सरकारी प्रवक्ता (श्री नवतेज सरना): सभी को नमस्कार । हमें बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री की ब्राजील और क्यूबा यात्रा के संबंध में जानकारी देने के लिए विदेश सचिव यहां उपस्थित हैं
विदेश सचिव (श्री श्याम सरन): बहुत-बहुत धन्यवाद । आप सभी को नमस्कार । प्रधानमंत्री तीन अलग-अलग बैठकों के लिए ब्राजील के साथ-साथ हवाना, क्यूबा जाएंगे । ब्राजील के राष्ट्रपति लूला के निमंत्रण पर 12 सितम्बर को ब्राजील
की यह प्रथम सरकारी द्विपक्षीय यात्रा है ।
13 सितम्बर को आई बी एस ए देशों अर्थात् भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की शीर्ष बैठक होगी ।
आप जानते ही हैं कि यह इन तीन प्रमुख विकासशील देशों के एक बहुत महत्वपूर्ण समूह के रुप में उभरा है जो तीन महाद्वीपों – एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका तक फैला है । अंत में 15 व 16 सितम्बर को प्रधानमंत्री हवाना में आयोजित किए जा रहे गुट निरपेक्ष सम्मेलन में
भाग लेंगे ।
मैं, ब्राजील के द्विपक्षीय दौरे से शुरुआत करता हूं । जैसा कि आप जानते हैं कि ब्राजील अत्यधिक महत्वपूर्ण देश है । लैटिन अमरीका का यह सबसे बड़ा देश है । इसकी जनसंख्या लगभग 18 करोड़ 60 लाख है । इसका सकल घरेलू उत्पाद लगभग 800 मिलियन डालर है । आज यह विश्व की
सर्वाधिक गतिशील अर्थव्यवस्थाओं में से एक है । यह विकसित लोकतंत्र है । पिछले कुछ वर्षों में हमने ब्राजील के साथ काफी निकट भागीदारी स्थापित की है ।
इस समय हमारा व्यापार लगभग 2.3 बिलियन अमरीकी डालर है । ब्राजील के लिए हमारा निर्यात 1.5 बिलियन अमरीकी डालर है । इस तरह आप देख सकते हैं कि भारत के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण आर्थिक भागीदार है ।
इसके अतिरिक्त, दोनों देशों के बीच हो रहा पारस्परिक निवेश और भी महत्वपूर्ण है । ओ एन जी सी विदेश लि0 ने एक अपतटीय पेट्रोलियम खोज परियोजना में लगभग आधा बिलियन डॉलर का निवेश किया है । ओ एन जी सी की साझीदार ब्राजीली कम्पनी पेट्रोब्रास, भारत में अति महत्वपूर्ण
अपतटीय क्षेत्र में निवेश करने वाली है । वस्तुत: इसने निवेश करने का निर्णय ले लिया है । हमारी अनेक फर्मास्यूटीकल कम्पनियां ब्राजील में पहले से ही सुस्थापित हैं
और अन्य लैटिन अमरीकी देशों में प्रवेश के लिए एक अत्यधिक सुविधाजनक प्लेटफार्म के तौर पर ब्राजील का उपयोग कर रही हैं ।
ब्राजील के साथ अन्य विभिन्न क्षेत्रों में भी हमारा काफी सहयोग है । ब्राजील द्वारा की गई एक अति महत्वपूर्ण पहल इसकी महान सफलता पर आधारित है जो इसने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए पेट्रोल के एक विकल्प के तौर पर इथानोल के प्रयोग में प्राप्त की है । भारत ने
अन्तर्राष्ट्रीय इथालोन पहल जिसे ब्राजील शुरु करने वाला है, में शामिल होने के अपने इरादे की ब्राजील को जानकारी दे दी है ।
ब्राजील, व्यावसायिक कृषि में एक अति महत्वपूर्ण देश के रुप में उभरा है क्योंकि इसके पास विशाल उपजाऊ भूमि उपलब्ध है ।
आज, इसकी केवल 6 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि पर ही खेती की जा रही है । इसलिए इसकी संभावना बहुत अधिक है । इसी कारण से हम ब्राजील के साथ व्यावसायिक कृषि के संदर्भ में काफी घनिष्ठ सहयोग की संभावनाएं तलाश रहे हैं ।
ब्राजील ने विमानन क्षेत्र में भी काफी महत्वपूर्ण प्रगति की है । संभवत: एम्ब्रेअर जेट एअर क्राफ्ट के बारे में भी आप भली भांति जानते होंगे । इसलिए हम इसे दोनों देशों के बीच संयुक्त सहयोग के महत्वपूर्ण उभरते हुए क्षेत्र के रुप में देख रहे हैं । आप जानते हैं
कि दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक और व्यापारिक भागीदारी है और हमारा विश्वास है कि इस भागीदारी को काफी ऊंचे स्तर पर ले जाने की प्रबल संभावना है ।
राजनैतिक रुप से जैसा कि मैंने कहा था, लैटिन अमरीका का एक बहुत ही महत्वपूर्ण देश होने तथा आई बी एस ए समूह में एक महत्वपूर्ण भागीदार होने के नाते, ब्राजील पारम्परिक रुप से भारत के काफी करीब रहा है जब अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों
की बात आती है । भारत और ब्राजील, निरस्त्रीकरण के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों में भागीदार रहे हैं । हमने इन मुद्दों पर मिलकर साथ-साथ काम किया है । जब अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वार्ता की बात आती है तब भी वही रुख होता है । वस्तुत: वर्तमान दोहा दौर
की वार्ता में हमने विकासशील देशों के मामले को आगे बढ़ाने में काफी सहयोग किया है ।
आने वाले वर्षों में यह भागीदारी और बढ़ेगी । इससे भी महत्वपूर्ण यह है जैसा कि आप जानते हैं, ब्राजील जी-4 समूह का सदस्य है । जी-4 देश ऐसे देश हैं जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं तथा सुरक्षा परषिद की स्थायी सदस्यता
के दावेदार हैं । इसलिए जब संयुक्त राष्ट्र सुधार विशेषत: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परषिद सुधार का मामला आता है, भारत और ब्राजील एक दूसरे से घनिष्ठ रुप से संबद्ध हैं ।
38 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यह प्रथम ब्राजील दौरा है । 38 वर्ष पहले श्रीमती गांधी ब्राजील गई थीं । इसलिए कुछ समय से भारत की ओर से यात्रा आवश्यक थी ।
राष्ट्रपति लूला 2004 में गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आ चुके हैं । इसलिए दोनों देशों के बीच आपसी राजनैतिक संबंधों को मजबूत बनाने का यह सुनहरा अवसर है ।
अब मैं आई बी एस ए पर आता हूं । लगभग तीन वर्ष पहले भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील को मिलाकर आई बी एस ए समूह की स्थापना की गई थी । किन्तु तीन देशों का यह प्रथम सम्मेलन है । हम 2003 और 2005 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के बाद आपस में मिले हैं । इस तरह तीनों
देशों का यह प्रथम सम्मेलन है । मैं समझता हूं कि यह तीनों देशों के बीच तेजी से बढ़ती भागीदारी और आपसी समझ को दर्शाता है कि यह समूह अब काफी अनुभवी हो गया है और तीनों देशों के हितों को पूरा करने में इसे काफी योगदान देना है ।
यह इस मान्यता को भी दर्शाता है कि यह तीन सर्वाधिक महत्वपूर्ण विकासशील देशों का समूह है जो तीन महाद्वीपों में फैले हैं, ये देश दक्षिण – दक्षिण सहयोग में निश्चित भूमिका निभा सकते हैं । अपने विशाल वैज्ञानिक और तकनीकी संसाधनों को एकत्रित करके अपने विशाल आर्थिक
संसाधनों से तथा अन्तर्राष्ट्रीय मंच चाहे वह राजनैतिक मंच हो या आर्थिक मंच पर अपनी स्थितियों को समरुप बनाकर अपने तीनों देशों में भारी योगदान दे सकते हैं । इस दृष्टि से इस संबंध को सम्मेलन स्तर तक लाना समय के अनुरुप कार्य है, ऐसा सभी तीनों देशों का विश्वास
है ।
यह वास्तव में तीन राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों की बैठक होगी । इसमें व्यापार का अंश भी शामिल है । तीनों देशों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल, सम्मेलन के बाद आपस में विचार-विमर्श करेंगे क्योंकि हमारा यह विश्वास है कि हमारी आर्थिक
भागीदारी जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं, हमारे निजी क्षेत्रों में और अधिक संपर्क द्वारा बढ़ायी जाए ।
कार्यसूची वास्तव में काफी व्यापक है । उदाहरण के लिए यह घोषणा जिस पर हम काम कर रहे हैं, इसमें अनेक क्षेत्रीय मुद्दे होंगे । हम अन्य अन्तराष्ट्रीय मुद्दों, वैश्विक मुद्दों पर भी ध्यान दे रहे हैं । हम कुछ ऐसे विशिष्ट मुद्दे तलाश रहे हैं
जिन पर तीनों देश साथ-साथ काम कर सकें । यहां मैं आपको वही बताना चाहूंगा जिस पर हम ध्यान दे रहे हैं ।
राजनीति की दृष्टि से, संयुक्त राष्ट्र सुधार निश्चित रुप से बहुत महत्वपूर्ण कारक है और हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के बारे में बात करेंगे । हमारे दृष्टिकोण में अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मसला इस सम्मेलन में निश्चित रुप से मुख्य विषय होगा
। ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका दोनों ने मुम्बई विस्फोटों पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी तथा ये दोनों देश आतंकवाद की समस्या का मुकाबला करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास और वैश्विक प्रयास की आवश्यकता के प्रति काफी सजग हैं । इसलिए यह एक बहुत महत्वपूर्ण
विषय है ।
जहां तक अर्थव्यवस्था का संबंध है हम दोहा दौर जैसे मसलों पर ध्यान देंगे और हम दोहा दौर से कैसे परिणामों की उम्मीद करते हैं, इस पर ध्यान देंगे । सभी तीनों देश इस बात पर जोर देते रहे हैं कि इन समझौता वार्ताओं के अनुसार ही विकास होना चाहिए और इससे एक वास्तविक
बहुपक्षीय, भेदभाव रहित, विधि आधारित व्यापार व्यवस्था स्थापित हो ।
हम, इस घोषणा में परमाणु ऊर्जा के शान्ति पूर्ण उपयोग के बारे में भी बात करेंगे जो हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है । इस संबंध में सभी तीनों देशों के विचार प्रदर्शित किए जाएंगे कि हम परमाणु सुरक्षा के लिए योगदान के तौर पर परमाणु ऊर्जा के शान्तिपूर्ण उपयोग
का विकास करना चाहते हैं ।
संयोगवश, हम इस घोषणा में निरस्त्रीकरण के मुद्दे पर भी ध्यान देंगे क्योंकि तीनों देशों का यह विश्वास है कि निरस्त्रीकरण का मुद्दा विशेषत: परमाणु निरस्त्रीकरण का मामला वैश्विक कार्यसूची से बाहर हो गया है । हम एक बार पुन: इस मुद्दे को विश्व के ध्यान में
लाना चाहेंगे । इस तरह संयुक्त घोषणा में इस आशय का भी उल्लेख किया जाएगा ।
हम ऐसी अनेक चीजों के बारे में भी बात करेंगे जिन्हें हम त्रिपक्षीय ढांचे में साथ मिलकर कर सकते हैं । हम देख रहे हैं कि किस प्रकार की रुकावटें हैं जो तीनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को वास्तव में क्रियाशील बना रही हैं । इस समय, हमारे ध्यान में परिवहन संपर्क
है
क्योंकि जब तक तीनों देशों के बीच कुशल नौवहन सेवा संपर्क नहीं होगा, जब तक तीनों देशों के बीच विमान सेवा नहीं होगी तब तक हमारी संभावित आर्थिक भागीदारी का दोहन कर पाना मुश्किल होगा । इसलिए इस क्षेत्र पर भी हम ध्यान देने जा रहे हैं ।
व्यापार के संबंध में, क्षेत्रीय व्यापार समूह मरकोसुर है । दक्षिण अफ्रीकी सीमा शुल्क संगठन है और दक्षिण अफ्रीका इसका सदस्य है । इसलिए हम ऐसे त्रिपक्षीय व्यापार समूह की तलाश कर रहे हैं जिसमें भारत, दक्षिण अफ्रीकी सीमा शुल्क संघ के साथ-साथ मरकोसुर के साथ
अधिमान्य व्यापार क्षेत्र स्थापित कर सके । हम एक संयुक्त अध्ययन दल का गठन करेंगे जो तीनों भागीदारों के बीच मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना की संभावना का पता लगाएगा ।
उम्मीद है इससे संभवत: अति विशिष्ट सिफारिशें मिल सकेगी जिन पर तीनों सरकारें विचार कर सकेंगी ।
जैसाकि मैंने आपको बताया है, ऊर्जा हमारे लिए चिन्ता का प्रमुख क्षेत्र है और हमारे लिए ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में साथ-साथ कार्य करने की आवश्यकता है । चाहे यहां ऊर्जा पारंपरिक स्रोतों, निश्चित रुप से तेल और गैस की खोज के संदर्भ हो या इनके दोहन के संबंध में,
लेकिन हम ऊर्जा के गैर पारंपरिक क्षेत्रों की तलाश कर रहे हैं । इस संबंध में, मैंने आपको बताया था कि ब्राजील ने जैव ईधन विशेषत: इथानोल के क्षेत्र में काफी प्रगति की है । यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम मिलकर एक साथ काम करेंगे ।
कुछ अन्य क्षेत्रों में भी हम यह देख रहे हैं कि हम कैसे इन देशों के प्रचुर वैज्ञानिक और तकनीकी संसाधनों को एक साथ लाएं । हमारे पास एक बहुत ही सुस्थापित विज्ञान और प्रोद्योगिकी अनुसंधान नेटवर्क, है, बहुत अच्छी बुनियादी सुविधाएं हैं । इसलिए हम यह देख रहे हैं
कि कतिपय साझा समस्याओं के समाधान के लिए हम इनको एक साथ कैसे लाएं । उदाहरण के लिए, विशेष रुप से एच आई वी एड्स, मलेरिया और क्षय रोग जैसे जनस्वास्थ्य से संबंधित मामले गत कुछ वर्षों से उभरते रहे हैं । यह एक अलग क्षेत्र है ।
गुयाना बिसाऊ में गरीबी उन्मूलन के लिए इस समय, हमारी एक त्रिपक्षीय परियोजना चल रही है । हम देख रहे हैं कि तीसरी दुनिया के देशों विशेषत: अफ्रीकी देशों के विकास के लिए दक्षिण – दक्षिण सहयोग को कैसे बढ़ा सकते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम यह समझते हैं कि हम
तीन प्रमुख विकासशील देशों के तौर पर तीसरी दुनिया के देशों के विकास में योगदान कर सकते हैं । इसलिए ये कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं ।
अब मैं आपको द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय समझौतों के बारे में कुछ बताता हूं जो किए जाने हैं । भारत – ब्राजील द्विपक्षीय संबंधों के बारे में दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग पर एक समझौता होगा ।
हम विमान सेवा समझौता भी करना चाहते हैं । संक्षेप में मैंने आपको बताया था कि दोनों देशों के बीच बेहतर विमान सेवाएं आवश्यक हैं । हम भारतीय मानक ब्यूरो और ब्राजील के समकक्ष ब्यूरो जिसे ए बी एम टी कहा जाता है, के साथ समझौता ज्ञापन भी करना चाहते हैं । मानव
आवास के क्षेत्र में सहयोग पर भी समझौता ज्ञापन किया जाएगा जो हमारे शहरी विकास और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय तथा ब्राजील के आवास मंत्रालय के बीच है । यह कम कीमत के आवास और रीयल एस्टेट के विकास के संदर्भ में हमारे अनुभवों के आदान प्रदान के लिए अनिवार्य है ।
ब्राजील में भारतीय सांस्कृतिक सप्ताह और फिर भारत में ब्राजील सांस्कृतिक सप्ताह के आयोजन के लिए एक समझौता ज्ञापन होगा । दोनों देशों के बीच पादप स्वास्थ्य सहयोग के संबंध में भी समझौता ज्ञापन होगा । रेलवे वैगनों के निर्माण के लिए बी एम ई एल और ब्राजील की
कंपनी के बीच एक समझौता ज्ञापन पहले से ही है । हमारी दो प्रमुख तेल कंपनियों ओ एन जी सी विदेश लिमिटेड और ब्राजील की पेट्रोब्रास के बीच सहयोग और विस्तार के लिए भी एक समझौता ज्ञापन होगा। ब्राजील के साथ द्विपक्षीय समझौते भी हैं ।
आई बी एस ए के अंतर्गत, हम कृषि और संबंधित क्षेत्रों में त्रिपक्षीय सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन करना चाहते हैं । भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका संवाद मंच के संबंध में भी एक समझौता ज्ञापन होगा ।
यह मंच विशेष रुप से जैव ईंधन के विकास पर कार्य करेगा । समुद्री नौवहन और परिवहन से संबंधित मामलों और सूचना सोसायटी के संबंध में सहयोग की रुप रेखा तैयार करने के बारे में विशेषत: सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में त्रिपक्षीय समझौता आवश्यक होगा । अंत में व्यापार
सुविधा मानकों, तकनीकी विनियम, अनुरुपता निर्धारण के संबंध में कार्य योजना होगी । यह निश्चित रुप से व्यापार को बढ़ावा देने के लिए है । इस तरह आप देख सकते हैं कि इस दौरे में अनेक द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे ।
यह द्विपक्षीय दौरे और त्रिपक्षीय आई बी एस ए शीर्ष बैठक के संबंध में है ।
क्या मैं यहां रुकूं और संभवत: गुट निरपेक्ष सम्मेलन के मुद्दे पर आने से पहले आप मुझसे कुछ प्रश्न पूछना चाहेंगे ?
प्रश्न: श्री जयराम रमेश ने आई बी एस ए के बारे में जो कहा था, उसके बारे में आज इंडियन एक्सप्रेस में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है । क्या आप उस पर कोई टिप्पणी करेंगे?
विदेश सचिव : मुझे नहीं पता कि श्री जयराम रमेश ने क्या कहा है । मैंने समाचार पत्र की रिपोर्ट देखी है । जैसाकि मैने कहा था, आई बी एस ए मंच केवल लगभग तीन वर्ष पुराना है । हम समझते हैं कि इन तीन वर्षों में हमने काफी प्रगति
की है चाहे वह व्यापार को बढ़ाने के संबंध में हो अथवा निवेश बढ़ाने के संबंध में ।
मैंने ऐसे अनेक क्षेत्र बताए हैं जहां इन तीनों देशों में सहयोग की काफी संभावना है । ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारा सहयोग, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग, ये सहयोग के प्रमाणित क्षेत्र हैं । हम आगे विकास और जैसा कि मैंने आपको बताया
था भारत, मरकोसुर और शाकू के बीच संभावित मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित करने के लिए संयुक्त अध्ययन भी करेंगे। हम देखेंगे और इंतजार करेंगे । तीनों अर्थव्यवस्थाओं में पूरकता के संदर्भ में जिसका संभवत: इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है जिसकी आप बात कर रहे
हैं, मेरी सोच यह है कि अब तक हमें जो अनुभव हुआ है उससे पूरकता पहले ही प्रमाणित हो चुकी है और हमारी सोच है कि जो अध्ययन हम करने जा रहे हैं
उससे हम तीनों अर्थव्यवस्थाओं में पूरकता के अनेक क्षेत्र अभिनिर्धारित कर सकेंगे। मैं कहना चाहता हूं कि तीनों देशों में संभावित सहयोग के बारे में हम काफी आशान्वित हैं ।
प्रश्न: मैं दो प्रश्न पूछना चाहता हूं । क्या ब्राजील सरकार ने वाणिज्य राज्य मंत्री श्री जयराम रमेश की उक्त टिप्पणी पर अपनी अप्रसन्नता जाहिर की है? और क्या आप एन एस जी में उनका समर्थन मांगेगे ?
विदेश सचिव : आपके पहले प्रश्न का उत्तर-हॉं । रिपोर्टों में इस संबंध में कुछ रुचि व्यक्त की गई थी जिससे प्रतीत होता है कि इन टिप्पणियों का क्या मतलब निकलता है । हमने अपनी ओर से यह आश्वासन दिया है कि हम ब्राजील के
साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों तथा आई बी एस ए
में त्रिपक्षीय आधार पर सहयोग की संभावना दोनों ही को काफी महत्व देते हैं ।
जहां तक एन एस जी से संबंधित प्रश्न का संबंध है, आप जानते हैं कि ब्राजील इस समय एन एस जी का अध्यक्ष है तथा भारत के साथ परमाणु ऊर्जा सहयोग के लिए एन एस जी के दिशानिर्देशों के समायोजन के संबंध में हम उनके निकट संपर्क में रहे हैं । हमारी सोच है कि ब्राजील ने मददगार
भूमिका निभाई है और वह ऐसा करता रहेगा ।
प्रश्न: दक्षिण अफ्रीका के बारे में बोलते हुए, क्या दक्षिण अफ्रीका ने एन एस जी में भारत का समर्थन करने की इच्छा प्रकट की है ?
विदेश सचिव : विदेश राज्य मंत्री श्री आनन्द शर्मा ने अपनी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के दौरान यह मामला उठाया था ।
उन्होंने इस मामले को राष्ट्रपति मबेकी के साथ उच्चतम स्तर पर उठाया था । इस मामले में भी हमारी यही सोच है कि दक्षिण अफ्रीका भारत का समर्थन करेगा ।
प्रश्न: क्या हम ब्राजील के साथ फुटबाल में भी खेल संबंध तलाश रहे हैं ?
विदेश सचिव : किसी साधारण व्यक्ति ने नहीं बल्कि माननीय मंत्री श्री प्रिय रंजन दास मुंशी ने हमसे सिफारिश की है कि हमें ब्राजील के साथ सॉकर प्रशिक्षण और फुटबाल प्रशिक्षण के संबंध में सहयोग की संभावना तलाशनी चाहिए । मैं
आपको आश्वासन दे सकता हूं कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा होगा जिसे हमारे प्रधानमंत्री ब्राजील के राष्ट्रपति के साथ बैठक में उठाएगें ।
प्रश्न: व्यापार के मामले में क्या आपके पास ब्राजील, भारत और दक्षिण अफ्रीका के कोई तुलनात्मक व्यापार आंकड़े हैं ?
विदेश सचिव : मैं समझता हूं कि मैंने आपको आंकड़े दिए थे । ब्राजील के साथ सन् 2000 में लगभग 500 मिलियन डॉलर का व्यापार था जो 2005 में बढ़कर 2.3 बिलियन डॉलर हो गया । दक्षिण अफ्रीका के साथ में 2001 में यह आंकड़ा 1.7 बिलियन
डॉलर था जो 2005 में बढ़कर 4.035 बिलियन डॉलर हो गया ।
प्रश्न : क्या आप ईथानोल पहल के बारे में पुन: कुछ बताएंगे ?
विदेश सचिव : ब्राजील, गैसोलिन के स्थान पर ईथानोल के प्रयोग में अग्रणी देश है और यह महान सफलता है । अब विशेषत: जब पेट्रोल के मूल्य बढ़ रहे हैं,
पहले के मुकाबले ईथानोल का प्रयोग और भी आकर्षक हो गया है । इस तरह, ईथानोल पहल अनिवार्य रुप से एक ऐसी सिफारिश है जिससे कि यह अनिवार्य बना दिया जाए कि पूर्ण परिवहन की 10 प्रतिशत आवश्यकता ईथानोल के प्रयोग से पूरी की जाए अथवा न्यूनतम लक्ष्य तक इसे करना चाहिए
। ब्राजील द्वारा यह कार्य राष्ट्रीय आधार पर किया जा रहा है और इसने अनेक दूसरे देशों को भी प्रोत्साहित किया है । अब ब्राजील प्रस्ताव कर रहा है कि तेल के बढ़ते मूल्यों और अनेक विकासशील देशों में ऊर्जा की चुनौती को देखते हुए, हमें ईथानोल के प्रयोग को बढ़ावा
देने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास करने चाहिए । जैसाकि मैंने कहा था, हमने इस पहल का समर्थन किया है और इस पहल का हिस्सा बनने के लिए सहमत हुए हैं ।
प्रश्न : क्या भारत सरकार अथवा कुछ भारतीय कंपनियां ब्राजील में जमीन खरीदने और ईथानोल का उत्पादन करने जा रही हैं ? क्या ऐसा कोई प्रस्ताव है ?
विदेश सचिव : मैं नहीं समझता कि हम इस विशिष्टता तक जा चुके हैं । जैसाकि मैंने आपको बताया था, ब्राजील में भारी मात्रा में कृषि योग्य भूमि उपलब्ध है और व्यावसायिक खेती की संभावना है । और इसी दिशा में हमारा निजी क्षेत्र
भी प्रयास कर रहा है । इस तरह संभावना है कि इस क्षेत्र में हम दोनों साथ-साथ सहयोग कर सकते हैं ।
प्रश्न: इस एन एस जी के मसले पर ब्राजील के रुख पर हमारी क्या राय है ? क्या भारत को यह स्वीकार्य है ?
विदेश सचिव : मैंने बताया है कि हमारी चिन्ताएं सामान्यत: अप्रसार के संबंध में हैं और यही हमारी सोच है किन्तु भारत के साथ इन देशों के उत्कृष्ट संबंधों को ध्यान में रखते हुए, अप्रसार के संबंध में हमारे त्रुटिहीन रिकार्ड
को ध्यान में रखते हुए एन एस जी दिशा निर्देशों के समायोजन में हमारे अनेक मित्र देश आड़े नहीं आएंगे ।
अब हम गुट निरपेक्ष सम्मेलन पर आते हैं । 13 व 14 सितम्बर को मंत्रिस्तरीय बैठक होगी और उसके बाद 15 व 16 सितम्बर को शीर्ष बैठक होगी । 15 सितम्बर को उद्घाटन समारोह होगा और तत्पश्चात् पूर्ण वार्ता जारी रहेगी ।
इस विशेष सम्मेलन के लिए ‘वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश में गुट निरपेक्ष आन्दोलन के प्रयोजन, सिद्धान्त और भूमिका' विषय का चयन किया गया है । राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष इसी विषय पर ध्यान देंगे ।
इस बारे में पर्याप्त चर्चा हुई है कि गुट निरपेक्ष आन्दोलन अब भी वैश्विक मामलों में प्रासंगिक है, क्या अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में पुन: महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए गुट निरपेक्ष आन्दोलन को पुनर्जीवित किए जाने की कोई संभावना है, क्या आज की दुनिया में
गुट निरपेक्ष आन्दोलन का कोई अर्थ है । मैं समझता हूं कि हमें यह समझना होगा कि यह आन्दोलन और विश्व के सभी प्रमुख विकसित देशों का निश्चित रूप से कुछ मतलब है, यह ऐसे ही नहीं है ।
आज ऐसा कोई मंच हमारे पास नहीं है जो गुट निरपेक्ष आन्दोलन की भांति विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व कर सके।
गुट निरपेक्ष आन्दोलन का एक संस्थापक सदस्य होने के नाते भारत निश्चित रुप से यह विश्वास करता है कि यह अब भी प्रासंगिक है । इसका यह मतलब नहीं कि विशेष प्रासंगिकता अथवा गुट निरपेक्ष आन्दोलन की भूमिका अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में वास्तव में निभाई जा रही है
। हमारा दृढ़ विश्वास है कि आन्दोलन को ऊर्जावान बनाने के लिए बहुत कुछ किया जाना आवश्यक है
ताकि अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को पेश आने वाली प्रमुख राजनैतिक समस्याओं के संदर्भ में ही नहीं अपितु आज के विश्व में पेश आ रही प्रमुख आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं के संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाया जा सके । हम समझते हैं कि वैश्वीकरण
जो जीवन का सत्य है, से विकासशील देशों को लाभ मिले हैं । इससे विकासशील देशों के और अधिक विकास की संभावनाएं बढ़ी हैं । किन्तु इसमें कोई संदेह नहीं है कि लाभ के संदर्भ में तस्वीर एक समान नहीं है । ऐसे देश हैं जिन्हें वैश्वीकरण की इस प्रक्रिया से लाभ हुआ
है । साथ ही ऐसे भी देश हैं जो इस वैश्वीकरण की प्रक्रिया में पीछे छूट गए हैं ।
मैं समझता हूं कि यह एक चुनौती है कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया को कैसा बनाया जाए जिससे इसके लाभ सभी को मिलें। मैं सोचता हूं कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें गुट निरपेक्ष आन्दोलन निश्चित रुप से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ।
दूसरा पहलू यह है कि आज किसी न किसी तरह हम विश्व विभाजन के ऐसे दूसरे दौर में प्रवेश कर रहे हैं जहां लोगों ने सभ्यताओं के संघर्ष की वास्तविकता के बारे में बोलना शुरु कर दिया है, लोग कह रहे हैं कि इस्लाम के साथ एक प्रकार का मुकाबला है । हम स्वयं बहुलबादी
लोकतंत्र हैं, हम बहुजातीय, बहु धार्मिक देश होने के नाते यह विश्वास करते हैं कि आज हमें वास्तव में सभ्यताओं के संघर्ष की नहीं बल्कि सभ्यताओं के सम्मिलन के बारे में बात करनी चाहिए ।
मैं समझता हूं कि भारत जैसे देशों पर काफी जिम्मेदारी है और गुट निरपेक्ष आन्दोलन एक ऐसा समूह है जिसमें इस ग्रह पर मौजूद सभी धर्म शामिल हैं, सभी जाति समूह शामिल हैं । अब यदि हमारे पास ऐसा समूह है तो हम सम्मिलन और समझ की भावना को बढ़ावा देने के लिए इसका उपयोग
क्यों नहीं कर सकते । इस तरह गुट निरपेक्ष आन्दोलन ने अपनी स्थापना की प्रारंभिक अवस्था में भी एक सेतु का काम किया जब दुनिया पूर्व और पश्चिम में विभाजित थी । आज भी हम दूसरे विभाजन के संबंध में ऐसे ही सेतु की भूमिका देख रहे हैं जो विभाजन उभर रहा है उसे रोके
जाने की आवश्यकता है ।
इस तरह, यदि गुट निरपेक्ष आन्दोलन ऐसे देशों का समूह है जिनका सह-अस्तित्व है जिन्होंने विभिन्न धर्मों, जातीय समूहों के बावजूद साथ-साथ काम करना सीख लिया है, तो मैं समझता हूं कि इस वैश्विक विभाजन को रोकने और सह – अस्तित्व, पारस्परिक सहनशीलता और विभिन्न
देशों में हमारे विश्वास की भावना को बढ़ावा देने के संबंध में यह आन्दोलन एक ठोस संदेश दे सकता है । इसलिए हमारा विश्वास है कि गुट निरपेक्ष आंदोलन अपनी भूमिका निभा सकता है ।
दूसरा पहलू यह है कि गुट निरपेक्ष आंदोलन, प्रारंभ से ही विकास के कार्य में लीन रहा है क्योंकि हम सभी कुल मिलाकर विकासशील देश हैं । उपलब्ध संख्या बल का कैसे उपयोग किया जाए, संक्षेप में इस तथ्य का अच्छा प्रभाव पड़ा है
क्योंकि हम लैटिन अमरीका, अफ्रीका, एशिया और यूरोप तक फैले हैं । हम कैसे सुनिश्चित करें कि हमारा बल एक साथ हो और अपने समय की प्रमुख वैश्विक समस्याओं का सामूहिक रुप से समाधान करने का प्रयास करें ।
जब हम वैश्वीकरण के बारे में बात करते हैं, हम यह कहते रहे हैं कि आज कुछ ऐसे मसले हैं जिनका राष्ट्रीय स्तर पर समाधान नहीं किया जा सकता, ऐसे मसले हैं जिनका क्षेत्रीय स्तर पर समाधान नहीं किया जा सकता । अगर हम आतंकवाद की बात करें, हम ऊर्जा सुरक्षा की चुनौती
की बात करें अथवा पर्यावरण से संबंधित मसलों की, अपने विश्व पर्यावरण की सुरक्षा की; हम वैश्विक जन स्वास्थ्य के मसलों के बारे में बात करें और यदि हम इन प्रमुख चुनौतियों का समाधान करना चाहते हैं
जिनका हम सामना कर रहे हैं तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब तक हम वैश्विक प्रयास नहीं करते, जब तक हम अधिकांश देशों को एक साथ एक मंच पर नहीं ले आते, हम इन समस्याओं का समाधान कैसे कर सकते हैं ?
प्रश्न यह है कि गुट निरपेक्ष आंदोलन और इसके सदस्य अपना भविष्य देख पा रहे हैं अथवा नहीं, यह मानकर कि ये वैश्विक चुनौतियां हैं, क्या वे एक साथ काम करने में अपना भविष्य देख पा रहे हैं । क्या गुट निरपेक्ष आंदोलन आज इन अतिमहत्वपूर्ण समकालीन चुनौतियों जिनका
हम सामना कर रहे हैं, के समाधान के लिए एक आंदोलन के रुप में पुन: उभर सकता है ।
मैं आपको यह बता सकता हूं कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल की ओर से भारत के प्रधानमंत्री की ओर से, यह प्रयास होगा कि गुट निरपेक्ष आंदोलन को नया समकालीन परिदृश्य मिले ।
हम ऐसी स्थिति से निश्चित रुप से बचना चाहेंगे जहां केवल घोषणा हो जो अनेक पैराओं का संग्रह हो जो विभिन्न देशों अथवा देशों के समूह द्वारा निजी हित के मुद्दों पर दिए जाते हैं । घोषणा का यह एक तरीका है । हां, हम यह समझते हैं कि कुछ क्षेत्रीय मुद्दे हैं जो संबंधित
देशों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं और वैश्विक स्तर पर भी ये महत्वपूर्ण हैं । उदाहरण के लिए पश्चिम एशिया में जो कुछ होता है
वह केवल उस क्षेत्र के देशों के लिए ही चिन्ता की बात नहीं है अपितु बाकी दुनियां के लिए भी चिन्ता की बात है । इस तरह मैं समझता हूं कि यह महत्वपूर्ण है कि हम इस आन्दोलन के सामूहिक बल का लाभ उठाए ।
इसलिए जैसा कि मैंने आई बी एस ए के संबंध में आपको बताया था कि यदि निरस्त्रीकरण के महत्व जैसे मुद्दों पर कोई संदेश आता है; परमाणु निरस्त्रीकरण के मसले को वैश्विक सुरक्षा की कार्यसूची में सर्वोच्च स्थान दिया जाता है, यह सुनिश्चित करके कि आतंकवाद अथवा दोहा
दौर, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक मसलों पर पूरी दुनिया के हमारे देशों का एक ही रुख है
तो इससे हमारे प्रयासों के परिणामों के संदर्भ में निसंदेह भारी परिवर्तन आएगा । इसलिए यह हमारा वास्तविक प्रयास होगा जो हम निश्चित रुप से करेंगे ।
हम अंतिम दस्तावेज में जो अन्य मुद्दे देख रहे हैं, उसमें संयुक्त राष्ट्र सुधार, आतंकवाद, अफगानिस्तान, लेबनान और फिलिस्तीन सहित पश्चिम एशिया जैसे क्षेत्रीय मुद्दे शामिल हैं जिन पर हम विचार विमर्श करते रहे हैं । उसके बाद हम आर्थिक और सामाजिक मुद्दे देख रहे
हैं । इनमें दक्षिण-दक्षिण सहयोग, विश्व व्यापार संगठन में हमारी भूमिका, एच आई वी एड्स और पर्यावरण सुरक्षा के लिए हम साथ साथ क्या कर सकते हैं, शामिल हैं । हम ऐसे मुद्दों पर मिलकर काम करने की बात कर रहे हैं,
हम पर्याप्त संसाधनों, अनुसंधान संसाधनों का नेटवर्क बनाने के लिए क्या कर सकते हैं जो कृषि अथवा उद्योग के लिए हमारे विकासशील देशों में उपलब्ध हैं । ये ऐसे मसले हैं जिन पर हम सममेलन के दौरान ध्यान देंगे और अंतिम दस्तावेज में भी इनका उल्लेख किया जाएगा
।
यह एक ऐतिहासिक सम्मेलन है क्योंकि हम क्यूबा लौटेंगे जो गुट निरपेक्ष आंदोलन का महत्वपूर्ण सदस्य तथा एक संस्थापक सदस्य है । राष्ट्रपति कास्त्रो 1980 से 1983 तक गुट निरपेक्ष आंदोलन के अध्यक्ष भी थे । आपको स्मरण होगा कि 1983 का सम्मेलन नई दिल्ली में
आयोजित किया गया था जब भारत को क्यूबा से गुट निरपेक्ष आंदोलन की अध्यक्षता मिली थी ।
इस तरह हम 26 वर्ष के बाद क्यूबा वापस जा रहे हैं । इस तरह यह एक ऐतिहासिक अवसर होगा । हमें पूरी उम्मीद है कि यह प्रतीक के संदर्भ में ही ऐतिहासिक अवसर नहीं होगा बल्कि जहां तक वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य का संबंध है, गुट निरपेक्ष आंदोलन की भूमिका
भी बदल जाएगी ।
बहुत-बहुत धन्यवाद ।
प्रश्न: मैं भारत-पाकिस्तान बैठक के बारे में पूछना चाहता हूं । यह कब होने वाली है ? इसकी कितनी संभावना है ?
विदेश सचिव : संभावना है कि राष्ट्रपति मुशर्रफ और प्रधान मंत्री डा0 मनमोहन सिंह के बीच बैठक होगी । यह सम्मेलन के दो दिनों में से किसी एक दिन होगी । मैं समझता हूं कि सम्मेलन 15 और 16 को है इसलिए यह इन्हीं दो दिनों में
से किसी दिन होगी ।
प्रश्न: पाकिस्तान की ओर से आपको क्या संकेत मिल रहे हैं । शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की क्या संभावनाएं हैं ?
विदेश सचिव: मैं यह नहीं कह सकता कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति मुशर्रफ के बीच क्या बात होगी । किन्तु मैं सोचता हूं कि यह कहना सही होगा कि दोनों ही नेता भारत – पाकिस्तान संबंधों के महत्व के प्रति काफी सचेत हैं । दोनों
ही नेता संवाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने, शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं । इसी दौरान यह भी उल्लेखनीय है कि जब तक आतंकवाद के मसले का समाधान नहीं किया जाता और पर्याप्त समाधान नहीं किया जाता, तब तक इस प्रक्रिया की सफलता सुनिश्चित करना कठिन
है । इसलिए मेरा विश्वास है कि दोनों नेता इसी भावना से एक दूसरे से मिलेंगे और बात करेंगे ।
प्रश्न: क्या इस संभावना को देखते हुए कि गुट-निरपेक्ष आंदोलन से अमरीका विरोधी स्वर निकलेंगे, भारत मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहता है ?
विदेश सचिव: यह केवल भारत ही नहीं है, जैसा कि मैंने कहा था, यह गुट निरपेक्ष आन्दोलन की सामूहिक आवाज का मामला है । यदि गुट निरपेक्ष आंदोलन का अन्तर्राष्ट्रीय जनमत पर प्रभाव पड़ता है तो यह प्रभाव कटु वक्तव्य देने से नहीं
हुआ है, निन्दनीय भाषा का प्रयोग करने से नहीं हुआ है किन्तु यह पहचान करने से हुआ है कि समस्यायें क्या है, चुनौतियां क्या हैं और इससे भी महत्वपूर्ण है उनका समाधान करना । इसलिए हमारा प्रयास होगा कि गुट निरपेक्ष आंदोलन से जो संदेश आए वह रचनात्मक हो, वह
विभाजन करने वाला नहीं एकता स्थापित करने वाला हो ।
मैं सोचता हूं यही हमारी ताकत है ।
प्रश्न: क्या हवाना में इस सम्मेलन के बाद जी-15 की बैठक होगी ?
विदेश सचिव: मेरा विश्वास है कि यह 14 तारीख को हो रही है । किन्तु इस बारे में मैं निश्चित नहीं हूं कि प्रधानमंत्री उस बैठक में भाग ले सकेंगे या नहीं । किन्तु कोई भारतीय उपस्थित होगा । देखते हैं, इसके क्या परिणाम निकलते
हैं । मैं समझता हूं कि अल्जीरिया इस बैठक की अध्यक्षता करेगा ।
प्रश्न: आपने जो कहा था मैं उसी पर आपको वापस लाना चाहता हूं । आपने कहा था कि जब तक आतंकवाद के मसले का समाधान नहीं होता और पर्याप्त समाधान नहीं होता, संवाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाना कठिन होगा । प्रश्न यह है कि आपका इससे
वास्तव में क्या आशय है ।
क्या आपका यह आशय है कि विदेश सचिव स्तर की वार्ता जो 22 जुलाई को स्थगित कर दी गयी थी उसकी तब तक घोषणा नहीं की जाएगी जब तक पाकिस्तान हमारी चिन्ताओं का समाधान नहीं करता । जब आपने कहा कि हमारी ‘चिन्ताओं का समाधान' नहीं होता, इससे आपका वास्तव में क्या
अभिप्राय है ।
विदेश सचिव: मैं समझता हूं कि मैंने आपको स्पष्ट कर दिया था कि मेरा क्या अभिप्राय है । मैं आपको बता दूं कि विदेश सचिव स्तर की जो वार्ता स्थगित की गई थी उसकी कोई तारीख निर्धारित नहीं थी । वास्तव में जो हुआ वह यह है कि
इस विदेश सचिव स्तर की वार्ता के लिए कोई तारीख नहीं दी गई थी ।
मैं आपको यह स्मरण करा दूं कि भारत और पाकिस्तान के बीच पारस्परिक संपर्क के अन्य पहलू जैसे तकनीकी स्तरीय बैठकें यथा निर्धारित समय के अनुसार हो रही हैं । इन बैठकों में कोई व्यवधान नहीं आया है । इस तरह संयुक्त संवाद के भाग के तौर पर विदेश सचिव स्तर की
वार्ताओं के लिए तारीखों को अभी अंतिम रुप नहीं दिया गया है । हां, यदि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति मुशर्रफ के बीच शीर्ष बैठक के परिणाम संतोषजनक रहते हैं और हम यह पाते हैं कि पाकिस्तान जिसे स्वयं साझा चुनौती, साझा खतरा कहता है, उससे निपटने के लिए कितना इच्छुक
है । यदि यह साझा खतरा है तो भारत और पाकिस्तान को इस खतरे को समाप्त करने लिए मिलकर काम करना चाहिए ।
मैं नहीं समझता कि यह बताना आवश्यक है कि वे कौन से विशेष उपाय हैं जो किए जा सकते हैं । मैं समझता हूं कि भारत और पाकिस्तान दोनों जानते हैं कि क्या करना है ।
प्रश्न: क्या हवाना में प्रधानमंत्री के साथ कोई अन्य महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक भी होगी । क्या राष्ट्रपति कास्त्रो इस सम्मेलन का उद्घाटन कर पाएंगे ?
विदेश सचिव: राष्ट्रपति कास्त्रो की उपस्थिति के संदर्भ में मेरे पास कोई ठोस सूचना नहीं है । नवीनतम सूचना यह है कि वह संभवत: उद्घाटन समारोह में उपस्थित होंगे किन्तु यह देखना होगा ।
प्रधानमंत्री निश्चित रुप से हवाना में अनेक अन्य राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों से मिलेंगे ।
किन्तु मेरे पास अभी सूची नहीं है क्योंकि इन बैठकों के निर्धारण की प्रक्रिया अभी चल रही है ।
प्रश्न: 9/11 की पांचवी वर्षगांठ सोमवार को है । क्या आप बता सकते हैं कि भारत पर इसका क्या प्रभाव है और पाँच वर्ष बाद भारत के लिए इसका क्या अर्थ है ?
विदेश सचिव: मैं समझता हूं कि हमने कई बार यह बताया है कि हम 9/11 से काफी पहले से आतंकवाद के मसले से जूझ रहे हैं । आतंकवाद के विरुद्ध हमारा संघर्ष केवल पाँच वर्ष पुराना नहीं है । किन्तु 9/11 को जो हुआ उससे यह समस्या अन्तर्राष्ट्रीय
क्षितिज पर आई और यह केवल भारत की लड़ाई नहीं है किन्तु भारत अपनी ओर से जो करता रहा है वह अन्तर्राष्ट्रीय लड़ाई का अभिन्न अंग है । आज यह मान्यता महत्वपूर्ण है कि यह चुनौती नहीं है,
कोई देश कितना ही ताकतवर है वह अपने राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग करके इसका सामना नहीं कर सकता और विश्व के सभी देशों के सहयोग की आवश्यकता है । हमने यह भी बताया है कि यदि आप अभी हाल में हुई कुछ घटनाओं को देखें तो इनसे हमें यह जानकारी मिलेगी कि एक नेटवर्क
है जिसे आप अलकायदा कह सकते हैं अथवा तालिबान कह सकते हैं अथवा आप इसे लस्करे तोयबा, अल-बदर, हरकत-उल-मुजाहिद्दीन कह सकते हैं आप इसे अनेक नामों से बुला सकते हैं और ये सभी एक नेटवर्क का अभिन्न अंग हैं । इसलिए इस समस्या के किसी एक पहलू अथवा किसी एक रुप से निपटने
का प्रयास करना तथा उसके अन्य रुपों की अवहेलना करने से कोई बात बनने वाली नहीं है । आज हम जो कुछ घटते हुए देख रहे हैं वह यही हो रहा है ।
यदि 9/11 की पांचवी वर्ष गांठ पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह मान लें कि यह हम सभी की समस्या है, इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए सभी प्रमुख देशों को एक साथ मिलकर कार्रवाई करनी है, और हम सहयोग कर सकें तो मैं सोचता हूं कि इस वर्ष गांठ को मनाने का
यह सबसे उपयुक्त तरीका होगा ।
प्रश्न:तानी सेना और वजीरिस्तान क्षेत्र में तालिबान के बीच हुए समझौते पर आपकी क्या राय है ?
विदेश सचिव:कहूं, मेरे पास इस समझौते की जानकारी नहीं है । मैं समझता हूं कि पाकिस्तानी सेना इन आदिवासी क्षेत्रों से हट जाएगी तथा दोनों पक्षों के बीच किसी सहमति से आदिवासियों का इन क्षेत्रों पर पुन: नियंत्रण होगा । ठीक है
हम इंतजार करते हैं और देखेंगे कि यह कैसे होता है ।
आपने देखा है कि यह भी अनुमान लगाया गया है कि इससे इन क्षेत्रों में तालिबान स्वतंत्र हो जाएगा । यदि इस समझौते का यह परिणाम निकलता है तो यह अशुभ है । जैसा कि इसके समर्थन करने वाले लोगों द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि इससे दक्षिण अफगानिस्तान और पाकिस्तान
के बीच इस सीमा का बेहतर प्रबन्ध हो सकेगा, यह अच्छी बात हो सकती है । किन्तु मैं समझता हूं कि सही बात का अभी पता लगना है । हम देखते हैं और इंतजार करते हैं ।