प्रतिष्ठित नेतागण,
महानुभाव, प्रतिनिधिगण,
देवियों एवं सज्जनों
हम इस शानदार संवाद - जो कि रायसीना डायलॉग 2022 है - के लगभग अंत की ओर हैं, मेरे लिए, यह तीन दिन रोमांचक और आकर्षक रहे हैं।
आज शाम, इन सम्मानित श्रोताओं की उपस्थिति में समापन भाषण देना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।
देवियों एवं सज्जनों,
75 वर्ष का भारत अब उभरती हुई ताकत नहीं रहा है।
भारत की स्वतंत्रता के बाद से, देश ने दुनिया के साथ अपने जुड़ाव को निरंतर आधार प्रदान किया है। सहस्राब्दी के मोड़ पर, देश ने सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय भागीदारी के अपने नेटवर्क का विस्तार किया है।
पिछले कुछ दशकों में, भारत संकट के समय में पड़ोसी देशों को सहायता प्रदान करने वाला - संसाधनों, वित्तपोषण और मार्गदर्शन के साथ - प्रथम प्रतिसंवेदक रहा है। हमारी 'नेबरहुड फ़र्स्ट' और 'एक्ट ईस्ट' नीतियां ऐतिहासिक बंधनों को लगातार मजबूत कर रही हैं, साथ ही हमारे पड़ोस के रूप में पारंपरिक रूप से समझे जाने वाले ‘भौगोलिक आलिंगन’ का विस्तार भी करती हैं।
हम इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में कई उपक्रमों में लगे हुए हैं, जिनमें बुनियादी ढांचा और हमारे भागीदारों के साथ सूचना-साझा करना शामिल हैं।
समुद्री क्षेत्र और हिंद महासागर क्षेत्र में हमारी पहलें, ‘सागर’ सिद्धांतों से प्रेरणा लेती हैं - जहां हमारा लक्ष्य इस क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा प्रदान करना और विकास करना है।
आज, हम नियमों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक सक्षम, इच्छुक और विश्वसनीय भागीदार के रूप में पहचाने जाते हैं। यह वास्तव में एक राष्ट्र के रूप में भारत के लिए एक परिवर्तनकारी यात्रा रही है।
हमारा विश्व आज महाशक्तियों के संघर्षों, भू-राजनीतिक विखंडन और आर्थिक अनिश्चितताओं से पहचाना जाता है। 21वीं सदी की वास्तविक राजनीति, ज्यादातर मामलों में, अभिनेताओं के एक ही समूह के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा के बीच एक अच्छा संतुलन बनाने के बारे में है।
कोविड -19 महामारी ने कुछ दोषों और कमजोरियों पर प्रकाश डाला है जो हमारी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ-साथ हमारी सामाजिक-आर्थिक, स्वास्थ्य और मानव सुरक्षा प्रणालियों को भी प्रभावित करती हैं।
इन चुनौतियों के बावजूद, भारत ने अन्य देशों का नेतृत्व करने, सहायता करने और समर्थन करने में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। इसमें विभिन्न मंच तथा पहलें द्विपक्षीय रूप से, और बहुपक्षीय रूप से शामिल हैं।
दुनिया के साथ भारत का जुड़ाव परामर्शी, प्रतिक्रिया-आधारित और मानव केंद्रित रहा है।
भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में - जिसे हम गर्व से 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' कहते हैं - देश एक समाज के रूप में अपनी उपलब्धियों, अपने इतिहास और मूल्यों का जश्न मना रहा है। हम इस अवसर का उपयोग वैश्विक मंच पर एक नए भारत के लिए भविष्य-उन्मुखी रणनीतियों पर विमर्श करने के लिए भी कर रहे हैं।
सहस्राब्दी के तीसरे दशक में हमारी अनिवार्यताओं में लचीली और रचनात्मक साझेदारी का निर्माण करना शामिल है। 75 वर्ष का भारत इन दोहरे लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि यह अपनी महत्वाकांक्षाओं का विस्तार कर रहा है और भविष्य के अनुसार अपने दृष्टिकोणों को ढाल रहा है।
जब हम अतीत के बंधनों और अवरोधों को छोड़ कर एक उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं, तो मुझे महान नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के ये शब्द याद आ रहे हैं -
"जहाँ मन निर्भय है, और सिर ऊँचा है... उस आज़ादी के स्वर्ग में मेरे पिता, मेरे देश को जगाने दो"।
मेरे प्रिय मित्रों,
रायसीना 2022 में, हमने कई उन मुद्दों की पड़ताल की है जो आज हमारे लिए वास्तव में महत्वपूर्ण हैं।
संक्षेप में, हमने मोटे तौर पर छह स्तंभों के आसपास बातचीत शुरू की है – पहला है, तकनीक, व्यापार और उभरती विचारधाराओं के परस्पर मिश्रित कोणों के साथ लोकतंत्र के विचार पर पुनर्विचार। दूसरे, हमने वर्तमान बहुपक्षीय व्यवस्था के सिद्धांतों की तथा सुधार लाने की तत्काल आवश्यकता की जांच की। हमारा तीसरा फोकस इंडो-पैसिफ़िक पर था, और साझा चुनौतियों से निपटने के लिए हम इसके आसपास जिन साझेदारियों का निर्माण कर रहे हैं। चौथा, वैश्विक समुदायों का विचार और संकट के समय वे जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमने हरित संक्रांतियों को प्राप्त करने में मानव जाति के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों को भी देखा, और अंत में दुनिया भर में हो रहे कुछ निर्मम और अनवरत तकनीकी युद्धों पर विचार-विमर्श किया।
देवियों एवं सज्जनों,
इन वार्तालापों से सीखना और ग्रहण करना सुखद रहा है।
मैं इस अवसर पर उन सभी विशिष्ट वक्ताओं और प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हमारे साथ शामिल हुए। रायसीना डायलॉग आपके व्यक्तिगत योगदान और जुड़ाव का योगफल है। भारत सरकार और विदेश मंत्रालय की ओर से, आपकी सक्रिय भागीदारी के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं।
मैं ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन को भी, इस आयोजन में उनकी कड़ी मेहनत और सावधानीपूर्वक योजना के लिए, धन्यवाद देता हूं। आपने सफलतापूर्वक रायसीना डायलॉग को वैश्विक स्तर पर शीर्ष भू-राजनीतिक सम्मेलनों में से एक बना दिया है।
और, निश्चित रूप से, टीम एमईए - यह सुनिश्चित करने में आपका समर्पण और चौबीसों घंटे सेवा, कि भारतीय विदेश नीति के हित निरंतर प्रगति करते रहें। यह सुनिश्चित करने के लिए - नीति योजना और अनुसंधान प्रभाग के प्रति - एक विशेष उल्लेख - कि विचारों और दीर्घकालिक दृष्टि से रायसीना डायलॉग सहज निकट संपर्क के प्रभाव का पसंदीदा मंच बना रहे।
देवियों एवं सज्जनों,
रायसीना परिवार का हिस्सा बनने के लिए एक बार फिर आप सभी का धन्यवाद - वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से - पूरी दुनिया एक परिवार है।
एक सुहानी शाम की कामना के साथ।
जय हिन्द