माननीय अध्यक्ष,
महामहिम,
देवियो और सज्जनो,
मैं, गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अध्यक्ष का पद ग्रहण करने के लिए क्यूबा को बधाई देता हूं । हम राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ, अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना करते हैं ।
हम, आंदोलन के कुशल प्रबंधन के लिए प्रधानमंत्री बदावी को भी बधाई देते हैं ।
अध्यक्ष महोदय, इस आंदोलन के एक संस्थापक हमारे प्रिय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि ‘गुटनिरपेक्ष कार्य की स्वतंत्रता है जो आजादी का एक हिस्सा है’ । वह चाहते थे कि हम पूर्ण स्वतंत्रता और किसी पूर्वावधारित पक्षपात के बगैर मामलों का आकलन करें । उनकी
यही दृष्टि आगामी वर्षों में हमारे संदर्श को आकार देती रहेगी ।
अध्यक्ष महोदय, हम ऐसे विश्व में रहते हैं जहां पारस्परिक निर्भरता बढ़ रही है । हमारे सामने राष्ट्रों की इस पारस्परिक निर्भरता के संतुलित और न्यायसंगत प्रबंधन को बढ़ावा देने की चुनौती है । भूमंडलीकरण में जैसे-जैसे प्रगति हो रही है, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय
सीमाएं कम से कम प्रासंगिक रह गई हैं । हमारी समस्याएं वैश्विक हैं और इसलिए हमारे समाधान भी वैश्विक होने चाहिए ।
संयुक्त राष्ट्र ने अतीत में अंतर्राष्ट्रीय कार्यसूची तैयार करने में रचनात्मक और निर्णायक नेतृत्व प्रदान किया है । इसे पुन: ऐसा करना होगा । संयुक्त राष्ट्र में सुधार और संयुक्त राष्ट्र महासभा को पुन: सक्रिय बनाना अत्यावश्यक है ।
विकासशील दुनिया को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए । हम, विश्व शासन की प्रक्रिया को लोकतांत्रिक बनाने, विधिसम्मत शासन, संतुलन और औचित्य पर आधारित नई वैश्विक राज्य व्यवस्था प्रारंभ करने के प्रति
समान राय रखने वाले अन्य देशों से हाथ मिलाएं ।
हम, गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सदस्यों की संख्या, संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की संख्या के आधे से अधिक है । हमारी सामूहिक शक्ति का कोई मुकाबला नहीं है और अब हम ‘व्यापक भूमंडलीकरण’ की साझा और मौलिक रूप से नई संकल्पना के लिए एकजुट हुए हैं ।
बाइबिल की कहावत ‘जिसके पास है, उसी को दिया जाएगा’ आर्थिक मामलों में काफी लागू होती है । भूमंडलीकरण के साथ इसके लाभों का अधिक संतुलित और न्यायसंगत वितरण भी हो अन्यथा चुनौतियों के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया असमान और पक्षपातपूर्ण रहेगी ।
गुटनिरपेक्ष देशों के तौर पर हमने, विश्व को सैद्धांतिक रूप से असंगत खंडों में विभाजित करने वाले प्रयासों के विरुद्ध संघर्ष का नेतृत्व किया है । हमने जातीय विभाजन से आगे निकलकर, शांतिपूर्ण सह अस्तित्व और मानवता के उच्चतर उद्देश्य का समर्थन किया है । आज
हम पुन: कृत्रिम सांस्कृतिक और धार्मिक विभाजन के खतरे का सामना कर रहे हैं ।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन में मानव जाति का प्रत्येक धर्म, प्रत्येक जातीय समूह और सिद्धांत शामिल है । इसे आज पुन: मेल-मिलाप के सेतु की भूमिका निभानी है । हमारा सहयोगी विश्व दृष्टिकोण ‘संस्कृतियों के संघर्ष’ की भावना को अस्वीकार करता है । इसके बजाए विश्व के
लिए हमारा संदेश यह हो कि ‘सभ्यताओं के सम्मिलन’ के लिए कार्य करना संभव है ।
यदि गुटनिरपेक्ष आंदोलन को आज की परिस्थितियों में प्रासंगिक बनाना है, आतंकवाद के विषय पर टाल-मटोल नहीं की जा सकती । हम यह संदेश दें कि आतंकवाद से लड़ने और इसे समाप्त करने की हमारी समान इच्छा है । हम, यह सहन नहीं कर सकते कि असहिष्णु और अतिवादी ताकतें गरीबी,
निरक्षरता और बीमारियों जैसी मुख्य चिंताओं से दुनिया का ध्यान हटा दें ।
अध्यक्ष महोदय, नए वैचारिक विभाजन की उभरती रेखाएं जितनी पश्चिम एशिया में स्पष्ट हैं उतनी अन्यत्र नहीं हैं । हमने लेबनान में अभी हाल में एक दुखद और निरर्थक युद्ध देखा है । इससे पागलपन और विद्वेष की भावना भड़की है और एक ऐसे देश में नृशंसता फैल गई है जहां
वर्षों के संघर्ष के बाद अंतरजातीय और अंतरधार्मिक सामंजस्य की अभी शुरूआत हुई थी ।
मैं सिफारिश करता हूं कि हम पश्चिम एशिया के लिए एक उपयुक्त उच्चस्तरीय समूह का गठन करें । यह समूह, क्षेत्र में समझ बढ़ाने के लिए एक स्थायी मिशन चला सकता है और व्यापक शांति के लिए सहमत रूपरेखा लागू करने में सहायता कर सकता है ।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस मामले के समाधान के लिए तथा फिलिस्तीनी जनता की वर्षों से जारी पीड़ा को हमेशा के लिए समाप्त करने के लिए अपनी पूरी जिम्मेदारी उठानी चाहिए ।
1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक व्यापक और विश्वसनीय कार्य योजना पेश की थी । मेरा विश्वास है कि अब समय आ गया है जब गुटनिरपेक्ष आंदोलन, परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए सक्रिय और अग्रणी भूमिका निभाए
। भारत ने परमाणु निरस्त्रीकरण संबंधी दस्तावेज तैयार किया है जिसे इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में, एक दस्तावेज के तौर पर परिचालित किया जाएगा ।
हम, गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अपने साथियों से आग्रह करते हैं कि विश्व के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण और सभी परमाणु अस्त्रों से मुक्त विश्व का लक्ष्य प्राप्त करने के हमारे प्रयासों में भागीदार बनें ।
अध्यक्ष महोदय, पर्यावरण संबंधी प्रथम विश्व सम्मेलन में, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने घोषणा की थी ‘कोई पहली, दूसरी या तीसरी दुनिया नहीं है; हम सभी एक दुनिया का हिस्सा हैं ।’ गुटनिरपेक्ष आंदोलन को ‘ऊर्जा सुरक्षा के नए प्रतिमान’ स्थापित करने में अग्रणी भूमिका
निभानी चाहिए ताकि सभी लोगों और भूमंडल की सभी आवश्यकताओं का समाधान हो सके ।
भारत, भविष्य की ऊर्जा चुनौतियों के समाधान के लिए ऊर्जा सुरक्षा की गुटनिरपेक्ष आंदोलन कार्य योजना तैयार करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में गुटनिरपेक्ष आंदोलन कार्य समूह की स्थापना का प्रस्ताव करता है । भारत, ऐसे किसी समूह के समन्वय के लिए तैयार है
।
अध्यक्ष महोदय, अफ्रीकी देश, गुटनिरपेक्ष आंदोलन और संयुक्त राष्ट्र महासभा में सबसे बड़ा अकेला समूह है । हमारे भूमंडल का भविष्य निश्चित रूप से अफ्रीका के भविष्य से जुड़ा है । मेरा विश्वास है कि हमें अफ्रीका के संबंध में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की प्रमुख पहल
शुरू करने का सुअवसर मिला है ।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की पहल, मानव संसाधन और कृषि विकास पर केंद्रित होगी । इसके लिए अफ्रीका में भविष्य में निवेश के लिए अपनी परिसंपत्तियों को एकत्रित करने के लिए अफ्रीकी संघ के सहयोग से एक तंत्र स्थापित करना होगा । हम, अफ्रीका के संबंध में गुटनिरपेक्ष आंदोलन
की व्यापक पहल पर गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अन्य इच्छुक देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं ।
अध्यक्ष महोदय, यदि हम गुटनिरपेक्ष आंदोलन को पुन: सक्रिय बनाना चाहते हैं, तो हमारे शिखर सम्मेलन का सामूहिक संदेश, तात्कालिक अंतर्राष्ट्रीय मसलों के समाधान के लिए वैश्विक प्रयासों की सफलता पर केंद्रित हो, चाहे वह आतंकवाद हो, महामारी, ऊर्जा सुरक्षा या पर्यावरण
हो ।
एक समूह के तौर पर हमने अतिवाद को अस्वीकार किया है । हमें शांति समर्थक गांधी जी का संदेश फैलाना होगा । और तब हमारी वाणी में आत्मसंयम, सामंजस्य और संतुलन होगा । यदि दुनिया की आधी आबादी से अधिक लोगों की ऐसी वाणी हो तो यह प्रबल होगी और इससे हमारे भूमंडल के
भविष्य को मार्गदर्शन मिलेगा ।