सिंगापुर के विदेश मंत्री तथा सह-अध्यक्ष, महामहिम विवियन बालकृष्णन
महानुभावों, आसियान के सदस्य देशों के प्रिय साथियों,
आप सभी को सुप्रभात। दिल्ली में और इस बैठक में आपका स्वागत है।
आसियान-भारत सामरिक साझेदारी को आगे बढ़ाने में दृढ़ समर्थन और सहयोग के लिए मैं विदेश मंत्री विवियन बालकृष्णन और सिंगापुर से उनके सहयोगियों, हमारे देश समन्वयक को हार्दिक धन्यवाद व्यक्त करते हुए अपनी बात शुरू करता हूं। मैं कंबोडिया की भी सराहना करता हूं कि उन्होंने ऐसे समय में आसियान की अध्यक्षता की जब वैश्विक व्यवस्था कई चुनौतियों और तनावों का सामना कर रही है।
यह हार्दिक प्रसन्नता की बात है कि हम नई दिल्ली में आसियान-भारत विदेश मंत्रियों की इस पहली बैठक के लिए व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं। यहाँ तक कि, कोविड महामारी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है और अभी बहुत कुछ करना बाकी है क्योंकि हम महामारी से उबरने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह रास्ता भू-राजनीतिक बाधाओं के कारण और भी कठिन हो गया है, जिसका सामना हम यूक्रेन में हुए घटनाक्रम तथा खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा पर इसके प्रभाव के साथ-साथ, उर्वरक और वस्तुओं की कीमतों, और रसद एवं आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों के कारण कर रहे हैं।
आसियान हमेशा क्षेत्रवाद, बहुपक्षवाद और वैश्वीकरण के एक प्रकाशस्तंभ के रूप में खड़ा रहा है। इसने इस क्षेत्र में अपने लिए सफलतापूर्वक एक जगह बनाई है और इंडो-पैसिफिक में विकसित होती रणनीतिक और आर्थिक संरचना की नींव प्रदान की है। भू-राजनीतिक चुनौतियों और दुनिया के सामने मौजूद अनिश्चितताओं को देखते हुए आज आसियान की भूमिका शायद पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। भारत एक मजबूत, एकीकृत और समृद्ध आसियान का पूरी तरह से समर्थन करता है, जिसकी इंडो-पैसिफिक में केंद्रीयता पूरी तरह से मान्यता प्राप्त है। AOIP और IPOI का मजबूत सम्मिलन क्षेत्र के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण का प्रमाण है।
इतिहास में निहित और सामान्य लोकाचार द्वारा पोषित, आसियान-भारत संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और वास्तव में, प्रत्येक गुजरते दशक के साथ और मजबूत होते गए हैं। 1992 की हमारी क्षेत्रीय भागीदारी 2002 में एक शिखरस्तरीय साझेदारी में परिपक्व हुई और 2012 में एक रणनीतिक साझेदारी के रूप में विकसित हुई। जैसा कि हम अपने संबंध के चौथे दशक में प्रवेश कर रहे हैं, हमारे संबंधों को भी उस दुनिया के लिए सक्षम होना चाहिए जिसका हम सामना कर रहे हैं। एक बेहतर तरीके से जुड़े हुए भारत और आसियान विकेन्द्रीकृत वैश्वीकरण और लचीली एवं विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के लिए अच्छी स्थिति में होंगे जिनकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बहुत आवश्यकता है।
महानुभावों,
वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताओं के तहत, जब हम पिछले 30 वर्षों की अपनी यात्रा की समीक्षा करते हैं और आने वाले दशकों के लिए अपना मार्ग निर्धारित करते हैं, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी मौजूदा पहलों की शीघ्र प्राप्ति को सुनिश्चित करते हुए प्राथमिकताओं के एक नए सेट की पहचान करें। मैं आज हमारे सहयोगी एजेंडा के सभी पहलुओं पर चर्चा के लिए बहुत उत्सुक हूं।
धन्यवाद, श्रीमान सह-अध्यक्ष एवं महामहिम तथा सहयोगियों को धन्यवाद।