उत्प्रवासी कामगारों की सुरक्षा और कल्याण के लिए और बेईमान एजेंटों द्वारा उनके शोषण से बचने के लिए अनेक प्रशासनिक और प्रचालनिकउपाय किए गए हैं । इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
मदद पोर्टल
विदेश मंत्रालय ने "सुशासन" पहलों के अनुपालन में, 21 फरवरी 2015 को मदद नाम से एक ऑनलाइन कांसुलर शिकायत प्रबंधन प्रणाली शुरू की ताकि विदेशों में भारतीयों को कांसुलर सहायता की आवश्यकता के लिए एक मदद का हाथ बढ़ाया सके । विदेशों में सभी भारतीय मिशन और पोस्ट और चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद और कोलकाता में विदेश मंत्री के शाखा सचिवालय, कांसुलर शिकायत ट्रैकिंग और अनुवर्ती कार्रवाई के लिए इस पोर्टल से जुड़े हुए हैं। मदद पोर्टल अपने अंतिम समाधान तक ऑनलाइन अग्रेषित, ट्रैकिंग और वृद्धि के माध्यम से, कांसुली शिकायतों से निपटने के लिए मौजूदा प्रक्रियाओं पर एक गुणात्मक सुधार का प्रतिनिधित्व करता है । यह जनता के सदस्यों द्वारा शिकायतों का प्रत्यक्ष पंजीकरण और उसके बाद पूरी शिकायत संचालन प्रक्रिया की प्रभावी ट्रैकिंग सुकर करती है। मदद में अनेक अभिनव विशेषताएं हैं जैसे कि विभिन्न प्रकार की शिकायतों के संव्यवहार के लिए लचीली व्यवस्थाएं, ऑनलाइन फाइलिंग और आसान पुनर्प्राप्ति और संदर्भ, स्वत: प्राथकिमकता दर्ज करने, सुगम निर्धारण और मॉनीटरन के लिए रंग-कोड डैवा बोर्ड बनाना और अनपढ़ शिकायतकर्ता की मदद के लिए एक सहायक प्रकोष्ठ भी है। मदद के लिए एक मोबाईल ऐप भी शुरू किया गया है।
ई-माइग्रेट
ई-माइग्रेट परियोजना 25 सितंबर, 2014 से सभी प्रोटेक्टर ऑफ इमाइग्रेंट (पीओई) कार्यालयों में शुरू की गई है। यह परियोजना रोजगार के उद्देश्य से अधिसूचित देशों में जाने वाले ईसीआर श्रेणी के उत्प्रवासियों के उत्प्रवास को सुगम बनाने के लिए तैयार की गई है । यह परियोजना कामगारों की भर्ती की प्रक्रिया को करने में मदद करती है और कदाचार की संभावना को कम करती है । ई-माइग्रेट मंत्रालय को उत्प्रवासियों, भर्ती एजेंटों और विदेशी नियोक्ताओं का एक व्यापक और ऑनलाइन डाटाबेस प्रदान करता है ताकि पूरी उत्प्रवास प्रणाली को तेजी से और पारदर्शी बनाया जा सके और सभी हितधारकों की साख के प्रमाणीकरण/सत्यापन को सुकर करती है। इसका व्यापक डाटाबेस विदेशी नियोक्ताओं (एफई) का भी पता लगाता है, जिसमें उनके खिलाफ लंबित शिकायतों के मामले हैं और इन विदेशी नियोक्ताओं के लिए नई भर्ती की मंजूरी के समय उत्प्रवासियों के रक्षक (पीओई) के अधिकारियों को सचेत करता है, जिन्हें विगत शिकायतों के आधार पर सचेतक सूची/काली सूची में रखा जा सकता है । ई-माइग्रेट प्रणाली बीमा एजेंसियों के साथ भी एकीकृत है, जो प्रवासी भारतीय बीमा योजना सुलभ करवाती है और बीमा पालिसी के व्यौरे की वास्तविकता का सत्यापन करती हैं।
विदेशी कामगार संसाधन को (ओडब्ल्यूआरसी)
यह केंद्र 2008 से चालू है और प्रवासियों और विदेशी कामगारों को विदेशों में रोजगार के लिए वैध वर्क परमिट/वीजा प्राप्त करने की आवश्यकताओं सहित विदेशी रोजगार के सभी पहलुओं पर जानकारी प्रदान करता है । सूचना के प्रसार और विदेशी रोजगार से जुड़े मुद्दों पर परामर्श देने के लिए केंद्र द्वारा एक बहुभाषी 24 ×7 टोल फ्री हेल्पलाइन संचालित की जाती है।
प्रवासी संसाधन केंद्र (एमआरसी)
विदेशी रोजगार से जुड़े सभी पहलुओं पर प्रवासियों के इच्छुक लोगों के लिए सूचना और परामर्श प्रदान करने के लिए कोच्चि, हैदराबाद, गुड़गांव, चेन्नई और लखनऊ में पांच प्रवासी संसाधन केंद्र स्थापित किए गए हैं । एमआरसी के कार्यों में कानूनी प्रवासन के लिए प्रक्रिया के बारे में वॉक-इन आवेदकों को सूचित करना और पलायन करते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ, भर्ती एजेंटों और अन्य सेवा प्रदाताओं की स्थिति का प्रचार-प्रसार; संभावित प्रवासियों के समक्ष विदेशों में आने वाली तरह की कठिनाइयाँ शामिल है। ओडब्ल्यूआरसी प्रवासी संसाधन केंद्रों (एमआरसी) से जुड़ा हुआ है।
भारतीय कामगार संसाधन केंद्र (आईडब्ल्यूआरसी)
दुबई, यूएई में 2010 से एक भारतीय कामगार संसाधन केंद्र (आईडब्ल्यूआरसी) चालू है। यह एक 24X7 टोल फ्री बहुभाषी हेल्प लाइन है जो मिशन के परार्श से शिकायत याचिकाओं के पंजीकरण और निगरानी और कानूनी, वित्तीय और चिकित्सा आवश्यकताओं के क्षेत्र में जरूरतमंद भारतीयों को जागरूकता कक्षाएं और परामर्श सत्र आयोजित करने की सुविधा प्रदान करता है । मिशन। हाल ही में सऊदी अरब में जेद्दा और रियाद में इसी तरह की हेल्पलाइन स्थापित करने, मलेशिया के कुआलालंपुर और यूएई के शारजाह में वॉक-इन काउंसलिंग केंद्र के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है ।