भारत और पड़ोसी देश
भारत अपने पड़ोसियों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। भारत की विदेश नीति में पडोसियों की यह केन्द्रीयता, इस स्पष्ट समझबूझ से उत्पन्न होती है कि भारत के लिए अपने विविध विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शांतिपूर्ण परिधि अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त, भारत का
दृढ़ विश्वास है कि स्थिर और समृद्ध दक्षिण एशिया, भारत की अपनी समृद्धि में योगदान देगा। इसके अलावा, दक्षिण एशिया के संदर्भ में भारत की एक विशेष अतिरिक्त जिम्मेदारी है क्योंकि भारत सभी का पड़ोसी है जबकि म्यांमार और बांग्लादेश को छोड़कर अन्य किसी देश की साझा
सीमा नहीं है। भारत इस सीमा तक अपने पड़ोसियों के साथ मैत्री के सेतुओं को सुदृढ़ बनाने और द्विपक्षीय स्तर पर एवं सार्क तंत्र के माध्यम से अपने पड़ोसियों के लिए विकास, सुरक्षा एवं समृद्धि के नए अवसर सृजित करने के लिए विषम सहयोग की एक नीति लागू करता रहा है।
सन् 2011 में मालदीव में संपन्न पिछली सार्क शिखर बैठक में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने अधिकाधिक अंतर-क्षेत्रीय व्यापार, निवेश प्रवाह एवं अंतर-संबद्धता पर आधारित क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण की भारत की संकल्पना प्रस्तुत की थी। भारत ने सभी अल्प विकसित सार्क देशों
के भारत को निर्यात को प्रभावित करने वाली संवेदनशील सूची के वास्तविक विलोपन की घोषणा की थी तथा क्षमता निर्माण के अनेक उपाय किए थे। भारत, सार्क प्रक्रिया के माध्यम से दक्षिण एशियाई पहचान की भावना को प्रोत्साहन देने, अपने पड़ोसियों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में
और सुखद व्यवस्था में भारत के तेजी से आर्थिक विकास के प्रयास में आपसी विश्वास बढ़ाने के प्रति वचनबद्ध है। भारत अपने पड़ोसियों के साथ द्विपक्षीय सहयोग में दक्षिण एशियाई एकीकरण की इस संकल्पना के प्रति भी सचेत रहता है।