुरक्षा, पारेषण, इंटरकनेक्शन तथा संबंधित देशों के लागू कानूनों, नियमों एवं विनियमों के अधीन ऐसे आयात पर अनुकूल ढंग से विचार
करने के लिए सहमत हुआ।
- दोनों प्रधानमंत्री ऊर्जा क्षेत्र में, विशेष रूप से नवीकरणीय एवं परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाने पर सहमत हुए। दोनों प्रधानमंत्री असैन्य परमाणु ऊर्जा, विशेष रूप से तकनीकी कार्मिकों के प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग के लिए सहमत हुए।
- ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग को ध्यान में रखते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने कोयला, प्राकृतिक गैस, एल एन जी, उप क्षेत्र में पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति, नवीकरणीय ऊर्जा, तेल एवं गैस पाइप लाइन आदि के क्षेत्रों सहित व्यापक ऊर्जा क्षेत्र
सहयोग शुरू करने के लिए भारत के सचिव (पेट्रोलियम) और बंग्लादेश के सचिव, विद्युत प्रभाग के संयुक्त नेतृत्व मे एक वार्षिक भारत – बंग्लादेश ऊर्जा वार्ता शुरू करने का निर्णय लिया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने बंग्लादेश को हाई स्पीड डीजल की आपूर्ति के लिए सिलीगुड़ी से पार्वती पुर तक पाइप लाइन के निर्माण के लिए नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एन आर एल) और बंग्लादेश पेट्रोलियम कारपोरेशन (बी पी सी) के बीच हस्ताक्षरित एम ओ यू एवं क्रय विक्रय
करार का स्वागत किया। उन्होंने अधिकारियों को संयुक्त उद्यम कंपनी की स्थापना की शर्तों को जल्दी से अंतिम रूप देने का निर्देश दिया, जो पाइप लाइन का निर्माण एवं प्रचालन करेगी।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने व्यापार सुगमता के नए प्रावधानों के साथ द्विपक्षीय व्यापार करार के नवीकरण का स्वागत किया जिससे न केवल परस्पर लाभ के लिए संतुलित एवं संपोषणीय ढंग से द्विपक्षीय व्यापार, निवेश एवं आर्थिक सहयोग में वृद्धि होगी अपितु क्षेत्रीय व्यापार
के लिए अवसर भी उत्पन्न होंगे। विकास के लिए सहयोग पर रूपरेखा करार के अनुच्छेद-1 को याद करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने संबंधित अधिकारियों को अबाध द्विपक्षीय व्यापार का सुनिश्चय करने के लिए सभी रुकावटों को दूर करने का निर्देश दिया। दोनों पक्षों ने व्यापार
असंतुलन को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि के लिए मानकों में सामंजस्य तथा करारों एवं प्रमाण पत्रों की परस्पर मान्यता के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बंग्लादेश मानक एवं परीक्षण संस्थान (बी एस टी आई) और भारतीय मानक ब्यूरो (बी आई एस)
के बीच द्विपक्षीय सहयोग के संपन्न होने का स्वागत किया। वे सुविधाओं के उन्नयन तथा आसानी से अनुपालन को सुगम बनाने के लिए सुरक्षा एवं परीक्षण में नए कानूनों, नियमों एवं विनियमों के बारे में एक दूसरे को सूचित रखने पर भी सहमत हुए।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने समन्वित ढंग से लैंड कस्टम स्टेशन (एल सी एस) / लैंड पोर्ट / इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आई सी पी) की आधारभूत सुविधाओं के उन्नयन की तुरंत आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने संतोष के साथ नोट किया कि बंगला बांध के सामने फुलबारी में उत्प्रवासन
की सुविधाएं खोलने का कार्य पूरा हो गया है और यह कि शीघ्र ही उत्प्रवासन चौकी चालू हो जाएगी।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने बार्डर हाट के संचालन से प्राप्त सकारात्मक अनुभव को नोट किया तथा परस्पर सहमत स्थानों पर और बार्डर हाट खोलने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- प्रधानमंत्री मोदी ने बंग्लादेश में भारतीय निवेश बढ़ाने की आवश्यकता एवं महत्व पर जोर दिया तथा इस संबंध में निजी क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने भारत के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एस ई जेड) के लिए भूमि आवंटित करने के लिए बंग्लादेश के निर्णय
का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने बंग्लादेश में भारतीय एस ई जेड की स्थापना के लिए एम ओ यू संपन्न होने का स्वागत किया तथा संबंधित अधिकारियों को जल्दी से जल्दी इस लक्ष्य को साकार करने के लिए काम करने का निर्देश दिया। मोंगला एवं भेरमारा की पहचान
संभावित लोकेशन के रूप में की गई है।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने तटीय पोत परिवहन करार पर हस्ताक्षर होने का स्वागत किया, जिससे द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय व्यापार एवं संपर्क के क्षेत्रों में सहयोग के नए अवसर उत्पन्न होंगे। उन्होंने व्यापार सुगमता के नए उपायों के साथ भारतीय जल पारगमन एवं व्यापार
पर करार (पी आई डब्ल्यू टी टी) के नवीकरण पर भी संतोष व्यक्त किया। दोनों प्रधानमंत्री उनकी पूर्ण क्षमता का उपयोग करने के लिए भारत – बंग्लादेश अंतर्देशीय जल प्रोटोकाल के मार्गों की ड्रेजिंग की आवश्यकता पर सहमत हुए। दोनों प्रधानमंत्रियों ने संबंधित अधिकारियों
को अंतर्राष्ट्रीय वित्त पोषण के माध्यम से आश्वस्त न्यूनतम उपलब्ध गहराई (एल ए डी) के साथ प्रोटोकाल के संपूर्ण मार्ग के विकास की संभावनाओं का पता लगाने का निर्देश दिया। प्रधानमंत्री मोदी रूपरेखा करार में परिकल्पना के अनुसार मार्गों की नौवहन क्षमता बढ़ाने
के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने पर सहमत हुए।
- दोनों प्रधानमंत्री तत्कालीन अंतर्रार्ष्टीय जूट अध्ययन समूह का एक उत्तराधिकारी संगठन विकसित करने की दिशा में सहयोगात्मक प्रयासों की गति तेज करने पर सहमत हुए। बंग्लादेश ने बंग्लादेश के लिए भारत से कॉटन की अबाध आपूर्ति के संबंध में भारत के आश्वासन
की प्रशंसा की।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने क्षेत्रीय आर्थिक विकास तथा जन दर जन संपर्क को सुनिश्चित करने के लिए चूक रहित मल्टी मॉडल संपर्क के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने नोट किया कि रोडवेज, रेलवे और वाटरवेज इस क्षेत्र के देशों ने परस्पर निर्भर एवं परस्पर लाभप्रद संबंध
के लिए बिल्डिंग ब्लॉक हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबंध में बंग्लादेश सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों की सराहना की। दोनों प्रधानमंत्री दोनों देशों के बीच मल्टी माडल परिवहन करार पर वार्ता शुरू करने और इस प्रयोजन के लिए एक संयुक्त कार्यबल का गठन करने
पर भी सहमत हुए।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने ढाका – शिलांग – गुवाहाटी बस सेवा तथा कोलकाता – ढाका – अगरतला बस सेवा आरंभ होने का स्वागत किया। भारत के प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि बंग्लादेश के प्रस्ताव के अनुसार खुलना – कोलकाता और जेशोरी – कोलकाता पर नई बस सेवाएं दोनों पक्षों
द्वारा परामर्श के पूरा हो जाने पर चालू हो सकती हैं। रामगढ़ – सबरूम में फेनी नदी पर एक पुल के निर्माण के लिए प्रस्ताव के संबंध में घटनाक्रमों की समीक्षा करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने जल्दी से इसके निर्माण का निर्देश दिया।
- प्रधानमंत्री मोदी खुलना एवं कोलकाता के बीच दूसरी मैत्री एक्सप्रेस शुरू करने के लिए बंग्लादेश के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए सहमत हुए। दोनों प्रधानमंत्रियों ने अखौरा – अगरतला रेलवे लिंक एवं पुराने रेल लिंक का जीर्णोद्धार सहित रेलवे क्षेत्र में चल रहे
सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने दोनों पक्षों के संबंधित अधिकारियों को मैत्री एक्सप्रेस के यात्रियों के लिए अधिक यात्री अनुकूल कस्टम एवं इमीग्रेशन सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत एक उपयुक्त
स्थान पर भारत में एक आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय यात्री टर्मिनल (टी पी टी) का निर्माण करेगा ताकि कोलकाता – ढाका मैत्री एक्सप्रेस एवं अन्य ट्रेनों पर यात्रा करने वाले यात्रियों की कस्टम एवं इमीग्रेशन संबंधी आवश्यकताओं को सुगम बनाया जा सके, जो भारत और बंग्लादेश
को जोड़ने के लिए हैं।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने 800 मिलियन अमरीकी डालर की पहली ऋण सहायता के उपयोग पर संतोष व्यक्त किया, जिसे भारत द्वारा बंग्लादेश के लिए प्रदान की गई 62 मिलियन अमरीकी डालर और 200 मिलियन अमरीकी डालर द्वारा बढ़ाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने विकास की विभिन्न
परियोजनाएं शुरू करने के लिए बंग्लादेश के लिए 2 बिलियन अमरीकी डालर की दूसरी ऋण सहायता की घोषणा की। इस ऋण सहायता का उपयोग अन्य बातों के साथ विशेष रूप से सार्वजनिक परिवहन, सड़क, रेल, अंतर्देशीय जल मार्ग, बंदरगाह, आई सी टी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्रों
में विकास की परियोजनाओं के लिए किया जाएगा।
- दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच इस बात पर सहमति हुई कि विद्युत क्षेत्र, जल संसाधन, व्यापार, पारगमन एवं संपर्क में उपक्षेत्रीय सहयोग के लाभों का उपयोग परस्पर लाभ के लिए होना चाहिए। इस संदर्भ में दोनों प्रधानमंत्रियों ने जल संसाधन प्रबंधन एवं विद्युत / जल
विद्युत पर तथा संपर्क एवं पारगमन पर बंग्लादेश, भूटान, भारत एवं नेपाल (बी बी आई एन) के बीच उपक्षेत्रीय सहयोग पर संयुक्त कार्यसमूह द्वारा की गई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। अब तक आयोजित संयुक्त कार्य समूहों की दो बैठकों में चर्चा के उपरांत संबधित देशों
के संबंधित अधिकारी उपक्षेत्र में संभावित भावी विद्युत परियोजनाओं की पहचान करने की दिशा में काम कर रहे हैं जिन्हें संयुक्त विकास एवं वित्त पोषण के लिए साम्यपूर्ण आधार पर कम से कम तीन देशों को शामिल करने के लिए संयुक्त रूप से निष्पादित किया जाएगा। वे कम
से कम तीन देशों को शामिल करते हुए संभावित कार्गो (सड़क एवं रेलवे) तथा बस मार्गों पर भी विचारों का आदान प्रदान कर रहे हैं। चार देशों के संगत प्राधिकारी अपनी वाणिज्यिक जरूरतों के अलावा पर्यटकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी मल्टी माडल परिवहन का प्रयोग करने
की संभावना का भी पता लगा रहे हैं। वे भूमि सीमा चौकियों पर व्यापार सुगमता में सुधार लाने के तरीकों एवं उपायों पर भी विचार कर रहे हैं ताकि उपक्षेत्रीय संपर्क एवं सहयोग में वृद्धि हो सके।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने नए क्षेत्रों में संबंध का विस्तार करने के लिए दोनों देशों के बीच सिनर्जी का दोहन करने की आवश्यकता को स्वीकार किया। उन्होंने परमाणु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, जूट एवं टेक्सटाइल, अक्षय ऊर्जा, मछली पालन,
मौसम विज्ञान तथा विकास से संबंधित अन्य क्षेत्रों सहित नए क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने विशेष रूप से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग की सराहना की जो भारत – बंग्लादेश संयुक्त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
समिति के तत्वावधान में हो रहा है, जिसकी चौथी बैठक दिसंबर, 2014 में नई दिल्ली में हुई थी, जिसका समन्वय बंग्लादेश की ओर से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा भारत की ओर से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डी एस टी) द्वारा किया गया था। दोनों प्रधानमंत्रियों
ने विविध क्षेत्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग को आगे बढ़ाने से जुड़े प्रयासों की सराहना की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत विज्ञान अनुसंधान अध्येतावृत्ति की शुरुआत पर संतोष व्यक्त किया, जिससे बंग्लादेश के वैज्ञानिक / शोधकर्ता भारत के विभिन्न संस्थानों
में शोध कार्य करने में समर्थ होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने बंग्लादेश के वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं को भारत की विभिन्न वैज्ञानिक संस्थाओं में, विशेष रूप से जैव प्रौद्योगिकी एवं महासागर विज्ञान के क्षेत्रों में, जिनकी पहचान बंग्लादेश द्वारा प्राथमिकता के क्षेत्रों
के रूप में की गई है, प्रशिक्षण एवं एक्सपोजर प्राप्त करने के लिए आमंत्रित किया।
- प्रधानमंत्री हसीना ने सूचित किया कि बंग बंधु उपग्रह-I, जो बंग्लादेश का पहला उपग्रह है, 2017 में प्रक्षेपित किया जाना है जिससे देश वैज्ञानिक तरक्की के अगले स्तर पर पहुंच जाएगा। उन्होंने भारत द्वारा शुरू की जा रही सार्क उपग्रह परियोजना की प्रशंसा की।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा के सौहार्दपूर्ण समाधान पर संतोष व्यक्त किया। इसके माध्यम से भारी मात्रा में जो अवसर उत्पन्न हुए हैं उनका उपयोग करने के लिए वे बंगाल की खाड़ी में महासागर आधारित नीली अर्थव्यवस्था और समुद्री
सहयोग के विकास पर निकटता से काम करने तथा भावी सहयोग के तरीके ढूंढने पर सहमत हुए।
- दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच इस बात पर सहमति हुई कि जलवायु परिवर्तन आज की सबसे बड़ी चुनौती है, जिससे मानव जाति जूझ रही है तथा उन्होंने गरीबी उन्मूलन एवं संपोषणीय विकास के संदर्भ में अपने अपने देश में महत्वाकांक्षी जलवायु कार्ययोजना के लिए अपने संकल्प
को व्यक्त किया। उन्होंने पेरिस में 2015 में एक महत्वाकांक्षी, व्यापक, संतुलित एवं साम्यपूर्ण जलवायु करार को संपन्न करने के लिए साथ मिलकर और दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करने के महत्व को रेखांकित किया, जो इस साझी वैश्विक चुनौती से निपटने में जायज प्रौद्योगिकी
सहयोग एवं वित्तीय सहायता के मुद्दे पर भी ध्यान देगा। वे जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग गहन करने पर सहमत हुए।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने बंग्लादेश में 70,000 परिष्कृत कुक स्टोव के संस्थापन के लिए भारतीय जलवायु परिवर्तन निधि से 5 करोड़ रुपए के सहायता अनुदान को लागू करने के लिए एम ओ यू पर हस्ताक्षर होने का भी स्वागत किया।
- प्रौद्योगिकी प्रदर्शन की प्रायोगिक परियोजना के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ने बंग्लादेश में एक आफग्रिड गांव को लाइट बल्ब, मोबाइल चार्जिंग सुविधा, फैन एवं कुक स्टोव सहित भारत द्वारा सौर विद्युत आधारित गृह प्रणालियों के संस्थापन एवं उपलब्ध कराने की घोषणा
की।
- शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच चल रहे सहयोग को स्वीकार करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने परस्पर लाभ के लिए इस सहयोग को विस्तृत करने के लिए अपनी अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। इस सिलसिले में उन्होंने दोनों देशों के विश्वविद्यालयों तथा
शैक्षिक संस्थानों के बीच सहयोग की विभिन्न व्यवस्थाओं की प्रशंसा की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत – बंग्लादेश शिक्षा पहल का भी स्वागत किया तथा विश्वास व्यक्त किया कि इस पहल द्वारा जो रूपरेखा प्रदान की गई है उससे दोनों देशों की संस्थाओं के बीच संबंध
समृद्ध होंगे।
- प्रधानमंत्री हसीना ने शहर सुधार परियोजनाओं जिनको राजशाही, सिलहट, फुलना एवं नर्सिंगडी में संचालित किया जा रहा है, लघु विकास परियोजनाओं पर द्विपक्षीय एम ओ यू के तहत भारत द्वारा प्रदान की गई सहायता के लिए भारत की प्रशंसा की।
- प्रधानमंत्री हसीना ने विशेष रूप से बंग्लादेश के सिविल सर्वेंट के लिए कस्टम डिजाइंड पाठ्यक्रमों जैसे कि करियर मध्य प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा आई टी ई सी कार्यक्रम के तहत बंग्लादेश के लिए संचालित किए जा रहे क्षमता निर्माण कार्यक्रम में पर्याप्त रूप से वृद्धि
के लिए भारत का धन्यवाद किया। उन्होंने मांग की कि बंग्लादेश के अधिकारियों के प्रशिक्षण में भारत अपनी सहायता प्रदान करना जारी रखे। प्रधानमंत्री मोदी ने बंग्लादेश के अधिकारियों एवं तकनीकी कार्मिकों के प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता
को दोहराया।
- दोनों देशों के बीच शैक्षिक आदान प्रदान पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए दोनों प्रधानमंत्री ऐसे आदान प्रदान में और वृद्धि करने पर सहमत हुए। उन्होंने इस प्रयोजन के लिए दोनों देशों द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न परियोजनाओं को भी नोट किया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के लोगों के बीच बढ़ते आदान प्रदान का स्वागत किया जिससे दोनों देशों के बीच अधिक समझ एवं सदभाव को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है। वे जन दर जन संपर्कों को और बढ़ाने पर सहमत हुए। इस संदर्भ में इस बात पर सहमति हुई कि दूरदर्शन
एवं बंग्लादेश के डिवीजन (बी टी वी) एक करार करेंगे जिससे बी टी वी प्रसार भारती के डी टी एच प्लेटफार्म में शामिल हो सकेगा।
- दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच इस बात पर सहमति हुई कि एक दूसरे के देश में राजनयिक एवं कोंसुलर उपस्थिति को सुदृढ़ करने से जन दर जन संपर्कों में और मजबूती आएगी। प्रधानमंत्री हसीना ने गुवाहाटी में बंग्लादेश का उप उच्चायोग खोलने के अलावा सहायक उच्चायोग के
रूप में अगरतला में बंग्लादेश के वीजा कार्यालय का उन्नयन करने के लिए भारत सरकार की सहमति की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री मोदी ने फुलना एवं सिलहट में भारत के सहायक उच्चायोग खोलने के लिए बंग्लादेश सरकार की सहमति की प्रशंसा की।
- प्रधानमंत्री मोदी ने माननीय उद्देश्य के लिए बंग्लादेश के भूभाग में त्रिपुरा को 25,000 मीट्रिक टन खाद्यान्न के नौप्रेषण की अनुमति प्रदान करने के लिए बंग्लादेश सरकार की दिल से प्रशंसा की। प्रधानमंत्री हसीना ने नेपाल ने हाल ही में आए भूकंप के पीडि़तों
के लिए बंग्लादेश से मानवीय सहायता पहुंचाने में सुगमता के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई सहायता की दिल से प्रशंसा की।
- प्रधानमंत्री हसीना ने यमन से बंग्लादेश के नागरिकों को वापस लाने में भारत द्वारा की गई सहायता के लिए भारत की दिल से प्रशंसा की।
- प्रधानमंत्री मोदी ने माननीय उद्देश्य के लिए बंग्लादेश के भूभाग में त्रिपुरा को 25,000 मीट्रिक टन खाद्यान्न के नौप्रेषण की अनुमति प्रदान करने के लिए बंग्लादेश सरकार की दिल से प्रशंसा की। प्रधानमंत्री हसीना ने नेपाल ने हाल ही में आए भूकंप के पीडि़तों
के लिए बंग्लादेश से मानवीय सहायता पहुंचाने में सुगमता के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई सहायता की दिल से प्रशंसा की।
- प्रधानमंत्री हसीना ने यमन से बंग्लादेश के नागरिकों को वापस लाने में भारत द्वारा की गई सहायता के लिए भारत की दिल से प्रशंसा की।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने लाभों की पारस्परिकता को अधिकतम करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को गहन करने तथा व्यापार, परिवहन एवं ऊर्जा सहित सभी क्षेत्रों में परस्पर लाभों का साम्यपूर्ण बंटवारा सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को गहन करने के लिए अपनी अपनी
साझी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। उन्होंने दोनों देशों में सभी लोगों के जीवन एवं जीविका में सुधार के लिए विभिन्न क्षेत्रीय / उप क्षेत्रीय सहयोग / सहयोगात्मक पहलों के महत्व को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री हसीना ने बंग्लादेश के मौसम विज्ञान विभाग के
लिए भारतीय अंतरिक्ष निगम द्वारा निर्मित सार्क स्टार्म कार्यक्रम के तहत भारत द्वारा स्थापित 24 स्वचालित मौसम केन्द्रों के लिए भारत का धन्यवाद किया।
- सार्क, बिम्स्टेक एवं बी सी आई एम – ई सी सहित संगत क्षेत्रीय / उप क्षेत्रीय सहयोग की प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाने में निकटता से काम करने की शपथ लेते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस संबंध में उठाए गए विभिन्न कदमों की समीक्षा की। उन्होंने बिम्स्टेक विद्युत
ग्रिड स्थापित करने के लिए हुई सहमति का स्वागत किया तथा आशा व्यक्त की कि बिम्स्टेक मुक्त व्यापार करार को शीघ्र ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि बी सी आई एम – ई सी अध्ययन समूह की रिपोर्टों को शीघ्र ही अंतिम रूप दिया
जाएगा ताकि विशेष रूप से कोलकाता – कुनमिंग राजमार्ग परियोजना के संबंध में इस रूपरेखा के तहत अनेक परिकल्पित परियोजनाओं के संबंध में निर्णय लिया जा सके। दोनों प्रधानमंत्रियों ने डब्ल्यू टी ओ सहित संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य बहुपक्षीय संगठनों में निकटता से काम
करने के लिए अपनी अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। उन्होंने 2015 पश्चात विकास एजेंडा, प्रवास एवं विकास तथा आपसी हित के अन्य बहुपक्षीय मुद्दों सहित उभरते वैश्विक विकास वास्तुशिल्प पर एक दूसरे के दृष्टिकोण में समन्वय स्थापित करने के महत्व को रेखांकित
किया। दोनों पक्षों ने इसके विकास अधिदेश के अनुसरण में और विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों के लिए विकास के परिणामों के शीघ्रता से डिलिवर होने का सुनिश्चय करते हुए डब्ल्यू टी ओ के तहत दोहा विकास चक्र को संपन्न करने की आवश्यकता पर जोर दिया। दोनों पक्षों
ने संयुक्त राष्ट्र की शांति स्थापना की कार्यवाहियों में दोनों देशों के योगदान पर संतोष व्यक्त किया तथा वे संयुक्त राष्ट्र की 70वीं वर्षगांठ के वर्ष में संयुक्त राष्ट्र में शांति स्थापना की चल रही सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम
करने पर सहमत हुए। दोनों प्रधानमंत्रियों ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने में एक प्रमुख कारक के रूप में मजबूत संयुक्त राष्ट्र पर आधारित कारगर बहुपक्षीय प्रणाली के महत्व को दोहराया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार के चिरकालीन विषय पर प्रगति
की धीमीाष्ट्र यों क्षा की। उन्होने गति पर चिंता व्यक्त की तथा संयुक्त राष्ट्र की 70वीं वर्षगांठ के वर्ष में तत्काल परिणाम प्राप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने अंतर सरकारी वार्ता (आई जी एन) का समर्थन करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की
तथा वार्ता के परिणाम उन्मुख फलों का आह्वान किया जिससे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार हो सके जिसमें सदस्यता की दोनों श्रेणियों में विस्तार शामिल है। प्रधानमंत्री हसीना ने विस्तारित एवं संशोधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी
सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी के लिए अपने देश के समर्थन को दोहराया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण एवं सुधार तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक निर्णय लेने में विकासशील देशों की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने विकासशील देशों की जरूरतों पर ध्यान देने में नए
विकास बैंक और एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक की संभावित भूमिका का स्वागत किया जो वे इस संबंध में निभा सकते हैं। इस सिलसिले में प्रधानमंत्री मोदी ने नए विकास बैंक का यथासमय सदस्य बनने के लिए बंग्लादेश के अनुरोध को नोट किया।
- प्रधानमंत्री मोदी ने बंग्लादेश में अपने प्रवास के दौरान स्वयं के लिए एवं अपने शिष्टमंडल के लिए प्रदान किए गए भव्य अतिथि सत्कार तथा मधुर एवं मैत्रीपूर्ण भावनाओं के लिए प्रधानमंत्री हसीना का धन्यवाद किया।
- प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री हसीना को भारत का दौरा करने के लिए न्योता दिया। न्योते को स्वीकार कर लिया गया तथा इस बात पर सहमति हुई कि यह दौरा परस्पर सुविधाजनक तिथि को होगा।
बंग्लादेश की प्रधानमंत्री के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री का मीडिया के लिए वक्तव्य
द्विपक्षीय दस्तावेजों की सूची जिन पर भारत के प्रधानमंत्री की बंग्लादेश की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए, आदान प्रदान किया गया, अपनाया गया और सौंपा गया
1974 के भूमि सीमा करार की पुष्टि के लिखतों एवं इसके प्रोटोकॉल, 2011 का
आदान प्रदान - 1974 के भूमि सीमा करार एवं इसके प्रोटोकॉल, 2011 के कार्यान्वयन के लिए तौर तरीकों पर पत्रों का आदान प्रदान
- द्विपक्षीय व्यापार करार (नवीकरण)
- भारत और बंग्लादेश के बीच तटीय पोत परिवहन पर करार
- अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार पर प्रोटोकाल (नवीकरण)
- मानकीकरण के क्षेत्र में सहयोग के लिए बंग्लादेश मानक एवं परीक्षण संस्था (बी एस टी आई) और भारतीय मानक ब्यूरो (बी आई एस) के बीच द्विपक्षीय सहयोग करार
- ढाका – शिलांग – गुवाहाटी बस सेवा पर करार और इसका प्रोटोकाल
- कोलकाता – ढाका – अगरतला बस सेवा पर करार और इसका प्रोटोकाल
- तटरक्षकों के बीच समझौता ज्ञापन
- मानव दुर्व्यापार की रोकथाम पर समझौता ज्ञापन
- तस्करी एवं नकली नोटों के परिचालन की रोकथाम पर समझौता ज्ञापन
- भारत सरकार द्वारा बंग्लादेश सरकार को 2 बिलियन अमरीकी डालर की एक नई ऋण सहायता (एल ओ सी) प्रदान करने के लिए भारत और बंग्लादेश के बीच समझौता ज्ञापन
- बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में नीली अर्थव्यवस्था तथा समुद्रीय सहयोग पर समझौता ज्ञापन
- चटगांव एवं मोंगला बंदरगाहों के प्रयोग पर समझौता ज्ञापन
- आई ई सी के तहत एक परियोजना (सार्क के जलवायु परिवर्तन पर भारत का एंडाउमेंट) के लिए समझौता ज्ञापन
- भारतीय आर्थिक क्षेत्र पर समझौता ज्ञापन
- वर्ष 2015-17 के लिए सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम
- बंग्लादेश – भारत शिक्षा सहयोग पर मंशा वक्तव्य (अंगीकरण)
- अखुरा में इंटरनेट के लिए इंटरनेशनल बैंडविड्थ को पट्टा पर देने के लिए बंग्लादेश सबमरीन केबल कंपनी लिमिटेड (बी एस सी सी आई एल) और भारत संचार निगम लिमिटेड (बी एस एन एल) के बीच करार
- बंगाल की खाड़ी के समुद्री विज्ञान पर संयुक्त अनुसंधान के लिए ढाका विश्वविद्यालय, बंग्लादेश और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत के बीच समझौता ज्ञापन
- राजशाही विश्वविद्यालय, बंग्लादेश और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, भारत के बीच समझौता ज्ञापन
- बंग्लादेश में प्रचालन आरंभ करने के लिए बीमा विकास एवं विनियामक प्राधिकरण (आई डी आर ए), बंग्लादेश द्वारा जीवन बीमा निगम (एल आई सी), भारत को सहमति पत्र का सौंपा जाना।