गृह मंत्रालय द्वारा जारी परिपत्र संख्या 25022/74/2011-F.1 (खंड III) दिनांक 3 नवंबर 2015 से पहले शुरू हुई सरोगेसी "पाइपलाइन मामलों" माने जाते हैं। ऐसे सभी मामलों को सरोगेट बच्चे को लेने के उद्देश्य से भारत की यात्रा करने के लिए मामला-दर-मामला
आधार पर विदेशी दंपति को वीजा को मंजूरी देने से पहले निम्नलिखित शर्तों का पालन करने की आवश्यकता होती है:
- सरोगेसी को वीजा आवेदक के देश में प्रचलित कानूनों के अनुसार कानूनी के रूप में मान्यता दी जाती है।
- सरोगेसी माता-पिता (ओसीआई कार्ड धारकों सहित विदेशी नागरिकों) द्वारा मौजूदा प्रक्रिया (03 नवंबर 2015 से पहले शुरू हुआ गर्भ-धारण) के अनुपालन में शुरू की गई थी, अर्थात् सरोगेट मां को सभी सहायक दस्तावेजों के साथ चिकित्सा वीजा प्राप्त करने के बाद भारत की यात्रा
के दौरान संयुक्त रूप से विदेशी दंपति द्वारा शुरू की गई थी और सरोगेट माता के साथ उचित अनुबंध करने के बाद में गृह मंत्रालय/आईसीएमआर/एफआरएमआर/एफआरआरओ द्वारा निर्धारित उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था।
- बिना वैध अनुबंध के फ्रोजन शुक्राणुओं/अंडों का उपयोग करके सरोगेसी को चालू नहीं किया जाना चाहिए था ।
इन शर्तों के पूरा करने पर संबंधित भारतीय मिशन/पोस्ट द्वारा आवेदक को जन्म होने वाले सरोगेट शिशु (टिप्पणी भाग में जोड़ा गया)को प्राप्त करने के प्रयोजन से ही नियमित जांच के अध्यधीन और निम्नलिखित सुनिश्चित करने पर प्रवेश वीजा (एक्स) (अथवा चिकित्सा वीजा,
जो भी उपयुक्त हो) जारी किया जा सकता है।
- आवेदन के साथ वीजा के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों की सत्यता
- दंपति से संयुक्त रूप से एक नोटरी शपथ-पत्र जिसमें यह आश्वासन दिया गया हो कि वे भारत में सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुए बच्चे/बच्चों की पूरी जिम्मेदारी लेंगे और वे अपनी सरकार से अपने सरोगेट बच्चे के लिए उचित यात्रा दस्तावेज और नागरिकता प्राप्त करेंगे ।